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​पाकिस्तान की इंटरनैशनल बेइज्जती

पाकिस्तान के बारे में यह मशहूर है कि ‘चेहरे बदल जाते हैं लेकिन आइना वही रहता है।

01:52 AM Feb 02, 2022 IST | Aditya Chopra

पाकिस्तान के बारे में यह मशहूर है कि ‘चेहरे बदल जाते हैं लेकिन आइना वही रहता है।

पाकिस्तान के बारे में यह मशहूर है कि ‘चेहरे बदल जाते हैं लेकिन आइना वही रहता है।’ पाकिस्तान में अब तक कितने ही हुकमरान आए लेकिन वे पाकिस्तान की छवि नहीं बदल सके। जब से क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने सत्ता सम्भाली है तब से ही पाकिस्तान बर्बादी की ओर अग्रसर है। पाकिस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती का सामना करना पड़ रहा है लेकिन उसके हुकमरानों की खाल इतनी मोटी हो चुकी है कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर कोई प्रभावित है तो वह है पाकिस्तान का अवाम। जिसे विदेशों में संदिग्ध की नजर से देखा जाता है। पाकिस्तान को एक बार फिर वैश्विक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। अमेरिका ने सम्भावित आतंकी संबंधों के कारण पाकिस्तान के नए राजदूत मसूद खान की अमेरिका में राजदूत के रूप में नियुक्ति रद्द कर दी है। दरअसल अमेरिकी कांग्रेसमैन स्कॉट पैरी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को प​त्र ​लिखकर मसूद खान का कच्चा चिट्ठा खोला था और आग्रह किया था​ कि उसकी अमेरिका में नियुक्ति रोक दी जाए। स्कॉट पैरी ने इसे पाकिस्तान सरकार द्वारा एक जिहादी को अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में स्थापित करने का प्रयास करार दिया था। अमेरिका ने उनकी नियुक्ति को खारिज कर पाकिस्तान के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है।
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पाकिस्तान ने अमेरिकी हितों को कमजोर करने के लिए आतंकवादियों के समर्थक को नामांकित किया था। मसूद खान ने हिजबुल मुजाहिदीन समेत आतंकवादियों और विदेशी आतंकी संगठनों की प्रशंसा की थी। मीडिया रिपोर्टें बताती हैं कि मसूद खान के पाकिस्तान स्थित कई आतंकी संगठनों से संबंध रहे। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि वह हिजबुल मुजाहिदीन में काफी सक्रिय रहे हैं। मसूद खान के इतिहास और विचारधारा को लेकर अमेरिका में विरोध बढ़ रहा था। मसूद खान कश्मीर में मारे गए कई आतंकियों को मसीहा बता चुका है। मसूद खान ने युवाओं को हिजबुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर बुरहान वानी जैसे जिहादियों का अनुकरण करने के ​लिए प्रोत्साहित किया था, जिन्होंने भारत के​ खिलाफ हथियार उठाए थे। 
रावलपिंडी के पश्तून परिवार से संबंध रखने वाले मसूद खान को कट्टरपंथी शख्सियत माना जाता है। उसने करियर की शुरूआत अमेरिका में पाकिस्तान दूतावास से की थी। इसके अलावा वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। मुशर्रफ शासन के दौरान पाकिस्तान के​ विदेश कार्यालय के प्रवक्ता के रूप में भी काम किया है। कुछ समय पहले टेक्सास के सिनेगॉग में जिस पाकिस्तानी आतंकी आकिया सिद्दीकी को छुड़ाने के लिए  हमला किया गया था, मसूद खान उसकी रिहाई की मांग भी कर चुके हैं। अब जबकि पाकिस्तान एक सुपर टेरेरिस्ट के रूप में अपनी पहचान को अपना चुका है, ऐसे में अमेरिका ने मसूद खान की नियुक्ति खा​रिज  कर पाकिस्तान को उसकी औकात बता दी है। पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र बन चुका है। इमरान खान की नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करके रख दिया है। अर्थव्यवस्था की पिच पर इमरान खान बोल्ड हो चुके हैं। आर्थिक तौर पर देखें तो पाकिस्तान भारत के मुकाबले कहीं नहीं टिकता। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जबकि पाकिस्तान कर्ज में डूबता जा रहा है। 
इमरान खान को स्थिति को स्वीकर करना पड़ा है क्योंकि महंगाई ने सारे पुराने रिकार्ड तोड़ दिए और आम जनता की मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं। एक कार्यक्रम के दौरान इमरान खान ने यह कहकर जग हंसाई करवाई थी कि महंगाई की समस्या उन्हें रात को सोने नहीं देती। हालांकि दूसरे ही पल उन्होंने महंगाई को वैश्विक समस्या बताकर सवाल को टाल दिया था। पाकिस्तान की हालत यह है कि इमरान खान एक बार फिर चीन जाकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आगे भीख का कटोरा फैलाएंगे और चीन से 3 बिलियन डॉलर की मदद मांगेंगे ताकि पाकिस्तान में घटते विदेशी मुद्रा भंडार को सम्भाला जा सके। इसके साथ ही इमरान सीपीईसी यानि (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) को लेकर चीन को मनाने की कोशिशें कर सकते हैं, जिसमें काफी देरी हो रही है। चीन पहले भी पाकिस्तान को कई बार अपमानित कर चुका है। चीन ने विभिन्न माध्यमों से पाकिस्तान को अब तक 11 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में चीन के 16.1 बिलियन डॉलर हैं। इस कर्ज के बदले पाकिस्तान ने चीन को ब्याज के तौर पर 26 बिलियन डालर का भुगतान किया है।
पिछले महीने ही पाकिस्तान ने सऊदी अरब से भी 3 बिलियन डॉलर का कर्ज लिया था। सबसे बड़ा सवाल यही है कि पाकिस्तान की आर्थिक तंगहाली के लिए  जिम्मेदार कौन है। पाकिस्तान ने जितना धन आतंकवाद को सींचने में खर्च किया  है अगर उतना धन वह शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर खर्च करता तो आज पाकिस्तान की तस्वीर कुछ और होती। बच्चों के हाथों में बंदूकें पकड़वाकर आप विनाश को ही न्यौता देते हैं। पाकिस्तान के हुकमरानों ने अब तक ऐसा ही किया है। पाकिस्तान की सियासत भारत विरोध पर केन्द्रित है और सत्ता के लिए  कोई भी हुकमरान भारत विरोध की राजनीति से अलग नहीं रह सकता। दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान में आधा अधूरा लोकतंत्र है और वहां सेना ने कई बार लोकतंत्र को अपने बूटों के तले रौंदा है।  ऐसे हालातों में आबादी के बीच सामाजिक सुरक्षा का नितांत अभाव है। केवल 10 फीसदी लोग ही टैक्स देते हैं। विदेशी संस्थाएं वहां निवेश करने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में चीन के आगे झोली फैलाना पाकिस्तान के लिए फजीहत भरा ही होगा। देखना होगा इमरान खान कब तक सत्ता में टिके रह सकते हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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