चार देशों के दौरे से लौटा भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जीरो टॉलरेंस नीति का सख्त संदेश दिया
आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख, चार देशों का दौरा
भारतीय सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने चार देशों का दौरा कर आतंकवाद पर भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का सख्त संदेश दिया। बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और अल्जीरिया में भारत की ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति की गूंज सुनाई दी। वरिष्ठ सांसद बैजयंत जय पांडा के नेतृत्व में विभिन्न दलों के सांसदों ने इस कूटनीतिक अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई।
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने के लिए गठित सर्वदलीय संसदीय डेलीगेशन का पहला ग्रुप सोमवार को अपने चार देशों के सफल दौरे का समापन कर चुका है। डेलीगेशन ने बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और अल्जीरिया का सफल दौरा किया। इस प्रतिनिधिमंडल ने भारत की विदेश नीति की नई दिशा को रेखांकित करते हुए आतंकवाद के प्रति भारत के ‘जीरो टॉलरेंस’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘न्यू नॉर्मल’ का स्पष्ट और प्रभावी संदेश इन देशों तक पहुंचाया। इस प्रतिनिधिमंडल ने भिन्न-भिन्न राजनीतिक और धार्मिक पृष्ठभूमियों के बावजूद एक स्वर में भारत की प्राथमिकताओं को सामने रखा, जिससे भारत की ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति की गूंज चारों देशों में सुनाई दी।
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पूर्व विदेश सचिव और अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत रह चुके तथा जी20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने इस सफल दौरे को लेकर जानकारी दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “ऑल-पार्टी संसदीय प्रतिनिधिमंडल के ग्रुप-वन ने आज अपने चार देशों (बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब और अल्जीरिया) के दौरे का समापन किया। इसने सफलतापूर्वक भारत का आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नए सामान्य’ का संदेश पहुंचाया। यह एक राजनीतिक, भाषाई और आध्यात्मिक रूप से विविध समूह था, जिसने ‘इंडिया फर्स्ट’ की भावना में एक स्वर में बात की। धन्यवाद सभी नेताओं को।”
इस प्रतिनिधिमंडल के ग्रुप का नेतृत्व वरिष्ठ सांसद बैजयंत जय पांडा ने किया। डेलीगेशन में उनके साथ असदुद्दीन ओवैसी, गुलाम नबी आजाद, डॉ. निशिकांत दुबे, सतनाम सिंह संधू, एस फांगनॉन कोन्याक और रेखा शर्मा जैसे विभिन्न दलों और क्षेत्रों से आए सांसदों ने सक्रिय भूमिका निभाई। भारत का यह कूटनीतिक अभियान 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले, भारत के निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इसके बाद के घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध एकजुटता बनाना है।