स्वर्ण मंदिर में तैनात था 'Iron Dome', पाक का हमला ऐसे हुआा नाकाम, सेना के अधिकारी ने किया खुलासा
स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस से पाकिस्तानी ड्रोन का मुकाबला
सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन तैनात की गई थी। पाकिस्तान के संभावित हमले को नाकाम करने के लिए सेना ने लाइटें बंद कर ड्रोन को ट्रैक किया और उन्हें नष्ट किया। मुख्य ग्रंथी की अनुमति से यह सुरक्षा प्रणाली स्थापित की गई थी।
सेना के एयर डिफेंस प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने सोमवार को बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान स्वर्ण मंदिर के प्रबंधन ने गुरुद्वारे के अंदर एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी थी। सेना को डर था कि पाकिस्तान अपने ड्रोन और मिसाइलों के जरिए स्वर्ण मंदिर पर हमला कर सकता है, जो सच साबित हुआ। समाचार एजेंसी एएनआई से खास बातचीत में सेना के अधिकारी ने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद कर दी गई हों। दुश्मन के ड्रोन को सटीक तरीके से ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने के लिए ऐसा किया गया था। इससे सेना को ड्रोन की पहचान करने और उन्हें आसानी से निशाना बनाने में मदद मिली।
‘भारत में अराजकता फैलाना चाहता था पाकिस्तान’
सेना के अधिकारी ने कहा कि ‘हमने इस बारे में गहराई से सोचा कि पाकिस्तान क्या कर सकता है। चूंकि सीमा ऐसा लक्ष्य नहीं है, इसलिए वह स्वर्ण मंदिर को निशाना बना सकता है। पाकिस्तानी चाहता था कि भारत के लोगों में भ्रम और अराजकता फैले। हमें लगा कि वे हमारी नागरिक आबादी और धार्मिक स्थलों को निशाना बना सकते हैं।’
#WATCH | Delhi: On the preparedness of Indian defence forces to thwart drone attacks, DG Army Air Defence Lt Gen Sumer Ivan D’Cunha says, “…The Russia-Ukraine clash and even to some extent the Israeli current conflict, taught us about the huge capability that drones have. We… pic.twitter.com/Xt3BEeN0aL
— ANI (@ANI) May 19, 2025
‘मुख्य ग्रंथी ने दी तोपें लगाने की इजाजत’
उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने हमें वहां अपना सिस्टम लगाने की इजाजत दी। गुरुद्वारे की प्रबंधन समिति को बड़े खतरे की जानकारी दी गई, जिसके बाद सेना की तोपें वहां तैनात की गईं। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि इस ऑपरेशन में पूर्व सैन्यकर्मियों ने सेना की काफी मदद की।
ऑपरेशन से पहले किया था अभ्यास
लेफ्टिनेंट जनरल ने आगे कहा कि पाकिस्तान ने हमारे रडार सिस्टम को पूरी तरह से उलझाने के लिए कम ऊंचाई पर बड़ी संख्या में सस्ते ड्रोन भेजे। सेना को इस तरह के हमले की आशंका थी और इस संभावित ड्रोन हमले को नाकाम करने के लिए सेना ने 26-28 अप्रैल के दौरान अभ्यास किया। इतना ही नहीं, सेना ने पाकिस्तान को धोखा देने के लिए चालाकी से काम लिया। हमारे रडार लगातार सिग्नल नहीं दे रहे थे। लक्ष्य को तोप की रेंज में उलझाने के लिए उन्हें बीच-बीच में बदला जा रहा था। दुश्मन की स्थिति और हरकतों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए रियल टाइम इंटेलिजेंस, सैटेलाइट सर्विलांस समेत एडवांस सर्विलांस सिस्टम का इस्तेमाल किया गया।
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