धरती में धंसा, एक महीने भीषण आग की चपेट में जला, लेकिन नहीं बिगड़ी शान, जानें क्या है इंदौर के राजवाड़ा इमारत की कहानी
Indore Rajwada Mahal History: मध्य प्रदेश के शहर इंदौर की बात करें तो वह भारत के सबसे स्वच्छ शहरों की लिस्ट पर सबसे ऊपर आता है। लेकिन इस शहर की पहचान यहीं तक सीमित नहीं है। इंदौर की पहचान यहां के राजवाड़ा इमारत से भी जानी जाती है। ये कोई साधारण इमारत नहीं है, बल्कि यह शहर की पहचान, भावनाओं और गौरव का प्रतीक है।
इंदौरियों की खुशियों से लेकर मुश्किल समय तक, हर पल में राजवाड़ा ने शहर का साथ दिया है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आज जो राजवाड़ा अपनी शान बिखेर रहा है, वह एक समय ऐसे हादसे से गुजर चुका है जिसने इसकी पूरी बनावट और पहचान को मिटा देने की कोशिश की थी।
Indore Rajwada Mahal History: 1984 की आग, एक दर्दनाक घटना
साल 1984 में, जब देश पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा से जूझ रहा था, उसी उथल-पुथल ने इंदौर के ऐतिहासिक राजवाड़ा को भी अपनी चपेट में ले लिया। राजवाड़ा के इतिहासकार और पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. डी.पी. पांडे के अनुसार, उस समय महल का बड़ा हिस्सा लकड़ी से बना हुआ था। राजवाड़ा के पास स्थित एक सिख जूते-चप्पल की दुकान में उपद्रवियों ने आग लगा दी। तेज हवा और लकड़ी की संरचना के कारण आग पल भर में महल के अंदर तक फैल गई। लकड़ी के कई कमरे और गलियारे कुछ ही देर में भस्म हो गए। ये वही हिस्से थे जो होलकर वंश के इतिहास और इंदौर की प्राचीन संस्कृति को संजोए हुए थे।
Rajwada Indore History: लपटों से जूझता राजमहल
फायर ब्रिगेड के रिकॉर्ड बताते हैं कि राजवाड़ा में लगी आग को पूरी तरह काबू करने में एक महीने से भी अधिक वक्त लगा। आग इतनी गहरी उतर चुकी थी कि एक हिस्से को बुझाते ही दूसरे हिस्से में आग फिर भड़क उठती थी। लकड़ी की परतों के भीतर धँसी आग को शांत करना बेहद मुश्किल हो गया था। इस भीषण आग में अनगिनत ऐतिहासिक चीजें, दुर्लभ कलाकृतियां, फर्नीचर, पुराने चित्र, दस्तावेज़ और कई कीमती वस्तुएं हमेशा के लिए नष्ट हो गईं। यह घटना न सिर्फ इमारत का नुकसान थी, बल्कि इंदौर की सांस्कृतिक धरोहर पर गहरा घाव थी।
Rajwada Mahal Fire Incident History: पुनर्निर्माण की शुरुआत, इंदौर का हौसला
लेकिन इंदौर ने कभी हार नहीं मानी। शहरवासियों और होलकर परिवार ने मिलकर राजवाड़ा को दोबारा खड़ा करने का निर्णय लिया। वर्षों तक चली कड़ी मेहनत, करोड़ों रुपये की लागत और तमाम कठिनाइयों के बाद राजवाड़ा को नया रूप दिया गया। बाद में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजवाड़ा को और भी सुंदर व पारंपरिक रूप में पुनर्जीवित किया गया। इसे उसी पुरानी शैली में सजाया गया, जैसी इसकी पहचान सदियों पहले हुआ करती थी, लकड़ी की नक्काशी, पारंपरिक द्वार और भव्य दरबार की याद दिलाते हुए।
Indore Rajwada Mahal History (credit-sm)
राजवाड़ा का इतिहास, वास्तुकला की अनूठी मिसाल
राजवाड़ा का निर्माण 18वीं शताब्दी में होलकर राज्य के संस्थापक मल्हार राव होलकर द्वारा करवाया गया था। यह सात मंजिला राजमहल मराठा और मुगल वास्तुकला का एक शानदार मिश्रण है।
महल दो बड़े हिस्सों में बंटा था:
- निचला हिस्सा पत्थर से बना हुआ
ऊपरी तीन मंजिलें पूरी तरह लकड़ी की
जो इसे अनोखी पहचान देती थीं। कभी यह महल होलकर वंश का निवास स्थान और प्रशासनिक केंद्र हुआ करता था, जहां से पूरा इंदौर संचालित होता था। आज का राजवाड़ा केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह इंदौर की कहानी, संघर्ष, गौरव और पुनर्निर्माण की मिसाल है, एक ऐसी धरोहर जिसे शहर ने अपनी जड़ों की तरह संजोकर रखा है।
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