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इनियोचोस-25 में भारत समेत 15 देशों की वायु सेनाओं का संयुक्त अभ्यास

अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए भारत का इनियोचोस-25 में भागीदारी…

07:14 AM Mar 31, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat

अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए भारत का इनियोचोस-25 में भागीदारी…

इनियोचोस-25 बहुराष्ट्रीय एयरफोर्स अभ्यास में भारत समेत 15 देशों की वायु सेनाएं ग्रीस में 31 मार्च से 11 अप्रैल तक भाग ले रही हैं। यह अभ्यास वायु सेनाओं के कौशल को सुधारने, सामरिक ज्ञान का आदान-प्रदान करने और सैन्य संबंधों को मजबूत करने का एक मंच प्रदान करता है। भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआई, आईएल-78 और सी-17 विमान भी इसमें शामिल हैं।

15 देशों की वायु सेनाओं का एक बहुराष्ट्रीय एवं महत्वपूर्ण एयरफोर्स अभ्यास इनियोचोस-25 सोमवार से प्रारंभ हो गया है। भारत इस बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास का हिस्सा है। भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस, इजरायल , स्पेन, इटली और ग्रीस जैसे देश एयरफोर्स के अभ्यास में शामिल हुए हैं। यह अभ्यास ग्रीस में सोमवार 31 मार्च से प्रारंभ हुआ है। इस बहुराष्ट्रीय अभ्यास में पोलैंड, कतर, यूएई, स्लोवेनिया भी हिस्सा ले रहे हैं। वहीं साइप्रस का प्रतिनिधित्व उसके सपोर्ट स्टाफ द्वारा किया जा रहा है। बहरीन और स्लोवाकिया की सैन्य टीमें यहां बतौर पर्यवेक्षक शामिल हैं।

ग्रीस में आयोजित हो रहा वायु सेनाओं का यह युद्धाभ्यास भविष्य के जटिल वायु युद्धों व इन युद्धों की रणनीतियों का प्रशिक्षण प्रदान करेगा। ‘इनियोचोस-25’ बहुराष्ट्रीय एयरफोर्स युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए भारतीय दल सोमवार को ग्रीस पहुंचा है। यहां 15 देश आधुनिक वायु युद्ध के परिदृश्यों के आधार पर अभ्यास का हिस्सा बन रहे हैं।

इनियोचोस-25 अभ्यास की गतिविधियां ग्रीस के एन्ड्राविडा एयर बेस से संचालित किए जा रहे हैं। यहां सोमवार को भारत के अलावा इटली, कतर, यूएई आदि देशों के विमान उतरे। भारत का मानना है कि इस बहुराष्ट्रीय अभ्यास से न केवल भारतीय वायुसेना की परिचालन क्षमता सुदृढ़ होगी, बल्कि यह भागीदारी विभिन्न देशों को आपसी समन्वय और पारस्परिक सीखने के अवसरों को भी बढ़ावा देगी। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इनियोचोस-25 में भारतीय वायुसेना की भागीदारी भारत की वैश्विक रक्षा सहयोग और परिचालन उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभ्यास भारत की सामरिक साझेदारियों को मजबूत करेगा। इसके साथ ही यह अभ्यास भारत व उसके मित्र देशों के बीच संयुक्त संचालन में क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाएगा।

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