भारत के बंदरगाहों ने 855 मिलियन टन कार्गो का रिकॉर्ड बनाया
परिचालन सुधार से बंदरगाहों की आय में 8% वृद्धि
भारत के प्रमुख बंदरगाहों ने वित्त वर्ष 2025 में 855 मिलियन टन कार्गो हैंडलिंग का रिकॉर्ड बनाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.3% अधिक है। यातायात में वृद्धि उच्च कंटेनर थ्रूपुट और विविध वस्तुओं की हैंडलिंग के कारण हुई। प्रमुख बंदरगाहों ने 962 एकड़ भूमि आवंटित की, जिससे 7,565 करोड़ रुपए की आय का अनुमान है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को जानकारी दी कि देश के प्रमुख बंदरगाहों ने कार्गो हैंडलिंग में शानदार वृद्धि दर्ज करते हुए वित्त वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 855 मिलियन टन का आंकड़ा छू लिया, जो वित्त वर्ष 2024 में 819 मिलियन टन के इसी आंकड़े की तुलना में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने कहा कि यातायात में वृद्धि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में उच्च कंटेनर थ्रूपुट, फर्टिलाइजर कार्गो हैंडलिंग, पीओएल (पेट्रोलियम, ऑयल एंड लुब्रिकेंट्स) और विविध वस्तुओं की हैंडलिंग के कारण हुई, जिनमें क्रमश: 10 प्रतिशत, 13 प्रतिशत, 3 प्रतिशत और 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।वित्त वर्ष 2025 में प्रमुख बंदरगाहों पर संभाली जाने वाली वस्तुओं में, पीओएल 29.8 प्रतिशत के साथ 254.5 मिलियन टन मात्रा में चार्ट में सबसे आगे रहा, इसके बाद कंटेनर ट्रैफिक 22.6 प्रतिशत के साथ 193.5 मिलियन टन, कोयला 21.8 प्रतिशत के साथ 186.6 मिलियन टन और अन्य कार्गो श्रेणियां जैसे लौह अयस्क, छर्रे, उर्वरक का स्थान रहा।
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प्रमुख बंदरगाहों के इतिहास में पहली बार पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण (पीपीए) और दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (डीपीए) ने 150 मिलियन टन कार्गो हैंडलिंग मार्क को पार कर लिया, जिससे समुद्री व्यापार और परिचालन उत्कृष्टता के प्रमुख केंद्रों के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई। इस बीच, जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) ने 7.3 मिलियन टीईयू को संभालकर एक रिकॉर्ड बनाया, जो सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। भारतीय बंदरगाहों ने सामूहिक रूप से बंदरगाह आधारित औद्योगिकीकरण के लिए 962 एकड़ भूमि आवंटित की है, जिससे वित्त वर्ष 2025 में 7,565 करोड़ रुपए की आय होने का अनुमान है।
इसके अलावा, पट्टेदारों से उम्मीद की जाती है कि वे आवंटित भूमि पर भविष्य में 68,780 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे, जो बंदरगाह आधारित विकास में निवेशकों के विश्वास की पुष्टि करता है। इस परिवर्तन में निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण रही है, जिसमें प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी परियोजनाओं में निवेश तीन गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 1,329 करोड़ रुपए से वित्त वर्ष 2024-25 में 3,986 करोड़ रुपए हो गया है। वित्त वर्ष 2025 में परिचालन प्रदर्शन में सुधार जारी रहा, जिसमें प्री-बर्थिंग डिटेंशन (पीबीडी) टाइम (पोर्ट अकाउंट पर) वित्त वर्ष 2024 की तुलना में लगभग 36 प्रतिशत बेहतर हुआ। वित्तीय रूप से, प्रमुख बंदरगाहों ने वित्त वर्ष 2025 में कुल आय में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो वित्त वर्ष 2024 में 22,468 करोड़ रुपए से बढ़कर 24,203 करोड़ रुपए हो गई।