भारत का ‘सुदर्शन चक्र’
रुका नहीं जब मौत का तांडव, प्रेम-घृणा को बांध न पाया।
धर्म पराजय देख के निश्चित, कृष्ण सुदर्शन चक्र उठाया।
सूरज को घेरा जब तम ने, न्याय, मूंद आंखें भय खाया ।
नीति दफन हुई ग्रंथों में, कृष्ण सुदर्शन चक्र उठाया।
भगवान विष्णु और श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र के बारे में हम सब परिचित हैं। भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल महाभारत में किया था। पुराणों के अनुसार सुदर्शन चक्र एक ऐसा अचूक शस्त्र था जिसे छोड़ने के बाद वह अपने लक्ष्य का पीछा करता था और उसे खत्म करने के बाद अपने छोड़े गए स्थान पर वापस आ जाता था। श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र से प्रेरित होकर भारत ने अपना नया रक्षा कवच बनाने की ओर कदम बढ़ा दिया है। ओडिशा के तट पर एकीकृत हवाई रक्षा हथियार प्रणाली (डिफैंस वेपन सिस्टम) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक कर लिया है। इसे विकसित करने वाले प्रतिष्ठान डीआरडीओ की इस उपलब्धि पर समूचे राष्ट्र को गर्व है। डिफैंस वेपन सिस्टम का पहला परीक्षण ऑपरेशन सिंदूर के साढ़े तीन महीने बाद हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से सुदर्शन चक्र मिशन की घोषणा की थी। नया सुरक्षा कवच अगले कुछ वर्षों में तैयार हो जाएगा जो दुश्मनों के लिए काल साबित होगा। भारत सुरक्षा संबंधी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत को एक व्यापक बहुस्तरीय सुरक्षा रणनीति की जरूरत है। प्रमुख सैन्य प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता एक मजबूत कदम का संकेत है। राष्ट्र वही जिंदा रहते हैं जो समय-समय पर व्यापक सामरिक रणनीति को तैयार करते रहते हैं। महत्वपूर्ण नागरिक बुनियादी ढांचे भारत की आर्थिक रीढ़ हैं और उनकी सुरक्षा के लिए तुरंत बड़े कदम उठाने की जरूरत थी। इसलिए मिशन सुदर्शन चक्र बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्रधनामंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की सीमाओं, सेना के ठिकानों, बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रतिष्ठानों, सार्वजनिक स्थलों और बड़े शहरों की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित भी किया था।
अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैन्य ठिकानों, लड़ाकू विमानों और शहरों पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों की योजना आधुनिक खतरों की बहुआयामी प्रकृति को दर्शाती है। हालांकि भारत की मौजूदा प्रणालियों ने इन हमलों को सफलतापूर्वक रोक दिया लेकिन ऐसे प्रयासों की आवृत्ति और परिष्कार बढ़ रहा है, जिसके लिए अधिक व्यापक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। आधुनिक युद्ध पारंपरिक मिसाइल हमलों से कहीं आगे तक फैला हुआ है। आज के ख़तरों में साइबर युद्ध, ड्रोन हमले, हाइपरसोनिक हथियार और समन्वित बहु-क्षेत्रीय हमले शामिल हैं जो पारंपरिक रक्षा प्रणालियों को ध्वस्त कर सकते हैं। पाकिस्तान द्वारा हाल ही में उन्नत मिसाइल तकनीक हासिल करने और क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य क्षमताएं एक ऐसा वातावरण तैयार कर रही हैं जहां आंशिक सुरक्षा भी कोई सुरक्षा नहीं है।
भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि ने कई उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों को जन्म दिया है -बेंगलुरु और हैदराबाद के तकनीकी केंद्रों से लेकर गुजरात और महाराष्ट्र के औद्योगिक परिसरों तक। इन सुविधाओं पर सफल हमलों से होने वाला संभावित आर्थिक नुक्सान भारत के विकास को दशकों पीछे धकेल सकता है। भारत का विकसित किया जा रहा उन्नत मिसाइल डिफेंस सिस्टम 'सुदर्शन चक्र' अपनी तकनीकी क्षमताओं के कारण बेहद खास है। यह सिस्टम 2500 किलोमीटर तक की रेंज में दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम होगा और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवा में किसी भी मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकेगा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जो इसे बेहद सटीक निशाना साधने की क्षमता देता है।
सुदर्शन चक्र 5 किलोमीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार से मिसाइल दाग सकता है और इसकी संरचना एक ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम पर आधारित है, जिसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क दोनों शामिल हैं। इसका लक्ष्य दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों को निष्क्रिय करना है। सरकार ने इसे 2026 तक पूरी तरह से तैनात करने का लक्ष्य रखा है और इसकी अनुमानित लागत करीब 50,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। रक्षा क्षेत्र में भारत के पास जल-थल-नभ में अपनी ताकत है। देश में ही बनाए गए आधुनिक मिसाइल सिस्टम जैसे आकाश, पिनाका सिस्टम काफी सफल रहे हैं। भारत अब नए तरह की टार्गेेटेड एक्शन मिसाइल के निर्माण की तैयारी कर रहा है। पनडुब्बियां और युद्धपोत भी बनाए जा रहे हैं। जब युद्ध के मैदान में तकनीक हावी हो रही हो तो भारत को अपनी सुरक्षा नीतियों को उसी स्तर पर अपग्रेड करना होगा। विकास तभी काम का है जब देश सुरक्षित है।