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शराब है या ज़हर, शराब चीज ही ऐसी है कि न छोड़ी जाए...

पिछले दिनों मुझे अश्विनी जी के साथ उनके संसदीय क्षेत्र में जाने का अवसर मिला। नलीपार में महिलाओं से मिलना हुआ। जब मैंने उनसे उनकी समस्या

12:47 AM Jul 15, 2018 IST | Desk Team

पिछले दिनों मुझे अश्विनी जी के साथ उनके संसदीय क्षेत्र में जाने का अवसर मिला। नलीपार में महिलाओं से मिलना हुआ। जब मैंने उनसे उनकी समस्या

पिछले दिनों मुझे अश्विनी जी के साथ उनके संसदीय क्षेत्र में जाने का अवसर मिला। नलीपार में महिलाओं से मिलना हुआ। जब मैंने उनसे उनकी समस्या के बारे में पूछा तो बस उन्होंने जोर-जोर से रोना आैर चिल्लाना शुरू कर दिया। हमारी समस्या एक ही है, हमारे घर वालों की शराब छुड़ाओ आैर यहां से ठेके उठवाओ। घर वाले सारा दिन शराब पीकर पड़े रहते हैं और हम सब आैरतें दिन भर काम करती हैं। वापिस आती हैं तो शराबी पतियों की गाली और मार सहती हैं। मैंने पिछले साल और जब अश्विनी जी चुनाव जीते थे तो ऐसे गांवों की समस्या पर जोरदार आवाज में अनाऊंस किया था कि जो शराब छाेड़ दे वो मुझसे 10,000 रुपए ईनाम पाए परन्तु एक भी व्यक्ति ईनाम का हकदार नहीं हुआ।

शराब और नशे को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अगर कभी इससे दूर रहने की बातें आजादी के दिनों में लोगों से कही थी तो वह गलत नहीं थी। शराब और नशा जिसको एक लत के रूप में लग जाता है तो वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है, यह सच बरकरार है। दु:ख इस बात का है कि आज शराब को जिस तरह से प्रमोट किया जा रहा है उससे इसका सेवन करने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है और क्या गांव क्या शहर हर तरफ शराब का नशा अपनी तबाही दिखा रहा है। परिवारों के परिवार उजड़ रहे हैं। क्या झोपड़ी, क्या फ्लैट, बंगला, कोठी, अमीर और गरीब हर तरफ शराब एक फैशन बन गई है। पीने-पिलाने के शुगल ने हमारे समाज में घर-परिवार तबाह कर दिए हैं। रोज-रोज के क्लेश इसी शराब को लेकर हमारे घरों के सुख-चैन खत्म कर चुके हैं। दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत में शराब और ड्रग्स ने संभ्रांत परिवारों के विशेष रूप से यूथ को अपनी चपेट में ले लिया है। पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, महाराष्ट्र, गोवा या फिर भारत का कोई बड़ा शहर हो, शराब का असर कहीं भी देखा जा सकता है। डिप्रेशन में जाकर कितने हीरो-हीरोइनों को शराब और ड्रग्स का एडिक्ट होकर हमने खबरों के रूप में उन्हें मरते हुए देखा और सुना है।

पिछले दिनों एक वीडियो, जो वायरल हो चुका है, में दिखाया गया है कि एक बच्चा अपने पिता की लाश के पास उन्हें स्कूल ले जाने के लिए उठाने की जिद्द कर रहा है। यह पिता नशे की चपेट में आकर मर चुका है और घर में बूढ़े मां-बाप परेशान हैं। पंजाबी में दर्शाया गया यह वीडियो संभवत: पंजाब का है। दु:ख इस बात का है कि राजनीतिक रूप से राज्य सरकारों को दोष दें या केंद्र सरकार को, यह बात समझ नहीं आई कि यूथ में नशे की लत डालने के लिए जिम्मेवार कौन है? देश के कुछ राज्यों में शराब बंदी भी है परंतु इसके बावजूद वहां आए दिन शराब के दौर चलते रहने की खबरें मिलती रहती हैं। हम तो यही कहेंगे कि यह नशा या शराब का सेवन किसी भी परिवार के खात्मे के साथ-साथ किसी भी देश को अपनी चपेट में ले सकता है, तो रोकथाम के उपाय भी होने चाहिएं।

पंजाब की पृष्ठभ​ूमि से जुड़ी होने के कारण चिंता होती है जब पंजाब में सीमा पार से जितने ज्यादा ड्रग्स हमारे यहां सप्लाई हो रहे हैं, हर तीसरे दिन 20-20, 30-30 करोड़ की खबरें बॉर्डर पार से आ रही ड्रग्स को लेकर आती हैं। सफेद पाउडर, जिसे पंजाब की भाषा में ​िचट्टा कहा जाता है, ने हजारों घर बर्बाद कर दिए। वहां की कितनी ही लड़कियों ने स्कूल और कॉलेज स्तरीय समारोहों में मंत्रियों और अफसरों की मौजूदगी में शराब और ड्रग्स को खत्म करने की मांग भी की, लेकिन बात नहीं बनी। अब अमरेन्द्र ​सिंह भी कदम तो उठा रहे हैं परन्तु कितना सफल होंगे, मालूम नहीं।

सबका मानना है कि ये शराब और ड्रग्स घर को बर्बाद कर रहे हैं। बाजार में शराब जहां खुले में मिल रही है, वहीं ड्रग्स जिस पर बैन लगा हुआ है, वह भी आसानी से मिल जाता है। ड्रग्स का सेवन करने वाले लोग आडोमॉस, पैट्रोल, स्प्रिट, आयोडेक्स, थिनर तथा सॉल्यूशन (टायर पंक्चर लगाने का कैमिकल) का इस्तेमाल कर अपना नशा पूरा कर रहे हैं। हम यह कहते हैं कि जब तक इन्हें प्रमोट करने वालों को सजा नहीं दी जाएगी, घर तबाह होते रहेंगे। इसे रोकने के लिए हम सरकार से अपील करना चाहते हैं कि कुछ किया जाए। शराब बेचकर राजस्व प्राप्त होता है, यह दलील कोर्ट में देना आसान है, परंतु जिनके घर के लोग शराब और ड्रग्स के सेवन से मारे जा रहे हैं, उसको भी समझा जाना चाहिए। बहनों और माताओं की पीड़ा को मैंने समझा है, इसीलिए घर और परिवार बचाने के लिए अगर खुद इसका विरोध करें और नशे तथा शराब को हमेशा-हमेशा के लिए त्याग दें तो जीवन बहुत सुखमय हो सकता है।

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