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इंसाफ मोर्चा बरगाड़ी : मोर्चे की जीत के प्रति दृढ़ भरोसे के साथ घर से चला था चाहे शहादत क्यों ना देनी पड़े- जत्थेदार मंड

श्री अकाल तख्त साहिब के सरबत खालसा द्वारा चुने गए कार्यकारिणी जत्थेदार और पूर्व सांसद भाई ध्यान सिंह मंड की अध्यक्षता में चल रहे इंसाफ मोर्चे के 127वे दिन श्री हरिमंदिर साहिब

06:36 PM Oct 07, 2018 IST | Desk Team

श्री अकाल तख्त साहिब के सरबत खालसा द्वारा चुने गए कार्यकारिणी जत्थेदार और पूर्व सांसद भाई ध्यान सिंह मंड की अध्यक्षता में चल रहे इंसाफ मोर्चे के 127वे दिन श्री हरिमंदिर साहिब

लुधियाना-बरगाड़ी : श्री अकाल तख्त साहिब के सरबत खालसा द्वारा चुने गए कार्यकारिणी जत्थेदार और पूर्व सांसद भाई ध्यान सिंह मंड की अध्यक्षता में चल रहे इंसाफ मोर्चे के 127वे दिन श्री हरिमंदिर साहिब के हुजूरी रागीयों समेत पंजाब, हरियाणा , राजस्थान, हिमाचल और उतर प्रदेश समेत देश-विदेश से हजारों की सख्ंया में सिख संगत बरगाड़ी में इंसाफ की प्राप्ति के लिए पहुंची हुई थी। इस दौरान प्रसिद्ध कथावाचक भाई सरबतजीत सिंह लुधियाना वालों ने कहा कि हुकूमत के जबर-जुल्म के बावजूद भी सिख कौम ने साढ़े 500 साल के बहुत कम समय में जितनी उन्नति की है, उसे समस्त दुनिया मानती है।

उन्होंने इसे साहबश्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की कृपा का सदका मानते हुए शुक्राना किया। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब समस्त संसार गुरू ग्रंथ साहिब जी को अपना गुरू स्वीकार कर लेंगा। उन्होंने मोर्चे से संबंधित विचारों को सांझा करते हुए कहा कि सिख कौम को घबराने की जरूरत नहीं। यह गुरू का मोर्चा है और यहां अपने आप गुरू साहिब कोई खेल रचाएंगे और खालसे की चढ़दी कलां होंगी। उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी गुरू के साथ माथा टकराया, वह आज भी जेलों में बैठे है।

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उन्होंने भाई ध्यान सिंह मंड जत्थेदार के बारे में कहा कि मैंने यहां आकर जत्थेदार से बात की तो उन्होंने बताया कि मैं जब अपने घर से इंसाफ प्राप्ति के लिए चला था, तो दृढ़ निश्चय और गुरू महाराज का आर्शीवाद हासिल किया। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे शहादत ही क्यों ना देनी पड़े, परंतु जितनी देर मोर्चा विजयी नहीं होगा, उतनी देर वह यहां से उठकर वापिस नहीं जाएंगे।

उन्होंने जत्थेदार मंड की दृढ़ता की प्रशंसा करते कहा कि जब लक्ष्य दृढ़ हों और गुरू को हाजिर नाजर समझकर हासिल किया हो, तो उसकी सफलता को कोई नहीं रोक सकता। इस दौरान अलग-अलग सिख संगठनों के धार्मिक और सियासी नेताओं ने भी अपने-अपने विचार रखें।

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