‘भारत का माकूल जवाब’
भारत ने विगत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में घटे जघन्य हत्याकांड का जिस…
भारत ने विगत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में घटे जघन्य हत्याकांड का जिस अन्दाज में जवाब दिया है उससे दहशतगर्द पाकिस्तान खुद दहशत में है और उसे सूझ नहीं रहा है कि वह किस दरवाजे पर अपना माथा फोड़ने जाये। भारत ने पहलगाम के आतंकवादी हमले का जवाब विगत 7 मई को पाकिस्तान स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों पर हमला करके दिया था जिनमें पांच ठिकाने पाक अधिकृत कश्मीर में थे। इन आतंकवादी शिविरों को भारत ने मिसाइलों की मार्फत नेस्तनाबूद कर दिया। आतंकवादियों की पनाहगाह बने पाकिस्तान से यह सहन नहीं हुआ और उसने बदले में भारत के कई सैनिक अड्डों व नागरिक क्षेत्रों पर ही हमला बोला। भारत की जांबाज फौजों ने इसका माकूल उत्तर दिया और पाकिस्तानी हमलों को नाकारा कर दिया जिसमें पाकिस्तान के कई लड़ाकू विमानों को भी उसने मार गिराया। सिर्फ 78 साल पहले भारत को काटकर बने पाकिस्तान की यह आदत रही है कि वह बार-बार भारत पर आक्रमण करता है और हमारे धैर्य की परीक्षा लेता है।
पाकिस्तान ने 8 व 9 मई की रात्रि में भारत के नागरिक इलाकों समेत जितने भी सैनिक ठिकानों पर आक्रमण किया उसे भारत की फौजों ने निष्क्रिय करते हुए पाक की मिसाइलों व ड्रोनों को मार गिराया। भारत की हवाई सेना ने आकाश में ही यह कारनामा किया। इस काम में रूस से मिली एस-400 मिसाइल विनाशक प्रणाली ने जो कारगर भूमिका निभाई उससे सारे भारतवासी आह्लादित हैं और पाकिस्तानी मिसाइल तन्त्र को खिलौना मानने लगे हैं। आतंकवाद के विरुद्ध भारत के इस अभियान में फ्रांस से आयातित राफेल लड़ाकू विमानों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये राफेल विमान वही हैं जिन्हें खरीदने पर विपक्षी दल भारी हो-हल्ला मचा रहे थे और संसद से लेकर सड़क तक इनका विरोध कर रहे थे। ठीक इसी प्रकार रूस से एस-400 खरीदने पर अमेरिका कड़ा विरोध कर रहा था। मगर पाकिस्तान के खिलाफ इनका उपयोग करके भारत ने लाहौर शहर का हवाई रक्षा तन्त्र तक तहस-नहस कर डाला। पाकिस्तान ने भारत के उत्तर से लेकर पश्चिम तक सैनिक ठिकानों पर आक्रमण किया जिसमें जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान व गुजरात तक के कई शहर शामिल हैं। इनमें अवन्तिपुर, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नाल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज शामिल हैं। जवाब में भारत ने भी सियालकोट व लाहौर से लेकर पेशावर और कराची तक में अपना करतब दिखाया। इन सभी भारतीय स्थानों पर पाकिस्तान ने ड्रोन व मिसाइलों से हमला किया। जिनका जवाब भारत की सेनाओं ने दिया और नभ, जल व वायुसेना के तीनों अंगों ने संयुक्त रूप से ‘आॅपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया।
भारत ने ये कदम आत्मरक्षार्थ ही उठाये क्योंकि पाकिस्तान अपनी फितरत के मुताबिक भारत को हजार जख्म देना चाहता है। इस मुद्दे पर पाकिस्तान किस तरह अकेला पड़ता जा रहा है। इसका सबूत यह है कि जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम सीमा तक पहुंच गया हो तो विश्व के दो मुस्लिम राष्ट्रों के विदेश मन्त्री भारत की यात्रा पर हैं। ये ईरान व सऊदी अरब हैं। पाकिस्तान में पाले-पोसे जा रहे आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को कमोबेश रूप से मुस्लिम देशों का समर्थन भी मिल रहा परन्तु केवल तुर्की एेसा देश है जो पाकिस्तान की मदद करते दिख रहा है लेकिन तुर्की भी अधिक समय तक पाकिस्तान के साथ नहीं रह सकता है क्योंकि कुल 57 मुस्लिम देशों में से अधिसंख्य की सहानुभूति भारत के साथ है। यह ध्यान देने वाली बात है कि जब विगत 22 अप्रैल को पहलगाम में पाक से आतंकवादियों ने वहां सैर कर रहे 26 पर्यटकों की हत्या उनका धर्म पूछ-पूछ कर की थी तो प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर ही थे। वह अपनी यात्रा अधूरी छोड़ कर ही भारत वापस आ गये थे। भारत बेशक अमन पसन्द देश है मगर अवसर पड़ने पर वह ईंट का जवाब पत्थर से भी देना जानता है।
पाकिस्तान के मामले में पिछले 78 वर्षों में भारत ने कभी भी पाकिस्तान पर हमला नहीं किया। हर बार पाकिस्तान की ओर से ही आक्रमण किया गया। भारत ने जवाब में ही कार्रवाई की। पाकिस्तान दहशतगर्दों को समर्थन देने के साथ यह भी डींगे बघारता था कि वह एटमी ताकत से लैस मुल्क है। मगर आज वह भारत के सामने मिमियाता नजर आ रहा है और भारत लगातार कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान के विरुद्ध बाकायदा युद्ध की घोषणा न हो। पूरी दुनिया भारत के इन प्रयासों के साथ दिखाई पड़ती है। जहां तक अमेरिका का सम्बन्ध है तो आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई का वह भी विरोध नहीं कर सकता है क्योंकि वह खुद भी आतंकवाद का भुक्तभोगी रहा है। अब यह पाकिस्तान पर ही निर्भर करता है कि वह इस तनाव को किस सीमा तक ले जाना चाहता है और दहशतगर्द तंजीमों को किस हद तक समर्थन देता है। वैसे उसने भारत-पाक के बीच खिंची अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर भारत की तरफ गोलीबारी करके 16 से अधिक नागरिकों की हत्या कर दी है। वह नागरिक स्थानों को भी अपना निशाना बना रहा है। भारत यह स्थिति कैसे स्वीकार कर सकता है ? पाकिस्तान को नहीं भूलना चाहिए कि 1965 के युद्ध में भारत की वीर सेनाएं लाहौर तक पहुंच गई थीं और 1971 के युद्ध में उसने पाकिस्तान को बीच से चीर डाला था और इसके पंजाब राज्य तक को घुटनों पर ला दिया था। इतिहास कुछ सबक सीखने के लिए ही होता है। अभी भी पाकिस्तान के लिए समय है कि वह सुधर जाये और युद्ध की विभीषिका को आमन्त्रित न करे वरना इसका परिणाम बहुत भंयकर होगा जो पाकिस्तान के वजूद पर ही सवालिया निशान लगा सकता है। भारत की फौजें जब निकलती हैं तो दुश्मन को अपने पुराने दिन याद आने लगते हैं क्योंकि इनका अहद है कि
“बख्शी हैं हमको इश्क ने वो जुर्रतें मजाज
डरते नहीं सियासते अहले-जहां से हम।”