कल के तूफ़ान में टूटी Indigo की नाक, जानें किससे बनी होती है, उड़ते हुए ये टूट जाए तो क्या होता है?
विमान की नाक टूटने पर क्या होता है?
उत्तर भारत में खराब मौसम के चलते इंडिगो की फ्लाइट 6E2142 की नाक टूट गई। ओलों की टकराने से विमान के आगे के हिस्से को नुकसान हुआ, लेकिन पायलट ने यात्रियों को सुरक्षित उतार दिया। विमान की नाक कई धातुओं से बनी होती है, जैसे कार्बन फाइबर और एल्युमिनियम अलॉय, जो हल्के और मजबूत होते हैं।
बीते दिन बुधवार की रात 8 बजे के आसपास उत्तर भारत में मौसम खराब हुआ। तेज आंधी-तूफान के बाद भारी बारिश हुई। बारिश के साथ-साथ कई जगहों पर ओले भी पड़ें। इससे हवा में उड़ती हुई इंडिगो फ्लाइट प्रभावित हुई। मौसम खराब होने की वजह से इंडिगो फ्लाइट की नक् टूट गई। ओलों की टकराने से विमान के आगे के हिस्से को नुकसान हुआ। तो चलिए जानते है इंडिगो की नाक किस धातु से बनी होती है. अगर हवा में वो टूट जाए तो विमान पर क्या प्रभाव पड़ता है।
6E2142 नंबर फ्लाइट
बता दें कि यह घटना 21 मई को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो फ्लाइट 6E2142 के साथ हुई है। विमान ने हवा में खराब मौसम का सामना किया। ओलों को टकराने से जहाज के आगे के हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए। विमान की नाक टूट गई। नोज को रैडोम भी कहा जाता है। इसके बाद भी पायलट किसी तरह से सभी यात्रियों को सुरक्षित श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतार दिया। ऐसे में सभी यात्री और विमान क्रू सुरक्षित रहे। हालांकि, जब विमान हवा में खराब मौसम का सामना कर रहा था, तो अंदर बैठे लोगों में डर का माहौल बन गया। लोग जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने लगे।
किस धातु से बनी होती है नोज ?
बड़े विमानों की नोज को कई अलग-अलग धातुओं से बनाई जाती है. विमान के प्रदर्शन और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सामग्रियों का चयन उनकी मजबूती, हल्केपन और वायुगतिकीय गुणों के आधार पर किया जाता है।
कार्बन फाइबर रिइन्फोर्स्ड पॉलिमर – कार्बन फाइबर कंपोजिट का उपयोग आधुनिक विमानों में भी तेजी से किया जाने लगा है। यह सामग्री हल्की, मजबूत होती है और बेहतर क्रैश प्रतिरोध प्रदान करती है।
एल्युमिनियम अलॉय – एल्युमिनियम मिश्र धातु (जैसे 2024-T3, 6061) का उपयोग पारंपरिक रूप से विमान के नाक के लिए किया जाता है क्योंकि वे हल्के, मजबूत और अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं।
टाइटेनियम अलॉय – कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि विमानों में जहां ज्यादा मजबूती और तापमान सहनशीलता की जरुरत होती है, वहां टाइटेनियम अलॉय का भी उपयोग किया जाता है।
हवा में नोज टूटने पर क्या होता है?
बता दें कि विमान की नोज कोन का काम हवा के प्रतिरोध को कम करना और विमान को स्थिर रखना है। अगर नोज टूट जाए तो हवा को काटने में परेशानी होती है, जिससे विमान अस्थिर हो सकता है। और बैलेंस बनाने में दिक्कत हो सकती है। नोज के अंदर रडार, मौसम सेंसर और अन्य अहम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते हैं। नोज टूटने की स्थिति में ये उपकरण काम करना बंद कर देते हैं। जिससे पायलट को मौसम या दिशा की सही जानकारी नहीं मिलती है, और विमान हादसे का शिकार हो जाता है। ऐसे हालात में विमानों को इमरजेंसी लैंडिंग की ज़रूरत पड़ सकती है.
भारत में कहां होती है विमानों की नोज की मरम्मत?
भारत में अब विमानों की मरम्मत और रखरखाव की सुविधाएं तेजी से विकसित हो रही हैं. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, त्रिवेंद्रम, हैदराबाद और नागपुर जैसे शहरों में MRO सेंटर मौजूद हैं, जहां विमानों के विभिन्न हिस्सों की मरम्मत की जाती है. ये एयरपोर्ट एरिया में ही होते हैं.
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