पंजाब के सरकारी स्कूलों में तेलुगू भाषा और संस्कृति का ज्ञान बढ़ाने की पहल
पंजाब के बच्चों को तेलुगू भाषा का प्रशिक्षण
पंजाब के सरकारी स्कूलों में तेलुगू भाषा और दक्षिणी संस्कृति सिखाने की पहल की गई है। 25 मई से 5 जून तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत बच्चे तेलुगू भाषा की बुनियादी जानकारी और दक्षिण की संस्कृति की विविधताओं को सीख रहे हैं। यह पहल एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत संस्कृति और भाषाओं का ज्ञान बढ़ाने के लिए की गई है।
नई शिक्षा नीति के तहत देशभर में अलग-अलग राज्यों के बच्चों को अलग-अलग राज्यों की भाषाओं और संस्कृति की जानकारी देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जिसके तहत अब पंजाब के बच्चे दक्षिणी राज्यों का ज्ञान हासिल कर रहे हैं। पंजाब के सरकारी स्कूलों में बच्चों को तेलुगू भाषा और दक्षिणी संस्कृति की जानकारी दी जा रही है। इसके तहत पंजाब का शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों के लिए विशेष समर कैंप आयोजित कर रहा है। जिसके तहत 25 मई से 5 जून तक सरकारी स्कूलों में बच्चों को तेलुगू भाषा की बुनियादी जानकारी दी जा रही है। स्कूलों के बच्चे भी बड़ी रुचि के साथ तेलुगू भाषा का ज्ञान हासिल कर रहे हैं। स्कूल के अध्यापक मनोरंजन के माध्यम से बच्चों को तेलुगू भाषा सिखा रहे हैं। वहीं, दक्षिण की संस्कृति की विविधताएं भी सिखाई जा रही हैं। इसके तहत अब बच्चे रोजाना तेलुगू में बोलचाल की भाषा के अलावा अंक, रंगों के नाम और फलों के नाम भी सीख रहे हैं।
लुधियाना उपचुनाव के लिए 15 उम्मीदवारों के नामांकन स्वीकार, वोटिंग 19 जून को
इस अवसर पर बरनाला जिला शिक्षा अधिकारी सुनीतिंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत पंजाब के सरकारी स्कूलों में बच्चों को दूसरे राज्यों की भाषाओं का ज्ञान बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया है। एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत संस्कृति और भाषाओं का ज्ञान देने के लिए यह सात दिवसीय कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को तेलुगू भाषा सिखाई जा रही है। यह कार्यक्रम सरकारी स्कूलों में 25 मई से शुरू हो चुका है और 5 जून तक चलना है। स्कूल अध्यापक अपने स्तर पर इसका शेड्यूल बनाकर कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम में सभी कक्षाओं के विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। जिले भर से 115 स्कूल और 9 हजार से अधिक विद्यार्थी इसमें भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का परिणाम यह है कि बच्चों को दूसरी भाषाओं और संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त हो रहा है। पहले पंजाब के बच्चे पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं और संस्कृति के बारे में जानते थे, लेकिन अब बच्चों को दक्षिण भारत के राज्यों की भाषाओं और उनकी संस्कृति के बारे में ज्ञान मिल रहा है, जो सरकार की एक अच्छी पहल है। भविष्य में अगर बच्चे दक्षिण के राज्यों में जाएंगे तो वहां रहने और लोगों से संवाद करने में बच्चों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। हमारे अध्यापकों को भी तेलुगू भाषा की ट्रेनिंग के लिए दक्षिण भेजा गया था और अध्यापकों ने भी ऑनलाइन माध्यम से वहां की तेलुगू भाषा और संस्कृति के बारे में जानकारी हासिल की है।