ईरान को अब रूस से भी झटका! Nuclear Program को लेकर दे दी ये नसीहत
Nuclear Program: इजराइल के साथ 12 दिन तक चले युद्ध के बाद ईरान की आंख खुल चुकी है. ईरान को अब अपने मित्र और दुश्मन की सही-पहचान हो गई है. जहां एक ओर अधिकांश अरब देश ईरान को अकेला छोड़ चुके हैं, वहीं तुर्की और पाकिस्तान ने अमेरिका और इजराइल का पीछे से समर्थन कर विश्वासघात किया. इस बीच, अब रूस ने भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अपनी राय स्पष्ट करते हुए उसे परमाणु शक्ति बनने से रोकने की कोशिश की है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की संसद ने हाल ही में एक विधेयक पास किया, जिसके तहत ईरान ने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA के साथ अपने सहयोग को निलंबित करने का फैसला किया. अगर यह विधेयक लागू होता है, तो ईरान बिना किसी अंतर्राष्ट्रीय निगरानी के परमाणु हथियार विकसित कर सकता है. यह कदम ईरान के अंदर गुस्से का परिणाम था, खासकर इजराइल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले के बाद.
इजराइल और अमेरिका का दबाव
इजराइल और अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए ईरान के परमाणु स्थलों पर बमबारी की थी. ईरान ने इन हमलों का विरोध करते हुए कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और वह परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं रखता. इजराइल और अमेरिका का मानना है कि ईरान इन परमाणु कार्यक्रमों के जरिए परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है.
रूस का विरोध!
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दबाव बढ़ने के बावजूद, रूस ने ईरान के समर्थन में आवाज उठाई है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस संबंध में एक बयान जारी करते हुए कहा कि रूस चाहता है कि ईरान अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ अपने सहयोग को जारी रखे. उन्होंने यह भी कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का उद्देश्य केवल शांतिपूर्ण ऊर्जा उत्पादन है और इसमें कोई गलत इरादा नहीं है.
ईरान की संसद और कार्यकारी शक्ति
हालांकि ईरानी संसद ने IAEA के साथ सहयोग निलंबित करने का फैसला लिया है, लेकिन रूस ने यह भी स्पष्ट किया कि ईरानी संसद के पास इस फैसले को लागू करने की कार्यकारी शक्ति नहीं है. सर्गेई लावरोव ने कहा, “यह निर्णय केवल एक सलाहकारी प्रकृति का है और ईरानी सर्वोच्च नेता के आदेश के बाद ही कोई महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है.” उन्होंने आगे यह भी कहा कि ईरान के सर्वोच्च नेता ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उनका कोई भी उद्देश्य परमाणु हथियार बनाना नहीं है.
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दबाव
रूस, जो ईरान के साथ एक रणनीतिक साझेदारी में है, ने अमेरिका और इजराइल द्वारा किए गए हमलों की निंदा की है और कहा है कि ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए जारी रखने का अधिकार है. इसके बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दबाव लगातार बढ़ रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में ईरान और IAEA के संबंध कैसे विकसित होते हैं.
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