समंदर में भारत की ताकत
भारत कभी भी आक्रमणकारी नहीं रहा। भारत विस्तारवाद नहीं, विकासवाद की भावना
‘‘जहां शस्त्र बल नहीं
वहां शास्त्र पछताते और रोते हैं
ऋषियों को भी तप में सिद्धि तभी मिलती है
जब पहरे में स्वयं धनुंधर राम खड़े होते हैं।’’
भारत कभी भी आक्रमणकारी नहीं रहा। भारत विस्तारवाद नहीं, विकासवाद की भावना से काम करता है। भारत ने हमेशा खुले सुरक्षित समावेशी और समृद्ध दुनिया का समर्थन किया है। हर देश को अपनी सुरक्षा का अधिकार है और भारत भी जल, थल, नभ गहरे समुंद्र और असीम अंतरिक्ष में अपने हितों की सुरक्षा कर रहा है। भारत में भी ऋषि-मुनियों के यज्ञ तभी सफल होते थे जब श्रीराम धनुष लेकर राक्षसों का नाश करते थे। भारत को शास्त्र के साथ-साथ आधुनिक शस्त्रों की भी जरूरत है। भारतीय सेना अपने अदम्य साहस और शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय सेना देश की रक्षा करने के साथ-साथ मानवता की रक्षा बढ़-चढ़कर करती है। अगर भारतीय सेना का कोई वीर सपूत देश के लिए शहीद होता है तो उसकी शहादत पर आंसू केवल उसका परिवार ही नहीं बहाता बल्कि उसके परिवार के रूप में पूरा देश आंसू बहाता है। जिस तरह की परिस्थितियां वैश्विक स्तर पर बनी हुई हैं उसे देखते हुए सशस्त्र बलों को मजबूत बनाया जाना बहुत जरूरी है।
वर्तमान में युद्ध जमीन पर कम आकाश और जल में ज्यादा लड़े जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय सेनाओं को िकसी भी चुनौती का सामना करने के िलए तैयार किया जा रहा है। भारत और फ्रांस ने 63 हजार करोड़ की राफेल डील पर हस्ताक्षर किए। इस डील के तहत भारतीय नौसेना को 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान मिलेंगे। भारत के पास पहले से ही 36 राफेल विमान हैं। 2016 में ही इन विमानों की खरीद के लिए फ्रांस की कम्पनी के साथ डील हुई थी। भारतीय नौसेना की जरूरतों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सिमति ने इस सौदे को मंजूरी दी थी। भारत के युद्ध पोतों के नए फाइटर जेट्स की जरूरत महसूस की जा रही थी। रखरखाव संबंध मामलों को लेकर िमग-29 फाइटर जेट अब पहले की तरह काम नहीं कर रहे हैं। फ्रांस ने राफेल मरीन विमानों को युद्ध पोत पर तैनात करने के हिसाब से ही डिजाइन किया है। फ्रांस की सेना पहले से ही इसका इस्तेमाल कर रही है। इस सौदे के साथ ही समुन्दर में ताकत बढ़ाने के चीनी मंसूबे पर भारत ने पानी फेरने का पूरा बंदोबस्त कर िलया है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद नौसेना ने दुश्मनों को कड़ा संदेश देते हुए एक महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षण भी किया था। यह मिसाइल परीक्षण नौसेना ने अपने डिस्ट्रॉयर शिप आईएनएस सूरत से अरब सागर में किया था। नौसेना ने मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि राफेल-एम मिलने के बाद नौसेना की ताकत कई गुणा बढ़ जाएगी। चीन जिस तरह से हिन्द प्रशंात क्षेत्र में अपनी धौंस जमाने में जुटा हुआ है और भारत पूरे हिन्द महासागर क्षेत्र में अन्य देशों की मदद करने के लिए हाथ बढ़ाने वाले देश के रूप में उभरा है, इसके लिए नौसेना को अति आधुनिक बनाया जा रहा है। इसी वर्ष 15 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन प्रमुख नौसैनिक युद्धपोतों आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी और आईएनएस वागशीर को नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाने के मौके पर कहा था कि भारत पूरे विश्व और विशेषकर ग्लोबल साऊथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा है। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारतीय सेना को आत्मनिर्भर बनाने में जुटेे हुए हैं।
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच स्थितियां तनावपूर्ण हैं। जंग और युद्धाभ्यास के लिए राफेल बहुत खास माना जाता है। नया राफेल मरीन पिछले राफेल से थोड़ा छोटा है। इसे खासतौर पर इसलिए डिजाइन किया गया है कि विमान वाहक युद्धपोतों से सीधे दुश्मन पर हमला किया जा सके और आसानी से युद्धपोत पर लैंड कर सके। यही वजह है कि राफेल मरीन में लैंडिंग गियर के साथ एयर फ्रेम को पहले से ज्यादा पावरफुल बनाया गया है। इसके फोल्डिंग विंग्स को पावरफुल बनाया गया है। राफेल-एम पाकिस्तान और चीन के फाइटर जेट से बेहतर है। इसे पड़ोसी देश पाकिस्तान के एफ-16 और चीन के जे-20 फाइटर जेट से कहीं ज्यादा पावरफुल बताया गया है। भारत का राफेल मरीन एक मिनट के अंदर 18 हजार मीटर की ऊंचाई में पहुंचने की क्षमता रखता है। इसका कॉम्बेट रेडियस 3700 किमी है। राफेल की तरह राफेल मरीन हवा में ईंधन भरने की क्षमता रखता है। राफेल-एम में एक जंप स्ट्रट नोज व्हील का इस्तेमाल किया गया है, यह टेकऑफ के दौरान फैल जाता है।
इसके अलावा इस विमान में बिल्ट इन लैडर (सीढ़ी) होती है जिससे युद्धपोत से विमान के कॉकपिट में पहुंचने का काम आसान होता है। अलग से सीढ़ी नहीं लगानी पड़ती। राफेल-एम में खास तरह के माइक्रोवेव लैंडिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है जिसके कारण राफेल और राफेल एम विमान वजन में भी अलग हैं। राफेल के मुकाबले राफेल-एम का वजन थोड़ा ज्यादा है। इसका वजन करीब 10,300 किलो है। भारतीय नौसेना के मिग-29 के फाइटर जेट के साथ राफेल मरीन की तैनाती आईएनएस विक्रमादित्य पर होगी। मिग-29 के फाइटर जेट 65 हजार फीट से अधिक ऊंचाई तक उड़ानें भरने की क्षमता रखता है। यह अत्याधुनिक वेपन सिस्टम से लैस है। हवा, समुंद्र और जमीन पर टार्गेट करके हमला कर सकता है। अब मिग-29 के और राफेल मरीन मिलकर भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएंगे और दुश्मनों के इरादों को नाकाम करेंगे।
शास्त्र और शस्त्र में बुद्धि और बल का आपसी समन्वय होता है। शास्त्र जीवन के लिए व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं। शास्त्र जीवन जीना िसखाता है और शस्त्र जीवन की रक्षा करना सिखाता है। शस्त्र से शक्ति मिलती है और आज के विश्व में शक्ति से ही सम्मान मिलता है। विष्णु जी का सुदर्शन चक्र, शिवजी का त्रिशूल, ब्रह्मा जी के वेद, देवी मां के हाथों में हथियार शस्त्रों का महत्व ही प्रदर्शित करते हैं। भारतीय सेना आज दुनिया की शक्तिशाली सेना बन गई है।