International Literacy Day: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस? जानें इसका इतिहास और महत्व
International Literacy Day: हर साल 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को साक्षरता के महत्व के बारे में जागरूक करना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि साक्षरता केवल पढ़ना-लिखना नहीं बल्कि, व्यक्ति को अपने अधिकारों को समझने, सशक्त बनने और समाज में सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी है। साक्षरता दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है, इस मौके पर समाज में शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
भारत में भी साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान का संचालन किया है, ताकि हर कोई पढ़ाई के लिए अग्रसर हो सके। 2025 में भारत ने साक्षरता दर में प्रगति तो की है, लेकिन अभी भी कुछ गरीब तबकों, महिलाओं, ग्रामीण इलाकों तक शिक्षा पहुंचाना एक चुनौती है। इसी दिशा में नई शिक्षा नीति 2020 एक बड़ा कदम है, जो शिक्षा को समावेशी, बहु-विषयक और 21वीं सदी की मांगों के अनुरूप बनाती है। आइए जानते हैं कि साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे क्या इतिहास है:-
साक्षरता दिवस 2025 थीम (International Literacy Day 2025 Theme)
'डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना', यह अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की थीम है। इस थीम का उद्देश्य है कि आज के डिजिटल युग में सिर्फ किताबी पढ़ाई लिखाई ही नहीं, बल्कि डिजिटल उपकरणों और ऑनलाइन जानकारी के बारे में जानने और उन्हें सुरक्षित उपयोग करने पर भी जोर देती है। इसके पहले साल 2024 साक्षरता दिवस की थीम "बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: आपसी समझ और शांति के लिए साक्षरता" थी। हर साल साक्षरता दिवस की एक अलग थीम होती है, जो साक्षरता को बढ़ावा देती हैं।
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास (History Of International Literacy Day)
ईरान के तेहरान में 1965 में निरक्षरता उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों का एक विश्व सम्मेलन आयोजित हुआ था। इस सम्मलेन ने वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने का विचार रखा। इसके बाद 1966 में यूनेस्को ने अपने 14वीं जनरल कॉन्फ्रेंस आधिकारिक तौर पर 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया था। पहली बार 8 सितंबर, 1967 में दुनिया ने इस खास दिन को मनाया था। इसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को शिक्षा से जोड़ना और निरक्षरता को जड़ से मिटाना था। तभी से पूरी दुनिया में यह शिक्षा और साक्षरता को लेकर जागरूक करने का प्रतिक बन गया है।
आज भी दुनियाभर में लाखों लोग शिक्षा से वंचित हैं, जो गरीबी, स्वास्थ्य समस्याओं और सामाजिक भेदभाव का कारण बनता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि शिक्षा एक मानवाधिकार भी है। सभी देशों को प्रयास करना चाहिए कि वह अपने नागरिकों को शिक्षित करके साक्षर बनाएं और निरक्षरता को जड़ से मिटाएं।
साक्षरता दिवस का महत्व (Importance of Literacy Day)
साक्षरता सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि बदलाव की शुरुआत है। साक्षरता दिवस, हमें याद दिलाता है कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीना का तरीका, समाज में सम्मान और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है। जिस देश में साक्षरता दर ज्यादा होगी वहां गरीबी, बेरोजगारी, स्वस्थ समस्याएं नहीं होंगी। इसलिए शिक्षा जरुरी है, हर व्यक्ति को शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए। आज के डिजिटल युग में सिर्फ अक्षरज्ञान ही नहीं, बल्कि डिजिटल साक्षर होना भी जरुरी हो गया है।
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