भारत की समुद्री ताकत में उछाल: केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल
समुद्री ताकत में वृद्धि से व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
भारत की एलएंडटी (L&T) कंपनी और नॉर्वे की DNV कंपनी के बीच भी एक बड़ा समझौता हुआ। इस साझेदारी में कई चीज़ों पर काम होगा — जैसे कि नए जहाज बनाना, स्मार्ट बंदरगाह तैयार करना, ऊर्जा के साफ साधनों का उपयोग, डिजिटल समाधान, और साइबर सुरक्षा।
भारत के बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल नॉर्वे के ओस्लो शहर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए, जहाँ भारत की कई जहाज बनाने वाली कंपनियों ने विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी के लिए समझौते किए। ये समझौते भारत के समुद्री क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माने जा रहे हैं। भारत की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) कंपनी और जर्मनी की कार्स्टन रेहडर कंपनी ने एक नया समझौता किया है। इसके तहत 7500 DWT क्षमता वाले 4 और बहुउद्देश्यीय जहाज बनाए जाएंगे। ये जहाज हाइब्रिड इंजन से चलेंगे यानी इनमें पारंपरिक और ग्रीन टेक्नोलॉजी दोनों का इस्तेमाल होगा।
GRSE पहले से ही कोलकाता में ऐसे 8 जहाज बना रही है। इसके अलावा, GRSE ने यूएई की एरिज मरीन और एक वैश्विक इंजन बनाने वाली कंपनी के साथ भी समझौते किए हैं, ताकि नए और बेहतर जहाज बनाए जा सकें।
भारत और नॉर्वे का साथ
इस मौके पर भारत की एलएंडटी (L&T) कंपनी और नॉर्वे की DNV कंपनी के बीच भी एक बड़ा समझौता हुआ। इस साझेदारी में कई चीज़ों पर काम होगा — जैसे कि नए जहाज बनाना, स्मार्ट बंदरगाह तैयार करना, ऊर्जा के साफ साधनों का उपयोग, डिजिटल समाधान, और साइबर सुरक्षा।
मंत्री सोनोवाल ने कहा, “भारत और नॉर्वे की दोस्ती लंबे समय से है। दोनों देशों की समुद्री परंपराएं बहुत मजबूत रही हैं और अब हम एक साथ टिकाऊ और आधुनिक समुद्री विकास की ओर बढ़ रहे हैं।”
हरित और स्मार्ट समुद्री क्षेत्र
सोनोवाल ने कहा कि भारत सरकार बंदरगाहों को हरित (ग्रीन) और कम प्रदूषण वाला बनाने पर जोर दे रही है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में चल रही सागरमाला योजना से बंदरगाहों का विकास हो रहा है और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स बेहतर किए जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अब भारत और नॉर्वे मिलकर ग्रीन शिपिंग, शिप रीसाइक्लिंग, और नौवहन क्षेत्र में युवाओं को प्रशिक्षित करने जैसे क्षेत्रों में साथ काम कर रहे हैं।
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भारतीय कंपनियों ने दिखाई ताकत
ओस्लो में हुए इस कार्यक्रम में मंत्री सोनोवाल के साथ भारत की कई छोटी-बड़ी कंपनियाँ भी गई थीं। इनमें शामिल थीं — एलएंडटी शिपबिल्डिंग, गोवा शिपयार्ड, कोचीन शिपयार्ड, चौगुले शिपबिल्डिंग, स्मार्ट इंजीनियरिंग एंड डिज़ाइन, और अन्य कई कंपनियाँ।
इन कंपनियों ने दिखाया कि भारत अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक सशक्त निर्माता और निर्यातक भी बन रहा है। मंत्री ने कहा कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भारत का समुद्री क्षेत्र आने वाले सालों में और मज़बूत होगा।