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विश्वभर में शांति स्थापित करने में भारतीय सैनिक निभा रहे हैं महत्वपूर्ण भूमिका : PM मोदी

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04:12 PM Oct 29, 2017 IST | Desk Team

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PM मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहा कि भारत ने हमेशा शांति, एकता और सद्भाव का संदेश दिया है और हमारे सशस्त्र बल दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र मिशनों के माध्यम से इस दिशा में योगदान देते रहे हैं। PM मोदी ने कहा कि वर्तमान में करीब 7,000 भारतीय सुरक्षा कर्मी शांतिरक्षण मिशनों में तैनात हैं और यह शांतिरक्षण अभियानों में तीसरा सबसे बड़ योगदान है।

PM मोदी ने सुरक्षा बलों के साथ कश्मीर के गुरेज सेक्टर में मनाई गई दिवाली को याद करते हुए कहा कि हमारे जवान, न सिर्फ हमारी सीमाओं पर, बल्कि विश्वभर में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 24 अक्तूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया गया और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत ने हमेशा शांति, एकता और सद्भाव का संदेश दिया है और हमारे सशस्त्र बल दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र मिशनों के माध्यम से इस दिशा में योगदान देते रहे हैं।  मोदी ने कहा कि अब तक 18 हज़र से अधिक भारतीय सुरक्षा-बलों ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण अभियानों में अपनी सेवाए05 दी हैं।

उन्होंने कहा कि अगस्त 2017 तक भारतीय जवानों ने संयुक्त राष्ट्र के विश्वभर के 71 शांतिरक्षण अभियानों में से लगभग 50 अभियानों में अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि ये अभियान कोरिया, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, कांगो, साइप्रस, लाइबेरिया, लेबनान, सूडान सहित कई देशों में चले हैं। उन्होंने कहा कि आपको सुन कर गर्व होगा कि भारत की भूमिका सिर्फ शांतिरक्षण अभियान तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत लगभग 85 देशों के शांतिरक्षकों को प्रशिक्षण देने का भी काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांगो और दक्षिण सूडान में भारतीय सेना के अस्पताल में 20 हज़र से अधिक रोगियों का इलाज़ किया गया है और अनगिनत लोगों को बचाया गया है। उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि भारत पहला देश था जिसने लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र के शांति-अभियान मिशन में महिला पुलिस इकाई भेजी थी और भारत का यह कदम विश्वभर के देशों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया। इसके बाद, सभी देशों ने अपनी-अपनी महिला पुलिस इकाइयों को भेजना प्रारंभ किया।

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की प्रस्तावना और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की प्रस्तावना, दोनों वी द पीपुल शब्दों के साथ शुरू होती है। भारत ने नारी समानता पर हमेशा ज़र दिया है और यूएन डिक्लेरेशन ऑफ हयूमन राइट्स इसका जीता-जागता प्रमाण है।

अपने संबोधन में उन्होंने कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया को याद किया जिन्होंने अफ्रीका के कांगो में शांति के लिए लड़ते हुए, अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

PM मोदी ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल प्रेमचंद जी उन शांतिरक्षकों में से एक हैं जिन्होंने साइप्रस में विशिष्ट पहचान बनाई। 1989 में, 72 वर्ष की आयु में उन्हें नामीबिया में अभियान के लिए फोर्स कमांडर बनाया गया और उन्होंने उस देश की आज़दी सुनिश्चित करने के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की। उन्होंने कहा कि जनरल थिमैय्या, जो भारतीय सेना के भी प्रमुख रहे, ने साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र शांति बल का नेतृत्व किया और शांति कायो’ के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

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