For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

क्या आपकी कुंडली में है पिशाच योग?

01:18 PM Feb 21, 2024 IST | Astrologer Satyanarayan Jangid
क्या आपकी कुंडली में है पिशाच योग

शनि और राहु की युति को सबसे बदनाम लोगों में गिना जाता है। इस युति को प्रेत या पिशाच योग की संज्ञा दी जाती है। और यह सत्य भी है कि यदि किसी के जन्मांग चक्र में पिशाच योग बने तो व्यक्ति को उस भाव से संबंधित फलों में भारी क्षति होती है। जिस भाव में यह युक्ति बन रही हो उस भाव के सभी गुण नष्ट हो जाते हैं और भाव से संबंधित अप्रिय घटनाएं घटित होती है। उदाहरण के लिए यदि किसी की जन्म कुंडली के पांचवें भाव में शनि राहु की युति हो तो संतान नहीं होती है और यदि संतान हो भी जाए तो समझ लें कि यह संतान पूर्व जन्म का बदला चुकता करने के लिए आई है। लेकिन इस प्रकार का निर्णय करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए क्योंकि राहु एक राशि में 18 माह तक रहता है। और शनि एक राशि में 36 माह तक रहता है। इस आधार पर गणना की जाए तो जब तक शनि और राहु की युति रहेगी तब तक पिशाच योग बना रहेगा। राहु हालांकि हमेशा वक्री अवस्था में ही रहता है लेकिन शनि कभी मार्गी तो कभी वक्री अवस्था में गति करता है इसलिए यह भी संभव है कि शनि और राहु की यह युति 18 माह से अधिक समय तक बनी रहे। इसका अर्थ यह हुआ कि जब तक शनि और राहु की युति रहेगी उस दौरान जन्म लेने वाले सभी जातकों की जन्म कुंडली में पिशाच योग होगा। जब कि ऐसा नहीं होता है। क्योंकि यहां शनि और राहु के अंशों का बहुत महत्व है। जैसा कि मैं बता चुका हूं कि शनि की मार्गी और वक्री दोनों अवस्थाएं होती है, लेकिन राहु हमेशा वक्री रहेगा।

कैसे बनता है पिशाच या प्रेत योग

सर्वप्रथम तो यह ध्यान में रखें कि केवल शनि राहु का एक राशि में होने का यह अर्थ नहीं है कि कुंडली में पिशाच योग है। दरअसल यह अंशों का का खेल है और वास्तव में 90 प्रतिशत कुंडलियों में शनि राहु के साथ होने के बावजूद भी पिशाच योग नहीं होता है। क्योंकि पिशाच योग के लिए सबसे जरूरी है कि राहु और शनि की अंतरात्मा एक हो। अर्थात दोनों के मध्य 4 से 6 डिग्री से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। यदि दोनों के मध्य चार डिग्री से ज्यादा अंतर है तो प्राइवेट साथियों का दुश्मन जीवन में देखने में नहीं आता है या बहुत काम आता है राहु की राहु हमेशा बकरी रहता है वह कभी मार्गी नहीं होता और उसकी गति भी निश्चित होती है जबकि शनि कभी मार्गी और कभी बकरी रहता है और उसकी गति और निश्चित होती है इसलिए यहां शनि का इसलिए पिशाच या प्रेत योग में शनि का महत्व ज्यादा है शनि की स्थिति देखें शनि यदि अच्छी राशि में है और मार्ग की अवस्था में है तो भी प्रसाद योग का प्रभाव बहुत कम होता है शनि ग्रह पर शनि राहु की इस युति पर यदि बृहस्पति शुक्र जैसे ग्रहों की दृष्टि है तो भी यह योग प्राइम निष्फल हो जाता है या उसका प्रभाव बहुत कम हो जाता है इसी प्रकार से यदि यही पूर्ण योग आठवीं भाव में बने तो यह है जय योग बन सकता है 12वीं भाव में बने तो यह स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है छठे भाव में बने तो यह जातक को ऋणी बन सकता है चौथे भाव में बने तो जातक को माता का सुख काम होता है इसी प्रकार से दूसरे भाव सभी भाव में यही युति अलग-अलग फल देता है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूपी में यह ध्यान रखें की पूर्ण युति हो तभी इस विश्वास या प्रीतियों की संज्ञा दिन केवल राहु केतु के साथ हो जाने बरसे ही यह पिशाच याप्रतिबिउठी नहीं कहलाएगी ना ही इसके दुश्मन जीवन में देखने में आएंगे दूसरी बात यह भी है कि यह युति इस युति का फल भी जीवन में पूरे जीवन में नहीं रहता है जब भी राहु या शनि की दशा अंतर्दशा या पर्यंत दशा आती है तभी इस युति का फल अधिकतम देखने में आता है।

क्या करें उपाय

पहला उपाय- इसका सबसे अच्छा उपाय है कि राहु की शान्ति का एक छोटा अनुष्ठान संपन्न करवाया जाए।

दूसरा उपाय- राहु के बीज मंत्र ‘‘ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र जाप में यह ध्यान में रखें कि प्रतिदिन जपने योग्य मंत्रों की संख्या निश्चित होनी चाहिए। निश्चित समय पर होना चाहिए और रात्रि में होने चाहिए। तभी यह मंत्र अपना पूरा फल दे पाता है।

तीसरा उपाय- दस प्रकार के अनाज को अपनी श्रद्धानुसार मात्रा में लेकर बुधवार या शुक्रवार को संध्या के समय दान करना चाहिए। ऐसा कम से कम एक वर्ष में 3 बार करें।

चौथा उपाय- पूरे विधि विधान और मनोयोग से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।

पांचवा उपाय- यदि शनि कुंडली में केन्द्र, लग्न या त्रिकोण का मालिक हो तो लगभग 3 से 4 कैरेट की सिलोन श्रीलंका की नीलम, शनिवार को सायं, शनि के 11000 बीज मंत्रों से अभिमंत्रित करवाकर, मध्यमा अंगुली में किसी शूद्र के हाथों से धारण करनी चाहिए।

Astrologer Satyanarayan Jangid
WhatsApp - 6375962521

Advertisement
Advertisement
Author Image

Astrologer Satyanarayan Jangid

View all posts

Advertisement
×