2025 में स्थिर रह सकती है भारतीय रुपया-डॉलर विनिमय दर: SBI रिपोर्ट
रुपया-डॉलर विनिमय दर पर SBI का पूर्वानुमान
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 85 से 87 रुपये के दायरे में स्थिर रह सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत स्थिरता, और घरेलू आर्थिक कारकों के चलते रुपया अधिक अस्थिर नहीं होगा। SBI का मानना है कि अमेरिका में लगाए गए टैरिफ (शुल्क) और डॉलर की कीमत में संभावित गिरावट उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को सहारा देगी। रिपोर्ट में USD/INR नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (NDF) बाजार के ट्रेंड्स का भी जिक्र किया गया है, जहां 12 महीने आगे की दरें 85.87 से 86 रुपये प्रति डॉलर पर टिके रहने की संभावना जताई गई है।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट से उभरेगा रुपया
रिपोर्ट के अनुसार, DXY इंडेक्स—जो अमेरिकी डॉलर की अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले स्थिति को दर्शाता है—2025 में कमजोर रह सकता है। इसका मुख्य कारण अमेरिका की घरेलू अर्थव्यवस्था पर टैरिफ का असर और फेड की संभावित नीतिगत स्थिरता है। डॉलर की कमजोरी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से भारत जैसी बाज़ारों की मुद्राओं के लिए फायदेमंद हो सकती है।
NDF बाज़ार में स्थिरता का संकेत
USD/INR नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड (NDF) बाजार में मई 2026 के लिए अनुमानित दरें 85.87 से 86 रुपये प्रति डॉलर के बीच हैं। इसका मतलब है कि निवेशक और बाज़ार विशेषज्ञ भविष्य में रुपया-दौलर विनिमय दर में किसी बड़ी अस्थिरता की संभावना नहीं देख रहे। यह भी दर्शाता है कि मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों में स्थिरता बनी रहेगी।
अमेरिकी महंगाई दर में नरमी, लेकिन जोखिम बाकी
अमेरिका में मार्च 2025 में सालाना महंगाई दर घटकर 2.4% पर आ गई है, जो कि फेडरल रिजर्व के लिए राहत की बात हो सकती है। वहीं, अप्रैल 2025 में गैर-कृषि नौकरियों में 1.77 लाख की बढ़ोतरी हुई और बेरोज़गारी दर 4.2% पर स्थिर रही। हालांकि SBI ने यह चेतावनी दी है कि टैरिफ का पूरा प्रभाव अभी दिखना बाकी है, और निकट भविष्य में महंगाई बढ़ भी सकती है।
Rupee Vs Dollar : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे चढ़कर 79.65 पर पहुंचा
नीतिगत दरों में विराम की संभावना
SBI रिपोर्ट में कहा गया है कि फेड की प्राथमिकता महंगाई और रोज़गार दोनों पर बराबर रहेगी। मौजूदा आर्थिक संकेतकों को देखते हुए फेडरल रिजर्व अगले दो नीति चक्रों में ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है। इसका सीधा असर वैश्विक मुद्रा बाज़ारों और विशेष रूप से भारतीय रुपये पर पड़ेगा। यह स्थिरता रुपये के लिए एक मजबूत समर्थन साबित हो सकती है।