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मणिपुर में एक बार फिर भड़की हिंसा: बफर जोन में महिला की मौत, किसान गंभीर घायल, तनाव चरम पर

तनाव का बढ़ता दायरा, बफर जोन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवा

01:23 AM Jun 20, 2025 IST | Priya Pathania

तनाव का बढ़ता दायरा, बफर जोन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवा

इंफाल : मणिपुर में लंबे समय से जारी जातीय तनाव ने गुरुवार को एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया। बिष्णुपुर और चुराचंदपुर जिलों की सीमा पर स्थित बफर जोन में गोलीबारी की दो अलग-अलग घटनाओं ने एक बार फिर राज्य को तनाव के मुहाने पर ला खड़ा किया है। घटनाओं में जहां एक कुकी महिला की मौत हो गई, वहीं एक मैतेई किसान गंभीर रूप से घायल हो गया।

गोलीबारी की दो घटनाएं, दो समुदायों में उबाल

पहली घटना बिष्णुपुर जिले के फुबाला गांव की है, जहां एक 60 वर्षीय मैतेई किसान निंग्टगौजम बिरेन को गुरुवार तड़के कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों ने गोली मार दी। बिरेन को पांच गोलियां लगीं और वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

इस घटना के कुछ ही घंटे बाद, चुराचंदपुर जिले के लंगचिंगमनबी गांव में एक महिला की गोली लगने से मौत हो गई। मृतका की पहचान गांव के मुखिया की पत्नी हैखोलहिंग के रूप में की गई है। कुकी समुदाय के अनुसार, यह गोलीबारी सुरक्षा बलों द्वारा की गई, जो बफर जोन में तैनात हैं। महिला की मौके पर ही मौत हो गई और उसका शव जिला मुख्यालय ले जाया गया।

तनाव का बढ़ता दायरा, बफर जोन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

बिष्णुपुर (जहां मैतेई समुदाय का बहुमत है) और चुराचंदपुर (जहां कुकी समुदाय बहुल है) के बीच चल रहे तनाव को कम करने के लिए बफर जोन बनाया गया था और वहां केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी। बावजूद इसके, 15 जून के बाद से लगातार हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं। बताया गया है कि 15 जून को कुकी समुदाय के कुछ लोगों ने मैतेई किसानों को खेती करने से रोकने की कोशिश की थी, जिसके बाद तनाव और गहराया।

बफर जोन में लगातार हो रही हिंसा और गोलीबारी की घटनाओं ने केंद्रीय बलों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नेताओं और समुदायों का आरोप है कि शांति व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षा बल असफल साबित हो रहे हैं।

राज्य में पहले से ही गहराया हुआ जातीय संकट

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच मई 2023 से जारी जातीय संघर्षों में अब तक 260 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं। राज्य में फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, लेकिन इसके बावजूद हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। हाल ही में इम्फाल ईस्ट और कांगपोकपी जिलों की सीमाओं पर भी पत्थरबाजी और टकराव की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई लोग घायल हुए हैं।

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