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क्या महाराष्ट्र की राह पर हैं छत्तीसगढ़ का सियासी गर्भ ! टीएस सिंह देव के इस्तीफे से मची हलचल

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूपेश बघेल सरकार के प्रभावशाली मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग छोड़कर सियासी हलचल पैदा कर दी है।

02:30 PM Jul 17, 2022 IST | Desk Team

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूपेश बघेल सरकार के प्रभावशाली मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग छोड़कर सियासी हलचल पैदा कर दी है।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूपेश बघेल सरकार के प्रभावशाली मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग छोड़कर सियासी हलचल पैदा कर दी है। राज्य के सियासी हाल पर गौर करें तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कैबिनेट मंत्री टी.एस. सिंहदेव के बीच लंबे अरसे से तनातनी चल रही है। सिंहदेव लगातार कथित तौर पर पार्टी के वादे को याद करते हुए ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके चलते बीते दिनों में कई बार कांग्रेस के अंदर खाने होने वाली तकरार भी चर्चाओं में आई।
सीएम बघेल को पत्र लिखकर विभाग से खुद को किया अलग
सिंहदेव के पास वर्तमान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, 20 सूत्रीय कार्यान्वयन और वाणिज्य कर जैसे विभाग है। सिंहदेव ने शनिवार की रात को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र लिखकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से अपने आप को अलग कर लिया है। मंत्री सिंहदेव ने बघेल को लिखे खत में कहा है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कई फैसले उनसे सलाह किए बिना ही लिए जा रहे हैं, इतना ही नहीं जिन फैसलों में उन्होंने अपनी असहमति जताई उसे भी अमलीजामा पहनाया गया।
टीएस सिंह देव के इस्तीफे पर भाजपा ने कांग्रेस पर ली सियासी चुटकी 
सिंहदेव के फैसले पर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने चुटकी ली है और उन्होंने कहा है कि सिंहदेव के इस्तीफे से यह बात साफ हो गई है कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच भारी मतभेद है, भूपेश सरकार में मंत्रियों के पास कोई अधिकार नहीं है। अभी तो एक ने इस्तीफा दिया है सब मंत्रियों विधायकों के मन में भी भारी आक्रोश है, देखना बड़ा विस्फोट होगा।
दबाव का हिस्सा हो सकता हैं पंचायत विभाग से इस्तीफा
सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि सिंहदेव को लग रहा है कि उनकी लगातार पार्टी में उपेक्षा हो रही है, इसी दौरान महाराष्ट्र में कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसली है और इस समय का बेहतर उपयोग करना चाहते हैं। इतना ही नहीं, आगामी दिनों में विधानसभा का सत्र है, जिसमें सिंहदेव के विभाग छोड़ने पर हंगामा होगा। यही कारण है कि उन्होंने विभाग छोड़ा है न कि मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। वास्तव में मंत्री का विभाग लेने और देने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, अगर नाराजगी है तो मंत्री पद से ही इस्तीफा देना चाहिए था। यह दवाब की राजनीति का हिस्सा ही लगता है।
आपको बता दे की सियासी हल्कों में भाजपा के ऑपरेशन लॉटस का जिक्र फिर से जोर पकड़ रहा हैं, हाल ही महाराष्ट्र में जिस तरह से सत्ता का परिवर्तन हुआ हैं वह किसी से छुपा नही हैं। कई राज्यों में भाजपा ने विपक्षी पार्टीयों में सेंध लगाकर सत्ता को हथिया लिया हैं। कांग्रेस नेतृत्व ना बराबर होने  के कारण हर राज्य में कमजोर पड़ती दिख रही हैं। हाल ही के पांच राज्यों के चुनाव में भी कांग्रेस चारों खानें चित्त हो गई थी ।    
 
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