समुद्र में भारत की शक्ति
7,516 किलोमीटर की तटीय रेखा और 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक के विशाल यूनीक…
7,516 किलोमीटर की तटीय रेखा और 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक के विशाल यूनीक आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के साथ भारत स्वभाविक रूप से एक समुद्री राष्ट्र है। मात्रा के हिसाब से इसका 90 प्रतिशत से अधिक और कीमत के लिहाज से इसका 74 प्रतिशत व्यापार समुद्र के जरिए होता है, जबकि इसका 80 प्रतिशत तेल और गैस समुद्री मार्गों से आता है। इन जीवन रेखाओं की सुरक्षा न केवल आर्थिक विकास के लिए, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी अहम है। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में भारत की रणनीतिक स्थिति इसे एक प्रमुख खिलाड़ी (प्रमुख भूमिका निभाने वाला) बनाती है। अंडमान और निकोबार द्वीप, मलक्का जलडमरू मध्य के एंट्री गेट पर हैं, और लक्षद्वीप द्वीपसमूह प्रमुख शिपिंग लेन की देखरेख करते हुए भारत को एक अहम समुद्री बढ़त देता है।
भारतीय नौसेना पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों को संभालने वाली एक बहुआयामी ताकत के रूप में विकसित हुई है। पश्चिमी हिंद महासागर में रुकवाटों से वैश्विक शिपिंग की सुरक्षा के लिहाज से इसके सक्रिय काउंटर-पायरेसी ऑपरेशन और हाल ही में की गई तैनाती ने अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकारोक्ति अर्जित की है। समुद्री आतंकवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे गैर-पारंपरिक खतरों के बढ़ने के साथ क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने में नौसेना की भूमिका काफ़ी बढ़ गई है। अब नौसेना में ऐसे त्रिदेव शामिल हुए हैं जो भारत की तरफ गलत नजर से देखने वालों के छक्के छुड़ा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में तीन नौ सैनिक युद्धपोत-आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस ‘वाघशीर’ को राष्ट्र को समर्पित किया।
आईएनएस सूरत, पी15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट का चौथा और अंतिम जहाज है जो भारतीय नौसेना की ताकत को और भी बढ़ाएगा। यह जहाज दुनिया के सबसे बड़े और अत्याधुनिक विध्वंसकों में से एक है, जिसमें अत्याधुनिक हथियार प्रणाली और सेंसर सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। आईएनएस सूरत विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टरों को संचालन में सक्षम है, जिसमें चेतक, एएलएच, सी किंग और नए एमएच-60आर हेलीकॉप्टर शामिल हैं। ये जहाज किसी भी संकट के समय सही और सटीक प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।
आईएनएस नीलगिरि, पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट प्रोजेक्ट का पहला जहाज है जो भारतीय नौसेना की नई पीढ़ी के स्वदेशी युद्धपोतों का प्रतीक है। इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया है और इसमें अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाएं हैं जो इसे बेहतर उत्तरजीविता, समुद्री क्षमता और स्टील्थ के मामले में एक कदम आगे बढ़ाती हैं। इसमें आठ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित कई एडवांस हथियार और सिस्टम लगे हैं जो इसे समुद्र में किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए सक्षम बनाते हैं।
आईएनएस वाघशीर, पी75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट की छठी और आखिरी पनडुब्बी है जो भारत की पनडुब्बी निर्माण क्षमता और सामरिक ताकत को दर्शाती है। इस पनडुब्बी का निर्माण फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से किया गया है। और यह भारतीय सेना को और मजबूत करने में सहायता करेगी। आईएनएस वाघशीर की तकनीकी विशेषताएं इसे समुद्र में बेहद प्रभावशाली बनाती हैं। यह पनडुब्बी भारत की बढ़ती स्वदेशी रक्षा क्षमता का प्रतीक है। भारतीय नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है, जो चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के लिए चिंता का कारण बन रही है। आधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियां और हथियार प्रणाली विकसित कर भारत ने समुद्री क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया है। वहीं आज आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर जैसे अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म्स के शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत में कहीं हद तक और बढ़ जाएगी। चीन जहां हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक गतिविधियों को बढ़ा रहा है वहीं भारत की तेजी से बढ़ती शक्ति उसे पीछे धकेलने में सक्षम है। इसके अलावा, पाकिस्तान की नौसेना क्षमता भारत के इन महाबलियों के आगे बिल्कुल भी नहीं टिक पाएगी।
भारतीय नौसेना की नई तकनीक और गुप्त संचालन क्षमताएं जैसे स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियां और स्टेल्थ युद्धपोत कहीं न कहीं भारत के पक्ष को और मजबूत बना रही हैं। चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह परियोजना को ध्यान में रखते हुए भारत की नौसेना इन दोनों देशों के लिए एक चुनौती बनकर उभरी है। भारत की बढ़ती समुद्री ताकत न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।