Israel-Iran Conflict: मध्य पूर्व में बढ़ा तनाव, क्रूड ऑयल के भाव में उछाल
ब्रेंट की कीमत लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल हो गई है
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण मध्य पूर्व में स्थिति गंभीर हो गई है। इस संघर्ष ने कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि की है, जिससे वैश्विक बाजार प्रभावित हो रहा है। भारत के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि उसका बड़ा व्यापार संबंध इन देशों के साथ है और तेल की बढ़ती कीमतों का असर महंगाई पर पड़ सकता है।
इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है दोनों देशों के बीच भीषण बमबारी, ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों की बारिश की जा रही है। जिससे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ता जा रहा है। इसी तनाव के कारण कच्चे तेल के भाव में उछाल आया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट की कीमत लगभग 75 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड 73.83 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के साथ ही भारतीय तेल कंपनियों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। माना जा रहा है कि बढ़ती कीमतों का असर सीध महंगाई पर पड़ सकता है।
दोनो देशों के बीच व्यापार
भारत का इजरायल और ईरान देशों के साथ बड़ा व्यापार संबंध है। बता दें कि वित्त वर्ष 2025 में भारत ने ईरान को 1.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान निर्यात किया और 441.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान आयात किया। इजराइल के साथ भी भारत का व्यापार बड़े पैमाने पर है। भारत ने इजरायल से 2.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात और 1.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात है। भारत का लगभग दो-तिहाई कच्चा तेल और आधा LNG आयात होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जो एक संकरा जलमार्ग है और अब दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण खतरे में है। बता दें कि होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक तेल व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा संभालता है।
तेल का सबसे बड़ा उत्पादक
ईरान सबसे बड़ा तेल उत्पादक और निर्यातक है बता दें कि ईरान लगभग 3.3 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का उत्पादन करता है और 1.5 मिलियन बैरल तेल का निर्यात करता है। जिसमें चीन सबसे ज्यादा लगभग 80 प्रतिशत तक आयातक है। बता दें कि इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों, गैस फील्ड, ऑयल डिपो पर ताबड़तोड़ हमला किया वहीं ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए तेल अवीव और शहरी इलाकों में मिसाइलें दागी है।
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ऑपरेशन राइजिंग लायन
बता दें कि दोनों देशों के बीच संघर्ष तब शुरू हुआ जब इजरायल ने 13 जून को ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू किया और 200 से अधिक विमानों और मोसाद के नेतृत्व वाले ड्रोनों ने ईरान के सैन्य और परमाणु स्थलों पर हमला किया। वहीं ईरान ने तेल अवीव और यरुशलम जैसे इज़रायली शहरों पर 150 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले भी किये।