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ईरान : ईरान ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज द्वारा इजरायल पर ईरान के मिसाइल हमलों की निंदा किए जाने के बाद ऑस्ट्रेलियाई राजदूत इयान मैककोनविले को तलब किया है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने इस कदम को 'पक्षपातपूर्ण रुख' के खिलाफ उठाया है, जिससे स्पष्ट होता है कि ईरान ऑस्ट्रेलिया की सरकार के प्रति असंतोषित है।
Highlight :
ईरानी विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया और ओशिनिया विभाग के महानिदेशक अली असगर मोहम्मदी ने रविवार को हुई बैठक में ऑस्ट्रेलियाई सरकार के 'अनुचित और पक्षपातपूर्ण' रुख पर विरोध जताया। उन्होंने गाजा और लेबनान में इजराइली सैन्य कार्रवाइयों पर ऑस्ट्रेलिया की 'चुप्पी' की आलोचना की और इजरायल द्वारा गाजा में नरसंहार को रोकने की अपील की। ईरान ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने सहयोगियों, जैसे हमास और हिजबुल्लाह, का समर्थन करता है। 1 अक्टूबर की रात ईरान ने इजरायल पर एक बड़ा मिसाइल अटैक किया, जिसमें कम से कम 200 जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें दागी गईं। इसके परिणामस्वरूप, इजरायल में सायरन बजने लगे और लाखों लोग शेल्टर्स की ओर भागने लगे।
इस हमले का कारण ईरान ने बताया कि यह हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानिया, हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह, और ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स कमांडर जनरल अब्बास निलफोरुशन की हत्याओं के जवाब में किया गया। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इस हमले को 'कानूनी और वैध' बताया है और जुमे की नमाज के दौरान इसे सही ठहराया। इससे पहले, ईरान ने जर्मन और ऑस्ट्रियाई राजदूतों को भी तलब किया था, क्योंकि इन देशों ने ईरान के मिसाइल हमले के खिलाफ अपने विरोध को व्यक्त किया था। इस प्रकार, ईरान की विदेश नीति में साफ झलकता है कि वह अपने खिलाफ उठाए गए किसी भी कदम का मुंहतोड़ जवाब देने को तत्पर है।
इस विवाद ने क्षेत्र में बढ़ते तनाव को और बढ़ा दिया है, और कई राजनीतिक विश्लेषक इसे एक महत्वपूर्ण विकास मान रहे हैं। ईरान की कार्रवाई और प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि वैश्विक राजनीति में उसके लिए अपनी स्थिति को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। ईरान के राष्ट्रपति ने भी हाल ही में पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि वे ईरान की सीमाओं को चुनौती न दें। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों की प्रतिक्रिया क्या होगी, और क्या वे ईरान के रुख को लेकर अपने कदम उठाते हैं।
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