ISI की भारत में जासूसी रणनीति: लालच, हनीट्रैप और ब्लैकमेलिंग से तैयार होते हैं पाक के मोहरे
भारत में आईएसआई की चाल: ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भारत में जासूसी के लिए लालच, हनीट्रैप और ब्लैकमेलिंग का सहारा ले रही है। हाल ही में एक आरोपी ने स्वीकार किया कि वह पाकिस्तानी दूतावास को सैन्य जानकारी भेजता था। यह घटना ISI की संगठित रणनीति को उजागर करती है, जो भारत के नागरिकों को जासूसी के लिए मोहरा बनाती है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI लगातार भारत के खिलाफ छिपे हुए मोर्चे पर काम कर रही है, जिसमें वह सीधे युद्ध की बजाय प्रॉक्सी वॉर और जासूसी के हथकंडे अपना रही है। हाल ही में सामने आए एक मामले में हरियाणा के नूंह से गिरफ्तार आरोपी ने स्वीकार किया कि वह दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी को देश की सैन्य गतिविधियों की जानकारी भेजता था। बदले में उसे पैसे मिलते थे। इस तरह के कई मामलों में ISI ने पैसे का लालच, हनीट्रैप और सोशल मीडिया के जरिए ब्लैकमेलिंग जैसे हथियारों का इस्तेमाल कर भारत के नागरिकों को अपने जाल में फंसाया है। कभी वैज्ञानिक, कभी सैन्यकर्मी तो कभी यूट्यूबर—हर तबके के लोगों को जासूसी के लिए मोहरा बनाया गया है। यह सिलसिला दर्शाता है कि भारत के खिलाफ जासूसी ISI की संगठित रणनीति का हिस्सा है।
पैसे और पहचान के लालच में जासूसी
हरियाणा के नूंह से गिरफ्तार एक युवक ने माना कि उसने पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारी आसिफ बलोच को खुफिया जानकारियां दीं। बाद में उसका संपर्क दूतावास के ही दूसरे अफसर जाफर से हुआ और जासूसी का सिलसिला चलता रहा।
हनीट्रैप में फंसाकर जुटाई गई जानकारी
साल 2023 में पुणे में DRDO के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को पाकिस्तानी महिला एजेंट ‘जारा दासगुप्ता’ के हनीट्रैप में फंसने के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन पर भारतीय मिसाइल और रक्षा परियोजनाओं से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां लीक करने का आरोप था।
पंजाब पुलिस ने ISI को जानकारी देने के आरोप में दो लोगों को किया गिरफ्तार
सोशल मीडिया बना ISI का नया टूल
साल 2022 में रक्षा मंत्रालय में क्लर्क रहे रवि चौरसिया ने कबूल किया कि वह फेसबुक पर एक महिला के संपर्क में आया जिसने खुद को शांदी शर्मा बताया। प्यार के जाल में फंसकर उसने रक्षा उपकरणों की तस्वीरें भेजीं और इसके बदले पैसे भी लिए। ISI सिर्फ लालच ही नहीं, ब्लैकमेलिंग से भी जासूसी कराती है। कई बार एजेंट निजी तस्वीरें और वीडियो हासिल कर लोगों को मजबूर करते हैं। साथ ही, पाकिस्तान का वीजा या फेम दिलाने का लालच देकर भी उन्हें अपने मकसद के लिए तैयार किया जाता है।