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चीन के जाल में फंसा पाकिस्तान

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08:32 AM Sep 12, 2018 IST | Desk Team

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पाकिस्तान दिन-पर-दिन कर्ज तले डूबता जा रहा है। पहले से ही आर्थिक संकट से तबाह पाकिस्तान की मुश्किलें अब बहुत बढ़ चुकी हैं। उसके पुराने साथी अमेरिका ने आतंकवाद को प्रश्रय देने के कारण उसे दी जाने वाली 30 करोड़ डालर की सैन्य आर्थिक सहायता बंद कर दी है, इससे पाकिस्तान के नए हुक्मरान इमरान खान की नींद उड़ चुकी है। पाकिस्तान भुगतान संकट के चलते चीन से मदद की गुहार लगा रहा है। पाकिस्तान का चीन और इसके बैंकों से इस वित्तीय वर्ष में लिया गया कर्ज पांच बिलियन डॉलर तक पहुंचने के कगार पर है। पाक का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने को है। कई विश्लेषकों ने भविष्यवाणी कर दी है कि पाक को अब दूसरी बार अंतर्राष्ट्रीय मॉनेटेरी बेलआउट पैकेज की जरूरत पड़ सकती है। पाकिस्तान मदद के लिए बीजिंग पर निर्भर होता जा रहा है। चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड के तहत बनाए जा रहे चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की वजह से दोनों देशों के तहत मजबूत और सैन्य सांझेदारी की जरूरत है लेकिन पाकिस्तान इस दोस्ती की वजह से चीन के कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है।

चीन किसी भी देश में निवेश या मदद करता है तो उसके पीछे स्वार्थ ही होता है। चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया और कर्ज के जाल में फंसे श्रीलंका ने मजबूर होकर चीन को रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह 99 वर्ष के लिए लीज पर दे दिया। श्रीलंका का उदाहरण यह समझने के लिए काफी है कि चीन का कर्ज आधारित माडल कैसे काम करता है। श्रीलंका के गृहयुद्ध के अंत में श्रीलंका ने अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 15 बिलियन डालर (चीनी मुद्रा में) हासिल किए थे जिसे वह चुका ही नहीं पाया। चीन एशिया में अपने प्रभुत्व को बनाए रखने और देशों पर नियंत्रण की मंशा पूरी करने के लिए लगातार कर्ज दे रहा है। जिबूती, मालदीव, मंगोलिया, लाओस, मोंटेनीग्रो, ता​जिकिस्तान, किर्गिस्तान, म्यांमार और नेपाल ऐसे मुल्क हैं, जो पारदर्शिता के अभाव आैर गोपनीय शर्तों के चलते कर्ज चुकाने में कामयाब नहीं होंगे और चीन के डेब्ट ट्रैप का शिकार हो जाएंगे। मलेशिया चीन की चाल को भांप चुका है और उसने चीन के महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट रोक दिए हैं। तीन देशों ने कर्ज नहीं चुकाया तो चीन ने उनकी महत्वपूर्ण जगह हथिया ली। इसी तरह पाक का सामरिक महत्व वाला ग्वादर पोर्ट चीन के कब्जे में है और वह वहां कालोनी बनाने जा रहा है।

मालदीव के कर्ज में 80 फीसदी हिस्सा चीन का है। अब पाकिस्तान की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के चक्कर में पाक पर महंगा कर्ज बढ़ता चला गया। चीन अब कह रहा है कि उसने पाकिस्तान पर कर्ज नहीं थोपा। चीन दावा कर रहा है कि उसके प्रोजैक्ट पूरा होने के बाद देश को व्यापक आर्थिक लाभ होंगे आैर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। अब प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाक सरकार चीन की परियोजनाओं से खुश नहीं है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा एशिया और यूरोप को पुराने रेशम सिल्क रूट से जोड़ने की योजना है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार के मंत्री और सलाहकारों का कहना है कि इस समझौते से चीनी कंपनियों को अनुचित रूप से लाभ हुआ है।

कहा जा रहा है कि सीपीईसी परियोजनाओं में पारदर्शिता का अभाव था और कई चीजें गोपनीय रखी गईं। इमरान खान इस संबंध में चीन से दोबारा बात करने के इच्छुक हैं। उधर चीन ने आर्थिक ​गलियारा अ​फगानिस्तान तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। पाक अधिकृत कश्मीर से गुजर कर जाने वाला आर्थिक गलियारा पहले ही विवादास्पद हो चुका है। पाक अधिकृत कश्मीर के लोग पहले ही चीनी परियोजना का विरोध करते आ रहे हैं। चीनी विदेश मंत्री वांग पा​किस्तान की यात्रा पर थे। आर्थिक गलियारे के विस्तार का फैसला इमरान सरकार से मिलकर किया गया लेकिन उसने पाक को किसी नए आर्थिक पैकेज का ऐलान भी नहीं किया। चीन की मंशा पाकिस्तान की जमीन हथियाने की रही है। आर्थिक गलियारे के अफगानिस्तान तक विस्तार के नाम पर वह पाक की काफी भूमि हड़प लेगा। पाकिस्तान के लोग चीन की चाल को समझने लगे हैं और उनके भीतर आक्रोश भी पनपने लगा है।

इमरान सरकार विवश है और वह उसके जाल में फंसती जा रही है। पाकिस्तान की मुश्किलें कम नहीं होने वालीं। अमेरिका ने वैश्विक संस्थाओं को चेताया है कि वह पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता में कटौती करे। यदि पाकिस्तान को मिलने वाली अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग में कटौती होती है तो पाकिस्तान का आर्थिक चक्रव्यूह में फंसना तय है। यदि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी हाथ खींचा तो पाकिस्तान केवल चीन और सऊदी अरब पर ही निर्भर होगा। पाक का चीन की शरण में जाना भारत के लिए खतरनाक होगा। असल बात तो यह भी है कि चीन पाकिस्तान में इतना अधिक निवेश कर चुका है कि पाक ध्वस्त हुआ तो चीन को काफी नुक्सान हो जाएगा।

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