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अब अंतरिक्ष में भारत से और थर-थर कापेंगे दुश्मन! ISRO में सेना के लिए लॉन्च किया ये बाहुबली रॉकेट

06:36 PM Nov 02, 2025 IST | Amit Kumar
अब अंतरिक्ष में भारत से और थर थर कापेंगे दुश्मन  isro में सेना के लिए लॉन्च किया ये बाहुबली रॉकेट
ISRO Bahubali Rocket Live, credit (s-m)
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ISRO Bahubali Rocket Live: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानी 2 नवंबर को भारतीय नौसेना के लिए एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। उसने CMS-03 (GSAT-7R) नाम का आधुनिक कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा है। यह सैटेलाइट नौसेना की संचार और समुद्री निगरानी क्षमताओं को नई ताकत देगा।

ISRO Bahubali Rocket Live: क्या है GSAT-7R?

GSAT-7R एक उन्नत कम्युनिकेशन सैटेलाइट है जिसे पूरी तरह भारत में ही डिजाइन और तैयार किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, हवाई जहाजों और समुद्री नियंत्रण केंद्रों के बीच तेज, सुरक्षित और निर्बाध संचार स्थापित करना है। यह सैटेलाइट नौसेना के लिए अब तक का सबसे एडवांस्ड सिस्टम है। इससे पहले भारत के पास GSAT-7 (Rukmini) और GSAT-7A जैसे सैटेलाइट थे, लेकिन GSAT-7R तकनीक और क्षमता के मामले में उनसे कहीं आगे है।

ISRO Rocket Launch Today: लॉन्च की जानकारी

CMS-03 (GSAT-7R) को 2 नवंबर 2025 को सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR), श्रीहरिकोटा से शाम 5:26 बजे लॉन्च किया गया। यह लॉन्च केंद्र ISRO के प्रमुख रॉकेट प्रक्षेपण स्थलों में से एक है। वैज्ञानिकों ने इस सैटेलाइट को तैयार करने में कई महीनों तक काम किया, और इसकी हर तकनीक को नौसेना की आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया।

ISRO Bahubali Rocket Live,
ISRO Bahubali Rocket Live, credit (s-m)

सैटेलाइट की प्रमुख तकनीकी विशेषताएं

  • वजन और आकार: GSAT-7R का वजन लगभग 4400 किलोग्राम है। यह भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट माना जा रहा है।
  • ट्रांसपोंडर्स: इसमें आधुनिक ट्रांसपोंडर्स लगे हैं जो वॉइस, वीडियो और डेटा को कई फ्रीक्वेंसी बैंड्स पर ट्रांसफर कर सकते हैं। यानी नौसेना के जहाज, विमान या पनडुब्बियां कहीं भी हों, वे आपस में लगातार जुड़े रहेंगे।
  • कवरेज एरिया: यह सैटेलाइट पूरे भारतीय महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) को कवर करेगा। इस क्षेत्र में नौसेना को मजबूत टेलीकम्युनिकेशन और निगरानी सुविधा मिलेगी।
  • हाई बैंडविड्थ क्षमता: इसमें उच्च बैंडविड्थ है, जिससे बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी और सुरक्षित तरीके से ट्रांसफर किया जा सकेगा।
  • देशी तकनीक का उपयोग: इस सैटेलाइट में कई ऐसे उपकरण लगे हैं जो पूरी तरह भारत में बनाए गए हैं, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।

नौसेना के लिए क्यों जरूरी है GSAT-7R?

वर्तमान समय में समुद्री सुरक्षा भारत के लिए बेहद अहम हो गई है। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की बढ़ती गतिविधियों से हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और सुरक्षा की जरूरत पहले से ज्यादा बढ़ गई है।

ISRO Bahubali Rocket Live
ISRO Bahubali Rocket Live, credit (s-m)

Kya Hai Bahubali Rocket: GSAT-7R के आने के फायदे

  • संचार होगा अधिक सुरक्षित और तेज:  जहाजों और नियंत्रण केंद्रों के बीच तुरंत और एन्क्रिप्टेड संपर्क हो सकेगा।
  • निगरानी क्षमता बढ़ेगी:  समुद्र में दुश्मन की गतिविधियों या किसी भी खतरे पर तुरंत नजर रखी जा सकेगी।
  • स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा: इस सैटेलाइट के जरिए भारत अब विदेशी संचार प्रणालियों पर निर्भर नहीं रहेगा।

ISRO LVM3 M5 Rocket: आत्मनिर्भर भारत की मिसाल

GSAT-7R पूरी तरह भारतीय वैज्ञानिकों की मेहनत और तकनीक का परिणाम है। यह सैटेलाइट न केवल नौसेना की शक्ति बढ़ाएगा बल्कि भारत की अंतरिक्ष क्षमता और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में भी एक ऐतिहासिक कदम है।

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Amit Kumar

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