वक्फ बोर्ड है या भू-माफिया
वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर सरकार का संशोधन विधेयक…
वक्फ कानून को लेकर देशभर में चल रहे जबरदस्त बवाल और चल रही सियासत के बीच तमिलनाडु के विल्लौर जिले के कटुकोल्लाई गांव में वक्फ बोर्ड द्वारा दावा किए जाने की खबर वक्फ से जुड़े विवादों की ओर ध्यान खींचती है। वक्फ बोर्ड के दावे ने गांव के लोगों को सदमे में डाल दिया है। गांव के निवासियों को स्थानीय मस्जिद दरगाह के प्रशासन से नोटिस मिला है, जिसमें उनकी जमीन को वक्फ सम्पत्ति घोषित किए जाने का दावा किया गया है। नोटिस में ग्रामीणों को किराया देने या घर खाली करने के लिए कहा गया है। तीन-चार पीढ़ियों से रह रहे डेढ़ सौ परिवार परेशान हो गए हैं और उन्होंने प्रशासन से न्याय की गुहार की है। इससे पहले तमिलनाडु के एक गांव तिरुचेंदुरई की कहानी सामने आई थी। इस पूरे गांव पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा जता दिया था। गांव में सदियों पुराना चन्द्रशेखर स्वामी मंदिर भी है।
यह मंदिर 1500 साल पुराना बताया जाता है लेकिन इस मंदिर की जमीन पर भी वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया है। साल 2022 में राजगोपाल नाम के एक किसान ने अपनी खेती की जमीन बेचने की कोशिश की। राजगोपाल को लोन चुकाना था लेकिन वो अपनी जमीन बेच नहीं पाए। दरअसल, राजगोपाल को रजिस्ट्रार ऑफिस से कहा गया कि वक्फ ने इस पूरे गांव की सारी जमीन पर अपना अधिकार जताया है। ऐसे में बिना वक्फ बोर्ड की एनओसी के कोई जमीन खरीदी या बेची नहीं जा सकती। यहां तक कि रजिस्ट्रार दफ्तर में इस बाबत एक नोटिस भी चस्पा कर दिया गया। जब इस मसले को लेकर बवाल मच गया तो डीएमके सरकार ने दखल दिया और कहा कि जमीन की रजिस्ट्री के लिए वक्फ़ बोर्ड से एनओसी की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद पिछले 3 सालों में गांव की कई जमीनों की बिक्री भी हुई लेकिन तमिलनाडु वक्फ़ बोर्ड अभी भी इस दावे पर कायम है कि गांव की जमीन वक्फ़ की है। हालांकि, इससे जुड़ा कोई डॉक्यूमेंट अब तक पब्लिक नहीं किया गया है।
वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जों की कहानियां कोई नई नहीं हैं। वक्फ संशोधन अधिनियम पारित किए जाने से पहले संयुक्त संसदीय समिति ने जो रिपोर्ट दी थी उसमें इस बात का उल्लेख है कि देश में एएसआई द्वारा संरक्षित 80 स्मारक स्थलों पर वक्फ ने अपना दावा ठोक रखा है। दिल्ली के लाल बंगले से लेकर तालकटोरा तक, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और अन्य राज्यों में ऐतिहासिक स्थलों को लेकर विवाद है। संसदीय समिति की रिपोर्ट में इस बात का पूरा ब्यौरा दिया गया है कि वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जे कहां-कहां पर हैं। वक्फ बोर्ड की आड़ में भू-माफिया ने अपना पूरा खेल कर रखा है। कई राज्यों में सरकारी भूमि पर वक्फ के नाम पर अवैध कब्जे हटाए भी गए हैं। उत्तर प्रदेश में जब महाकुम्भ की तैयारियां की जा रही थीं तो प्रयागराज जैसी पौराणिक जगह पर भी वक्फ अपना दावा जाता रहा है।
कोई भी सरकार अपने देश में भू-माफिया पनपने नहीं दे सकती। देश में वक्फ बोर्ड की आठ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। साल 2009 में यह जमीन चार लाख एकड़ थी। इनमें अधिकांश मस्जिद, मदरसा, और कब्रिस्तान शामिल हैं। वक्फ बोर्ड की अनुमानित संपत्ति की कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। देश में उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड समेत कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। रेलवे और रक्षा विभाग के बाद देश में वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक संपत्ति है। वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है। इसके तहत बोर्ड को रिजन टू बिलीव की शक्ति मिल जाती है।
अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकता है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। मगर यह प्रक्रिया काफी जटिल हो जाती है। दरअसल, अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो जाती है तो हमेशा ही वक्फ की रहती है। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं। अब सरकार ऐसे ही विवादों से बचने की खातिर संशोधन विधेयक लेकर आई है।