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ISRO ने की SpaDeX सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग, डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बना भारत

ISRO ने श्रीहरिकोटा से SpaDeX और नये पेलोड के साथ PSLV-C 60 सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

06:31 AM Dec 30, 2024 IST | Rahul Kumar Rawat

ISRO ने श्रीहरिकोटा से SpaDeX और नये पेलोड के साथ PSLV-C 60 सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

isro ने की spadex सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग  डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बना भारत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से SpaDeX और नये पेलोड के साथ PSLV-C 60 सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। स्पाडेक्स मिशन के तहत पृथ्वी की गोलाकार कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान को आपस में जोड़ा जाएगा। मिशन सफल होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बनेगा जिसके पास स्पेस में डॉकिंग करने की टेक्नोलॉजी होगी।

क्या है स्पेस डॉकिंग तकनीक?

स्पेस डॉकिंग तकनीक का मतलब है अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने की तकनीक। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव हो पाता है। अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष संबंधी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बेहद जरूरी है। इसके सफल होने से चंद्रमा पर मानव भेजना, वहां से नमूने लाने के साथ-साथ देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन यानी भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन करना शामिल है। इसके अलावा डॉकिंग तकनीक का उपयोग तब भी किया जाएगा जब सामान्य मिशन उद्देश्यों के लिए भी एक से अधिक रॉकेट प्रक्षेपण की योजना बनाई जाएगी।

SpaDeX का मतलब क्या है?

SpaDeX का मतलब है, स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट। इस मिशन में पीएसएलवी-सी 60 से छोड़े जाने वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान की डॉकिंग की जाएगी। डॉकिंग का मतलब होता है स्पेस में दो अंतरिक्ष यानों या सैटेलाइट को जोड़ना और अनडॉकिंग का मतलब है अंतरिक्ष में रहते हुए इन दोनों को अलग करना। इसरो अपने मिशन से ऐसा करने की तकनीक का प्रदर्शन करेगा। इस मिशन को लॉन्च करने के बाद इन्हें डॉकिंग के जरिए जोड़ने और अनडॉकिंग की प्रॉसेस से अलग-अलग करने का प्रयोग किया जाएगा।

बता दें कि अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की जरूरत तब होती है, जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। इसरो के मुताबिक, स्‍पाडेक्‍स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।

क्या बोले ISRO के चेयरमैन

बता दें कि, PSLV-C60 ने सफलतापूर्वक स्पैडेक्स और 24 पेलोड लॉन्च किए। इसरो के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने कहा, “मैं स्पैडेक्स मिशन के लिए PSLV-C60 के सफल लॉन्च की घोषणा करता हूं… रॉकेट ने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है… PSLV परियोजना की पूरी टीम को बधाई जिन्होंने उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित किया। साथ ही स्पैडेक्स टीम को भी बधाई, जिसने दो छोटे सैटेलाइट बस आर्किटेक्चर का उपयोग करके एक बहुत ही अभिनव, नए, लागत प्रभावी डॉकिंग प्रदर्शन मिशन में काम किया…”

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Rahul Kumar Rawat

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