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विदेशों में सुरक्षित नहीं भारतीय युवा

06:03 AM May 10, 2024 IST | Aakash Chopra

भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। यहां के युवाओं में विदेश जाकर अपना भ​विष्य संवारने की ललक है। पंजाब हो, हरियाणा हो, उत्तर प्रदेश हो या दक्षिण भारत, लाखों भारतीय विदेशों में हैं और उन्होंने वहां के संविधान और संस्कृति को आत्मसात कर लिया है। उच्च पदों पर बैठकर वे वहां के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।
भारत में हर साल हजारों की संख्या में बेहतरीन प्रोफेशनल्स तैयार होते हैं। इन प्रोफेशनल्स की मांग देश और विदेशों में भी काफी है। कई को विदेशी कंपनियां मोटी सैलरी पर बुलाती हैं। इनमें वे युवा होते हैं जिनकी उपयोगिता उन देशों में बहुत ज्यादा है। ऐसे लोगों के बिना उनके यहां का काम नहीं चल सकता, जैसे- इंजीनियरिंग करके जाने वाले स्टूडेंट, डॉक्टर और मैनेजमेंट स्टूडेंट्स आदि। विदेशी कंपनियां उन्हें लुभाने वाले पैकेज देकर बुलाती हैं। वहीं ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो खुद को तैयार ही इस हिसाब से करते हैं कि वे विदेश में काम कर सकें और पैसा कमा सकें। भारतीय छात्र भी विदेशों में अच्छी ​िशक्षा प्राप्त कर वहीं पर जीवन जीने की तमन्ना रखते हैं। वैसे तो ज्यादातर लोग खुद को योग्य बनाकर कानूनी तरीके से ही आगे बढ़ते हैं लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो बिना किसी तैयारी के, गलत तरीके से बेहतर ज़िंदगी की चाह में विदेश पहुंच जाते हैं और कई बार मुश्किल में फंस जाते हैं। हजारों युवा जो शिक्षित भी नहीं हैं वे भी वहां श्रम करके पैसा कमाने की होड़ में लगे हुए हैं। इन दिनों लगातार अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा और दुबई में भारतीय युवाओं की मौत की खबरें दिल दहला देने वाली हैं।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भारतीय छात्र नवजीत संधू की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। वह एमटेक की पढ़ाई कर रहा था। विक्टोरिया पुलिस के मुताबिक, 22 साल का नवजीत हरियाणा के करनाल का रहने वाला था। नवजीत के चाचा ने बताया कि उसकी पढ़ाई पूरी कराने के लिए उसके पिता ने आधा एकड़ जमीन बेच दी थी। वो जुलाई में अपने परिवार से मिलने आने वाला था। इसके अलावा नवजीत ऑस्ट्रेलिया में डेढ़ साल के वर्क वीजा पर था। दुबई में भी पंजाब के जालंधर छावनी के एक गांव के युवक पंकज की हत्या कर दी गई थी।
इसी वर्ष फरवरी माह में शिकागो में एक भारतीय छात्र पर हमला हुआ था। घटना का एक वीडियो सामने आया था। इसमें 3 हमलावर छात्र का पीछा करते नजर आए थे। इसके बाद तीनों ने उसे बुरी तरह पीटा था, फोन छीन लिया था और भाग गए थे। छात्र खून से लथपथ नजर आया था। जनवरी माह में अकुल धवन का शव इलिनोइस अर्बाना-शैंपेन यूनिवर्सिटी के बाहर मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसकी मौत ठंड लगने की वजह से हुई। अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में एक भारतीय छात्र विवेक सैनी की हत्या कर दी गई थी। फॉक्स न्यूज के मुताबिक 25 साल के छात्र विवेक के सिर पर एक बेघर शख्स ने हथौड़े से 50 बार वार किया था। इसके अलावा भी कई छात्रों की मौत बीमारी से भी हो चुकी है। कई छात्र दुर्घटनाओं का शिकार भी हो रहे हैं।
विदेश में भारतीय छात्र महफूज नहीं हैं। पिछले छह साल में विदेश में 403 भारतीय छात्र मौत के शिकार हुए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी। विदेश मंत्री ने कहा कि 2018 से अब तक कुल 403 भारतीय छात्र मौत के शिकार हुए हैं। लोकसभा में उन्होंने जो आंकड़ा प्रस्तुत किया उसके मुताबिक सबसे ज्यादा मौत के मामले कनाडा से हैं। कनाडा में पिछले 6 साल यानी 2018 से अब तक 91 छात्रों की मौत हुई है। लोकसभा में विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय छात्रों की मौत के सबसे अधिक 91 मामले कनाडा से रहे। मगर विदेश में भारतीय छात्रों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक कनाडा के बाद दूसरे नंबर पर ब्रिटेन का नाम आता है। यहां पिछले 6 साल में 48 छात्र मौत के शिकार हुए हैं।
वहीं, इस मामले में रूस तीसरे नंबर पर है। यहां 2018 से अब तक 40 छात्रों की मौत हुई है। अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की इन छह साल में मौत हुई है। इसके अलावा साइप्रस में 14 छात्रों की मौत हुई है जबकि फिलीपींस और इटली में 10-10, कतर-चीन और किर्गिस्तान में 9-9 भारतीय छात्र मौत के शिकार हुए हैं। अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए कर्ज उठाकर भी उन्हें विदेश भेजते हैं ले​िकन जब विदेशों में घर के ​िचराग बुझ जाते हैं तो उन पर क्या बीतती है, यह कोई दूसरा नहीं जान सकता। बेहतर होगा कि प्र​ितभावान छात्रों के लिए देश में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा आैर उनके रोजगार की व्यवस्था की जाए तो प्रतिभाओं का पलायन नहीं होगा। मां-बाप को भी अपने बच्चों को देश में ही रहकर अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करना होगा।

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