Indian Railways: मिजोरम को मिला रेलवे से नया जीवन, आइजोल तक पहुंचा नेटवर्क
Indian Railways: पूर्वोत्तर भारत का राज्य मिजोरम अब भारतीय रेलवे से सीधे जुड़ गया है। हाल ही में तैयार की गई बैराबी से सैरांग तक की रेल लाइन अब मिजोरम की राजधानी आइजोल से मात्र 18 किलोमीटर दूर पहुंच चुकी है। पहले बैराबी मिजोरम का आखिरी रेलवे स्टेशन था, जो असम की सीमा के पास स्थित है।
Indian Railways: पहाड़ियों और सुरंगों के बीच से गुजरती लाइन
यह नई रेल लाइन लगभग 51 किलोमीटर लंबी है, जो मिज़ोरम की सुंदर और चुनौतीपूर्ण लुशाई पहाड़ियों के बीच से गुजरती है। इस परियोजना में 45 सुरंगें और 55 बड़े पुल बनाए गए हैं। इनमें एक पुल की ऊंचाई 114 मीटर है, जो कुतुब मीनार से भी ऊंचा है। यह इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण है, क्योंकि यहां का भौगोलिक क्षेत्र काफी कठिन और भूस्खलन-प्रवण है। इसके अलावा यहाँ भारी मानसून भी काम को चुनौतीपूर्ण बनाता है।
Railway Reached Mizoram: परिवहन से बदलेगा जीवन
मिजोरम के पहाड़ी इलाकों में अब तक परिवहन बहुत मुश्किल था। सामान महंगा और यात्रा में ज़्यादा समय लगता था। अब इस नई रेल लाइन के कारण आवागमन आसान होगा और आवश्यक वस्तुएं सस्ती मिलेंगी। कोलासिब और आइज़ोल के बीच सफर का समय आधे से भी कम हो जाएगा। इससे लोगों को बेहतर नौकरी, व्यापार के अवसर और अपने परिवारों से संपर्क बनाए रखने में सुविधा मिलेगी।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
यह रेल परियोजना सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट लिंक नहीं है, बल्कि मिजोरम की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को भी सामने लाएगी। हरे-भरे जंगल, नीले पहाड़, साफ झरने और समृद्ध आदिवासी संस्कृति अब बाहर से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करेंगे।
आईआरसीटीसी और मिज़ोरम सरकार ने अगस्त 2025 में एक समझौता किया है ताकि इस क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। “डिस्कवर नॉर्थईस्ट बियॉन्ड गुवाहाटी” पहल के तहत खास पर्यटक ट्रेनें चलाई जाएँगी। इससे स्थायी और सस्ता पर्यटन विकसित होगा।
भारत के पूर्वी प्रवेशद्वार के रूप में मिज़ोरम
मिजोरम की सीमा बांग्लादेश और म्यांमार से लगती है, जिससे यह रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। नई रेल सुविधा से सीमा पार व्यापार में तेजी आ सकती है और यह क्षेत्र भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक अहम कड़ी बन सकता है।
एक सपने का सच होना
यह रेल लाइन मिज़ोरम के लोगों के लिए सिर्फ एक विकास परियोजना नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय जुड़ाव का प्रतीक है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रेल लिंक का उद्घाटन किया, तो वह सिर्फ एक रेल लाइन नहीं थी, बल्कि एक पुराने सपने की पूर्ति थी।
जया वर्मा सिन्हा
पूर्व अध्यक्ष और सीईओ
रेलवे बोर्ड