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भारतीय सिखों ने की मोदी के खिलाफ खालिस्तानी प्रदर्शन की निंदा

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 में हिस्सा लेने कनाडा पहुंचे। उनके दौरे से…

04:25 AM Jun 19, 2025 IST | Sudeep Singh

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 में हिस्सा लेने कनाडा पहुंचे। उनके दौरे से…

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 में हिस्सा लेने कनाडा पहुंचे। उनके दौरे से पहले जिस प्रकार वहां खालिस्तानी संगठन सिख फार जस्टिस के द्वारा सड़कों पर प्रदर्शन किया गया उसकी संसार भर के सिख समाज के लोगों द्वारा सख्त शब्दों में निन्दा की जा रही है। अक्सर खालिस्तानी समर्थक भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं, मगर इस बार तो उन्होंने हद ही कर दी। उनके द्वारा छोटे-छोटे सिख बच्चे जिनकी पढ़ने-लिखने की उम्र है उनका ब्रेनवॉश करके उनसे नारेबाजी करवाई गई। कैनेडा से एक विवादित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भारत के सिखों में नाराजगी देखने को मिली और उन्होंने कैनेडा सरकार और प्रशासन से खालिस्तानियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को पुख्ता बनाने की अपील की। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ सिख बच्चे पीएम मोदी और तिरंगे का अपमान कर रहे हैं। वीडियो सामने आने के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के पूर्व सदस्य हरपाल सिंह कोछड़ ने कहा कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। इस छोटी उम्र में जो उनसे कहा जाता है वो वही करते हैं, लेकिन मुझे इस बात पर अफसोस है कि कुछ लोग बच्चों से ऐसी गलत हरकत करवा रहे हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए, बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। उन्होंने कहा गुरु साहब ने हमें सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया है। बच्चों का इस्तेमाल करना कोई बहुत बड़ी बहादुरी नहीं है, जिसने भी यह शरारत की है हम उसकी निंदा करते हैं, जो भी बच्चों से ऐसी हरकत करवाते हैं, इससे उनके मंसूबें सिख धर्म को बदनाम करने वाले प्रतीत होते हैं। खालिस्तानी संगठन सिख फार जस्टिस के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी कर पीएम मोदी के खिलाफ जमकर जहर उगला है। इसमें उसने कहा कि हम जी-7 शिखर सम्मेलन में मोदी की राजनीति खत्म करने के लिए तैयार हैं। इस बीच सरकार ने हालात को देखते हुए कानानास्किस में नो फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया। इसके अलावा रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस, प्रांतीय पुलिस और कनाडाई सशस्त्र बलों द्वारा व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। हालांकि, सभी सिख संगठन इस प्रदर्शन के समर्थन में नहीं दिखे। कैनेडा के आम सिखों ने खालिस्तानी प्रदर्शनों की निंदा की और पीएम मोदी के दौरे को भारत-कनाडा संबंधों को बेहतर बनाने का अवसर बताया। इस प्रदर्शन की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह जी-7 जैसे मंच का दुरुपयोग है। दूसरी ओर, कनाडाई पीएम मार्क कार्नी ने भारत को जी-7 में आमंत्रित करने का बचाव करते हुए भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में महत्वपूर्ण भागीदार बताया।

निहंगों द्वारा महिला यूट्यूबर की हत्या का मामला गर्माया : हाल ही में निहंग पहरावा पहने हुए अमृतपाल सिंह मेहरों और उनके साथियों के द्वारा बठिंडा में एक महिला यूट्यूबर कमलप्रीत कौर को मौत के घाट उतार दिया गया। इस घटना के बाद संसार भर से सिखों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। ज्यादातर सिख समाज के लोग इस घटना की पुरजोर निन्दा करते दिख रहे हैं। उनका मानना है कि हर महिला को अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जीने का हक है फिर भी अगर किसी तरह की दिक्कत अमृतपाल सिंह मेहरों को हुई तो उन्हेें कानून का सहारा लेना चाहिए था, इस प्रकार तालिबानियों की भांति किसी की हत्या करना किसी भी तरह से सही नहीं है। उनका मानना है कि गुरु गोबिन्द सिंह जी ने जब लाडली फौज तैयार की थी तो उन्हें सख्त हिदायत भी दी थी जिसमें किसी भी निहत्थे पर वार न करना, महिलाओं का सम्मान करना की बात कही गई थी। वहीं कुछ लोग खुलकर अमृतपाल सिंह मेहरों को सही ठहराते हुए महिला यूट्यूबर को गलत ठहरा रहे हैं, कुल मिलाकर यहां भी सिख समाज दो गुटों में बंटा दिखाई दे रहा है।

आखिरकार बाला साहिब अस्पताल संगत के सुर्पुद हुआ : दिल्ली का बहुचर्चित बाला साहिब अस्पताल जो कि कई साल पहले ही शुरू हो जाना था मगर सिख जत्थेबं​िदयों की राजनीति की भेंट चढ़कर रह गया। बीते समय में जब दिल्ली में सरना बंधुओं का कार्यकाल था उस समय अस्पताल बनकर तैयार हो गया था और प्राईवेट कंपनियों की मदद से इसे शुरू भी किया जा रहा था जिसमें कंपनियों के साथ करार किया गया था कि जरूरतमंद सिख परिवारों का इलाज नि:शुल्क किया जाएगा, मगर उस समय बादल गुट के द्वारा अस्पताल को केवल इसलिए शुरू नहीं होने दिया, क्योंकि इसका पूरा लाभ सरना गुट को मिलना था, जिसके चलते प्रकाश सिंह बादल के कहने पर कोर्ट केस बादल समर्थकों के द्वारा किए गए और अस्तपाल खण्डर बनकर रह गया। उसके बाद जब दिल्ली में कोविड का दौर आया तो उस समय दिल्ली कमेटी द्वारा एक प्रयास करते हुए इसे कोविड वार्ड के तौर पर अस्थाई रूप से तैयार किया गया। उसके बाद डायलिसिस सेंटर खोला गया जिसकी विशेषता यह रही कि उसमें कोई भी फीस काउंटर ही नहीं रखा गया।

प्रबन्धकों का दावा है कि अभी तक इसमें 90 हजार के करीब डायलेसिस की जा चुकी हैं। कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और महासचिव जगदीप सिंह काहलो के विशेष प्रयासों से 50 बैड के अस्पताल को काफी पहले तैयार कर लिया गया था मगर सरकारी मंजूरी न मिलने के चलते अभी तक इसे शुरू नहीं किया जा सका था और अब भाजपा सरकार के आते ही मनजिन्दर सिंह सिरसा जो कि सरकार में मंत्री भी हैं और उन्होंने इसे शुरू करवाने में अहम भूमिका निभाई। उनके सहयोग से सभी तरह की परमिशन दिलवाकर अस्पताल को शुरू करवा दिया है। इसका विधिवत उद्घाटन करने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता स्वयं पहुंचने वाली थी, मगर अहमदाबाद हादसे के चलते वह नहीं आई। मनजिन्दर सिंह सिरसा कार्यक्रम के मंच पर तो आए मगर उद्घाटन से पहले ही निकल गए। कार सेवा वाले बाबा बचन सिंह के द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। ऐसा भी माना जाता है कि बाबा हरबंस सिंह जी के श्राप के कारण अस्पताल खण्डहर बनकर रह गया था।

पंजाबियों को रेखा सरकार से उम्मीदें : दिल्ली में पंजाबी भाषा के साथ पिछली सरकारों के द्वारा हमेशा सौतेला व्यवहार होता रहा जिसके चलते भाषा को काफी नुक्सान भी हुआ, मगर नई सरकार से समूचे पंजाबियों और खासकर पंजाबी भाषा के प्रचार और प्रसार में लगी संस्था ‘पंजाबी हेल्पलाइन’ को काफी उम्मीदें हैं। संस्था के मुखी प्रकाश सिंह गिल ने रेखा गुप्ता सरकार से नीतियों में बदलाव कर पंजाबी भाषा से जुड़े मुद्दों का हल निकालने की अपील की है। कहने को तो दिल्ली में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा प्राप्त है लेकिन हैरानी की बात यह है कि दिल्ली सरकार का संस्थान (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) जो समय-समय पर शिक्षकों की ट्रेनिंग करवाता रहता है, ने आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल के दौरान पिछले कुछ वर्षों से पंजाबी शिक्षकों के लिए करवाई जाने वाली ट्रेनिंग में सरकारी स्कूलों के गेस्ट टीचर्स और एडेड स्कूलों के शिक्षकों को शामिल करना बंद कर दिया था। इसी कारण इस वर्ष जून महीने में करवाई जाने वाली पंजाबी लेक्चरार्स की ट्रेनिंग में भाग लेने वाले शिक्षकों की संख्या केवल 35 रह गई, जो कि बेहद चिंताजनक है। पंजाबी हेल्पलाइन ने यह मांग की है कि इस ट्रेनिंग में पंजाबी के गेस्ट और सरकारी सहायता प्राप्त यानी एडेड स्कूलों के लेक्चरार्स को भी शामिल किया जाना चाहिए।

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