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अप्रैल में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति में मामूली गिरावट, खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति में तेजी

02:33 PM May 14, 2024 IST | Aastha Paswan

India's Inflation: भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 4.83 प्रतिशत हो गई, जो मार्च में 4.85 प्रतिशत थी। हालांकि, सोमवार को जारी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति पिछले महीने के 8.52 प्रतिशत से बढ़कर 8.70 प्रतिशत हो गई।

Highlights

अप्रैल 2024 की मुद्रास्फीति

अप्रैल 2024 में भारत की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) मार्च के मुकाबले मामूली रूप से घटकर 4.83 फीसदी पर आ गई। मार्च 2024 में यह 4.85 फीसदी पर थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2024 में 4.83 फीसदी दर्ज की गई, जो कि एक साल पहले की समान अवधि (अप्रैल 2023) के मुकाबले 0.13 फीसदी ज्यादा है। अप्रैल 2023 में खुदरा महंगाई दर 4.70 फीसदी पर थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों के लिए महंगाई दर 5.43 फीसदी और शहरी इलाकों के लिए 4.11 फीसदी रही। साल 2024 के सभी महीनों की बात करें तो महंगाई में लगातार लेकिन मामूली गिरावट देखी जा रही है। जनवरी में 5.10 फीसदी, फरवरी में 5.09 फीसदी और मार्च में 4.85 फीसदी की मुद्रास्फीति दर्ज की गई।

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RBI ने मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई

हालिया रुकावटों को छोड़कर, RBI ने मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई में मई 2022 से रेपो दर में संचयी रूप से 250 आधार अंक की बढ़ोतरी की है। ब्याज दरें बढ़ाना एक मौद्रिक नीति साधन है जो आम तौर पर अर्थव्यवस्था में मांग को दबाने में मदद करता है, जिससे मुद्रास्फीति दर में गिरावट में मदद मिलती है।

भारत में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति मार्च में 4.9 प्रतिशत थी, जो पिछले दो महीनों में औसतन 5.1 प्रतिशत थी, जो दिसंबर 2023 में 5.7 प्रतिशत के हालिया शिखर के बाद थी। भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों के लिए मुद्रास्फीति मुख्य चिंता बनी हुई है, इससे पहले कि वह आगे बढ़े और प्रमुख ब्याज दरों पर अपना रुख ढीला करे।

Food Inflation में जबरदस्त उछाल

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Food Inflation) मामूली बढ़ोतरी के साथ 8.70 फीसदी रही। एक महीने पहले मार्च में यह 8.52 फीसदी के स्तर पर थी। सालाना आधार पर देखें तो खाद्य महंगाई नवंबर 2023 के बाद से लगातार 8 फीसदी के ऊपर बनी हुई है। नवंबर में महंगाई दर 8.7 फीसदी थी तो वहीं दिसंबर में 9.53 फीसदी बढ़ी। जनवरी 2024 में महंगाई दर 8.3 फीसदी और फरवरी में 8.66 फीसदी बढ़ी। इस लिहाज से देखा जाए तो महंगाई जनवरी 2024 से लगातार बढ़ती जा रही है।

सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति को दो फीसदी की घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने का लक्ष्य भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को दिया हुआ है।RBI ने हाल ही में अपनी मासिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा था कि आगे चलकर खाद्य वस्तुओं के दाम मुद्रास्फीति के रुख को प्रभावित करते रहेंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लेटेस्ट बुलेटिन के अनुसार, देश के कुछ हिस्सों में गर्मी का प्रकोप जारी है, खाने-पीने की चीजों की कीमतें भारत के मुद्रास्फीति के लिए ज्यादा जोखिम पैदा कर रही हैं।

अनाज की महंगाई दर 8.63 फीसदी रही, जो पिछले महीने (मार्च 2024) 8.37 फीसदी थी। दालों की महंगाई दर की बात की जाए तो यह भी मार्च के 17.71 के मुकाबले अप्रैल 2024  में घटकर 16.84% पर आ गई। अप्रैल महीने में सब्जियों की कीमतें 27.8% बढ़ीं।

विशेषज्ञों ने दी जानकारी

अप्रैल में हेडलाइन संख्या में हल्की कमी उत्साहजनक है, लेकिन इस गिरावट की प्रवृत्ति में तेजी ही मायने रखती है, खासकर जब से हालिया उतार-चढ़ाव चिंताजनक रहे हैं। खाद्य मुद्रास्फीति, जिसका सीपीआई गेज में 39.1 प्रतिशत भार है, अब छह महीने से 8 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।

खाद्य पदार्थों की कीमतों पर दबाव जारी है, जिसमें चल रही गर्मी की लहरें भी शामिल हैं। हमारा आधार मामला यह है कि आगामी मानसूनी बारिश राहत दे सकती है, यह मानते हुए कि वे समय और भूगोल के संदर्भ में अच्छी तरह से वितरित हैं। वित्तीय वर्ष 2025 के लिए नेट-नेट, हम उम्मीद करते हैं कि CPI मुद्रास्फीति इस वित्तीय वर्ष में पिछले वित्तीय वर्ष के 5.4 प्रतिशत से कम होकर 4.5 प्रतिशत हो जाएगी।

आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों से कई वस्तुओं में मुद्रास्फीति में नरमी आ रही है। आगे बढ़ते हुए, सितंबर/अक्टूबर 2024 तक मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र सामान्य होने की उम्मीद है क्योंकि कई खरीफ फसलें मंडियों में प्रवेश करेंगी और मौजूदा आपूर्ति की पूर्ति करेंगी।

(Input From ANI)

नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है। 

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