For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

Iran-Israel conflict: भारत ने क्यों नहीं शुरू किया ‘ऑपरेशन गंगा’ जैसा मिशन? जानिए क्या हैं मुश्किलें

फिलहाल क्या कर रहा है भारत? कौन-से देश बन सकते हैं रास्ता?

02:01 AM Jun 18, 2025 IST | Mahesh Joshi

फिलहाल क्या कर रहा है भारत? कौन-से देश बन सकते हैं रास्ता?

iran israel conflict  भारत ने क्यों नहीं शुरू किया ‘ऑपरेशन गंगा’ जैसा मिशन  जानिए क्या हैं मुश्किलें

नई दिल्ली: साल 2022 में जब रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ा तब भारत सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन गंगा’ की शुरुआत की थी। उस वक्त भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन में फंसे हुए थे और युद्ध के बीच से उन्हें निकालना भारत की बड़ी कूटनीतिक और मानवीय सफलता मानी गई थी। करीब 22,500 भारतीयों को 90 फ्लाइट्स के जरिए सुरक्षित स्वदेश लाया गया, जिनमें भारतीय वायुसेना की 14 विशेष उड़ानें भी शामिल थीं। लेकिन अब जब ईरान और इजरायल के बीच हालात बिगड़ रहे हैं और जंग जैसे हालात हैं, तो सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत इस बार वैसी ही कोई बड़ी निकासी मुहिम क्यों नहीं चला पा रहा?

ईरान से निकासी क्यों है मुश्किल?

ईरान में इस समय करीब 10,000 भारतीय नागरिक रह रहे हैं, जिनमें लगभग 2,000 छात्र, 6,000 कामगार और शिपिंग इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोग शामिल हैं। यह संख्या भले ही यूक्रेन की तुलना में कम है, लेकिन चुनौती कहीं अधिक जटिल है। यूक्रेन संकट के समय भारत को हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया जैसे पड़ोसी देशों का सहयोग मिला था, जिनके जरिए भारतीयों को वहां से निकाला गया। लेकिन ईरान की भौगोलिक स्थिति और मौजूदा राजनीतिक-सुरक्षा स्थिति इसे कहीं ज्यादा जटिल बना देती है।

ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका की एंट्री, ट्रंप ने दी ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण की चेतावनी

पाकिस्तान और अफगानिस्तान नहीं हैं विकल्प

ईरान के पूर्वी पड़ोसी पाकिस्तान और अफगानिस्तान भारत के लिए सुरक्षित या विश्वसनीय विकल्प नहीं हैं। पाकिस्तान की एयरस्पेस भारत के लिए पहले से ही बंद है और अफगानिस्तान में अभी भी कई क्षेत्रों में अस्थिरता बनी हुई है। इसके अलावा, इजरायली एयरफोर्स की ओर से ईरान के विभिन्न इलाकों में की जा रही लगातार बमबारी और हवाई हमले हालात को और कठिन बना रहे हैं। सड़क और रेलमार्ग की स्थिति भी भरोसे के लायक नहीं है।

फिलहाल क्या कर रहा है भारत?

हालांकि सरकार पूरी तरह से सतर्क है और हालात पर नजर बनाए हुए है। तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने वहां रह रहे भारतीयों को सुरक्षित स्थानों की ओर बढ़ने की सलाह दी है। अब तक की जानकारी के मुताबिक, लगभग 110 भारतीय, जिनमें ज़्यादातर छात्र हैं, आर्मेनिया की सीमा पार कर चुके हैं। 600 से अधिक भारतीयों को ईरान के शहर क़ोम में शिफ्ट किया गया है, जिसे अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जा रहा है। इनमें से 100 से ज़्यादा भारतीयों को भारत लाया जा चुका है।

कौन-से देश बन सकते हैं रास्ता?

ईरान की सीमाएं आर्मेनिया, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लगती हैं। पाकिस्तान और अजरबैजान फिलहाल भारत के लिए भरोसेमंद नहीं माने जा रहे। ऐसे में भारत की निगाहें फिलहाल आर्मेनिया और तुर्कमेनिस्तान पर टिकी हैं, जहां से जमीनी रास्ते से भारतीयों को निकाला जा सकता है।

इजरायल से निकासी की तैयारी

इस बीच इजरायल में भी स्थिति बिगड़ रही है। वहां भी सैकड़ों भारतीय नागरिक और कामगार रह रहे हैं। भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी करते हुए भारतीय नागरिकों से रजिस्ट्रेशन करने को कहा है ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें जॉर्डन या मिस्र के बॉर्डर के जरिए निकाला जा सके।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Mahesh Joshi

View all posts

Advertisement
×