बिम्सटेक से भारत का सन्देश
थाईलैंड की राजधानी में सम्पन्न बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी के तटीय देशों के बीच…
थाईलैंड की राजधानी में सम्पन्न बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी के तटीय देशों के बीच तकनीकी व आर्थिक सहयोग के लिए बने संगठन) के शिखर सम्मेलन के अवसर पर द्विपक्षीय बातचीत में प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बंगलादेश के शासन प्रमुख मोहम्मद यूनुस को साफ कर दिया है कि वे एेसे बयान देने से बचें जिनसे इस क्षेत्र का माहौल बिगड़ता हो। हाल ही में अपने चीन दौरे के दौरान श्री यूनुस ने बीजिंग में यह कहा था कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था का बंगलादेश में विस्तार कर सकता है क्योंकि भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य केवल भूमि से ही जुड़े हुए हैं और इस क्षेत्र की समुद्री सीमाओं का बंगलादेश ही अग्रणी संरक्षक है। श्री यूनुस के इस बयान पर भारत में खासी चिन्ता व्यक्त की गई थी क्योंकि इससे आर्थिक विस्तारवाद की बू आती है और एेसा आभास होता है कि कहीं बंगलादेश चीन के समक्ष आर्थिक समर्पण कर रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि श्री यूनुस बंगलादेश के चुने हुए नेता नहीं हैं बल्कि वहां की सेना द्वारा अस्थायी रूप से सत्ता के शिखर पर बैठाये गये शासक हैं।
चीन जाकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में उनकी इस प्रकार की टिप्पणी क्षेत्रीय सन्तुलन के भी विपरीत समझी गई थी परन्तु श्री मोदी ने इस ओर बहुत ही कूटनीतिक शालीनता के साथ उनका ध्यान खींचा है और आगाह किया है कि बंगलादेश के भीतर जिस प्रकार हिन्दू अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं उन्हें रोका जाये और उनकी सरकार इस तरफ प्रभावी कदम उठाये। श्री मोदी ने यह तथ्य पिछले दस महीनों के दौरान बंगलादेश में घटी घटनाओं के सन्दर्भ में ही दिया है। पूरी दुनिया जानती है कि 1971 में बंगलादेश के निर्माण में भारत की निर्णायक भूमिका रही है। यह देश तभी अस्तित्व में आय़ा जब भारतीय फौजों ने पाकिस्तान की फौजों से ढाका में आत्मसमर्पण कराया। दोनों देशों के लोगों के बीच तभी से अनूठा भाईचारा है। श्री मोदी का जोर भी इसी तथ्य की ओर रहा और उन्होंने साफ कर दिया कि बंगलादेश व भारत के लोगों के बीच के भाईचारे को दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों के बीच तरजीह दी जानी चाहिए। वैसे भी भारत की विदेश नीति का यह प्रमुख अंग रहा है कि किसी भी देश की शासन व्यवस्था वहां के लोगों की इच्छा के अनुसार ही चलनी चाहिए।
दूसरी तरफ श्री यूनुस ने बंगलादेश की पूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमती शेख हसीना वाजेद को वापस बंगलादेश भेजे जाने का मुद्दा उठाया। सर्वविदित है कि 5 अगस्त, 2024 को बंगलादेश के निर्माता स्व. शेख मुजीबुर्रहमान की पुत्री शेख हसीना अपनी चुनी हुई सरकार का सेना द्वारा तख्ता पलट किये जाने के बाद भारत आ गई थीं और तभी से भारत में शरण लिये हुए हैं। भारत उनकी वापसी तब तक नहीं कर सकता है जब तक कि बंगलादेश में वहां के लोगों की इच्छा के अनुसार चुनी हुई सरकार कायम न हो जाये और लोग लोकतन्त्र के नियमानुसार चुनावों में अपनी वरीयता प्रकट न कर दें। भारत शेख हसीना के लिए शुरू से ही दूसरा घर यहां तक रहा है कि उनकी उच्च शिक्षा भी इसी देश में हुई है। इसके साथ ही बंगलादेश में मोहम्मद यूनुस के शासन प्रमुख बनने के बाद जिस तरह इस्लामी कट्टरपंथी पाक परस्त तत्व सक्रिय हुए हैं उससे इस देश के लोगों का आपसी भाईचारा भी प्रभावित हुआ है और भारत विरोधी वातावरण बनाने में ये तत्व आग में घी डालने का काम कर रहे हैं जिसकी वजह से वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढे़ हैं। अतः श्री मोदी का इस तरफ चिन्ता करना पूरी तरह वाजिब है।
बंगलादेश को यह समझने की जरूरत है कि 1971 में उसके वजूद में आने के बाद से ही भारत ने उसकी हर क्षेत्र में मदद की है और आर्थिक व सामाजिक मोर्चे पर सहयोग बढ़ाया है। इस सहयोग को कोई अस्थायी सरकार बिगाड़ नहीं सकती है। इसके साथ यह भी समझना जरूरी है कि बिम्सटेक केवल भारत, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, बंगलादेश और थाईलैंड की सदस्यता वाला संगठन ही नहीं है, बल्कि इस पूरे क्षेत्र के बीच आपसी तकनीकी व आर्थिक सहयोग का एेसा उपक्रम है जिससे इस पूरे क्षेत्र की सुरक्षा की गारंटी हो सके। जाहिर है कि भारत इस संगठन का सबसे बड़ा देश है इसलिए उसकी जिम्मेदारी भी बड़ी है। भारत अपनी इस जिम्मेदारी को भली भांति समझता है इसीलिए श्री मोदी ने इसके सम्मेलन में एेसा 20 सूत्रीय कार्यक्रम रखा है जिससे सभी सदस्य देशों की आर्थिक तरक्की हो सके और इनके लोगों के बीच भाईचारा प्रगाढ़ हो सके। बिम्सटेक दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच एक पुल का काम करता है जिससे इस क्षेत्र के लोगों का चहुंमुखी विकास हो सके और सुरक्षा हो सके। यदि ये देश आपसी मुद्रा में कारोबार करते हैं और एक-दूसरे के विकास में सहयोग करते हैं तो इनकी सुरक्षा और भी व्यापक आयाम ले लेती है।
श्री मोदी ने श्री यूनुस के अलावा नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री औली से भी िद्वपक्षीय वार्ता की और उसमें दोनों देशों के बीच सम्बन्ध और गहरे बनाने की तजवीज रखी। साथ ही उन्होंने म्यांमार के सैनिक ढांचे के शासक मिल आंग हेलेग से भी वार्ता की और म्यांमार में विश्वसनीय चुनाव कराने को कहा। जाहिर है कि बिम्सटेक में भारत एेसे देश की भूमिका निभा रहा है जो इस पूरे क्षेत्र के विकास में निर्णायक भूमिका निभा सकता है क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था इन सभी देशों में सबसे बड़ी है और तकनीकी रूप से भी वह सक्षम है। अतः बिम्सटेक देशों को भारत का सहयोग हर क्षेत्र में मिलता रहेगा। श्री मोदी ने इस सम्मेलन के बाद श्रीलंका का भी एक दिवसीय दौरा किया जो बताता है कि भारत अपने पड़ोसी देशों को किस प्रकार वरीयता देता है।