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Iran ने परमाणु कार्यक्रम पर फिर दिखाई अमेरिका-यूरोप को आंख! बनाया ये खूंखार प्लान

02:19 PM Jul 22, 2025 IST | Amit Kumar
Iran

Iran ने एक बार फिर दोहराया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। तेहरान ने अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव का जवाब देने के लिए रूस और चीन के साथ अपने रिश्ते और मजबूत कर लिए हैं। इसी रणनीति के तहत हाल ही में तेहरान में ईरान, रूस और चीन के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों की बैठक हुई।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तेहरान में हुई इस बैठक में तीनों देशों ने पश्चिमी देशों की रणनीति का मिलकर सामना करने पर चर्चा की। यह बैठक JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) के मुद्दे पर पश्चिमी देशों द्वारा बनाए जा रहे दबाव के जवाब में काफी अहम मानी जा रही है। Iranने यह स्पष्ट किया कि अब वह "मांग आधारित कूटनीति" अपनाएगा यानी अब वह अपनी राष्ट्रीय जरूरतों और हितों को प्राथमिकता देगा, न कि किसी बाहरी दबाव को।

Iran और यूरोपीय देशों की बातचीत

शुक्रवार को इस्तांबुल में ईरान और यूरोपीय देशों, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (E3) के बीच बातचीत प्रस्तावित है। यह बातचीत अमेरिका के अप्रत्यक्ष दबाव में हो रही है, जहां पश्चिमी देश ईरान को JCPOA के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं।

Iran की दो टूक

ईरान के विदेश मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनके देश को यूरेनियम संवर्धन (enrichment) का पूरा हक है, और वह किसी भी कीमत पर इससे पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब सिर्फ ईरान को दोषी ठहराना बंद किया जाए, और जो देश आरोप लगा रहे हैं, उन्हें अपने आचरण का स्पष्टीकरण देना चाहिए। (Iran)

पश्चिमी देशों की योजना

अमेरिका, इज़राइल और यूरोपीय देश मिलकर ईरान के खिलाफ एक नई रणनीति बना रहे हैं। वे चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र (UN) या अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के जरिए ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाए जाएं। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले ही इसे "लीबिया मॉडल" का नाम दे चुके हैं  यानी दबाव डालकर परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म कराना।

रूस और चीन: Iran की कूटनीतिक ढाल

ईरान जानता है कि अकेले वह पश्चिमी दबाव का सामना नहीं कर सकता। इसलिए उसने रूस और चीन के साथ मजबूत सहयोग को प्राथमिकता दी है। (Iran)ने यह भी संकेत दिया है कि अगर E3 देश दबाव बनाने की भाषा अपनाते हैं, तो वह बातचीत से हट सकता है या फिर किसी नए कूटनीतिक ढांचे की मांग करेगा।

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मिडिल ईस्ट में टकराव की आशंका

अमेरिका पहले ही 2018 में JCPOA से बाहर हो चुका है, लेकिन अब वह यूरोपीय देशों के जरिए ईरान को फिर से सीमित करना चाहता है। दूसरी ओर, ईरान रूस और चीन के साथ मिलकर पश्चिम की एकतरफा नीति को चुनौती दे रहा है। इजराइल को डर है कि अगर ईरान यूरेनियम संवर्धन जारी रखता है, तो वह जल्द ही परमाणु हथियार बनाने में सक्षम हो सकता है। यदि स्थिति और बिगड़ी, तो ईरान और इजराइल के बीच सीधा संघर्ष पूरे मध्य पूर्व को गंभीर संकट में डाल सकता है। (Iran)

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Lindsey Graham: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया में एक नई जंग छेड़ दी है, जो टैरिफ वॉर। अब अमेरिकी सीनेटर ने भारत को खुलेआम धमकी दी है। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने भारत समेत कई देशों को सीधी धमकी देते हुए कहा कि अगर वे रूस से सस्ता तेल खरीदते रहे, तो अमेरिका उनकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाने वाले हैं। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया है कि अमेरिका यूक्रेन को लगातार हथियार मुहैया करा रहा है ताकि वह रूस से मुकाबला कर सके।

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