W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

It’s My Life (50)

यह बात मार्च 1981 की है। उस समय गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव होने वाले थे। भिंडरांवाला और शिरोमणि अकाली दल इन चुनावों में आपस में ​भिड़ रहे थे।

04:38 AM Sep 13, 2019 IST | Ashwini Chopra

यह बात मार्च 1981 की है। उस समय गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव होने वाले थे। भिंडरांवाला और शिरोमणि अकाली दल इन चुनावों में आपस में ​भिड़ रहे थे।

it’s my life  50
Advertisement
यह बात मार्च 1981 की है। उस समय गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव होने वाले थे। भिंडरांवाला और शिरोमणि अकाली दल इन चुनावों में आपस में ​भिड़ रहे थे। यहां मैं बता दूं कि पंजाब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सिखों की सबसे बड़ी और समृद्ध संस्था है। पंजाब के सभी गुरुद्वारे इसके अधीन आते हैं। इन गुरुद्वारों के सदस्य चुनाव में वोट डालते हैं और करोड़ों रुपए पंजाब के सभी गुरुद्वारों से प्रबंधक कमेटी में चढ़ावे के रूप में जमा होते हैं। सबसे लम्बे समय इस प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष श्री गुरचरण सिंह टोहरा रहे।
Advertisement
पंजाब की सिख राजनीति में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही। पंजाब शिरोमणि अकाली दल और प्रदेश में अकाली दल की सरकार के मुख्यमंत्री तो हमेशा स. प्रकाश सिंह बादल रहे लेकिन पंजाब शिरोमणि अकाली दल में सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में तो स. टोहरा ही उभरे। इस समय पंजाब में आतंकवाद का साया भी शुरू हो चुका था और चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के मुकाबले आतंकी गुटों के उम्मीदवार के चुनाव में खड़े होने से प्रदेश का माहौल और भी ज्यादा गर्माने लगा था। पंजाब में लॉ एंड आर्डर का तनाव बन रहा था।
Advertisement
ऐसी परिस्थितियों में मैं एक पत्रकार के रूप में अकाली गतिविधियों के केन्द्र अमृतसर और चौक मेहता की ओर निकल पड़ा। मैंने तब पंजाब विश्वविद्यालय से दो वर्ष पूर्व ही पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री फर्स्ट क्लास में हासिल की थी। मेरे अन्दर पत्रकारिता के प्रति एक जुनून था कि अपने पिता और दादाजी की तरह निष्पक्ष और बेखौफ पत्रकार बनूं। इसी जुनून की वजह से मैंने बेखौफी की हदें भी पार करीं और मैं स्वर्ण मंदिर श्री गुरु रामदास सराय में स्थित शिरोमणि प्रबंधक कमेटी के दफ्तर में जा घुसा।
मैं अध्यक्ष श्री जी.एस. टोहरा जी से मिलना चाहता था। प्रबंधक कमेटी के चुनाव के प्रति उनका इंटरव्यू करना चाहता था। श्री टोहरा तो मुझे वहां नहीं मिले लेकिन जो कुछ मुझे वहां मिला शायद यह पहला मौका था कि किसी पत्रकार को ऐसा मौका अब तक मिला हो। मैं अन्दर-बाहर से वहां का मंजर देखकर हिल गया। वहां के दृश्य ने पूरे पंजाब, फिर देश की राजनीति बदल कर रख दी।
मैं वहां प्रबंधक कमेटी के दफ्तर के बाहर अपने फोटोग्राफर श्री कपूर के साथ टहल रहा था कि अचानक एक युवा सिख लड़के ने मुझे गले से लगा लिया। बोला, अरे अश्विनी तुम यहां क्या कर रहे हो? मैंने उससे कहा यार मैंने तुम्हें पहचाना नहीं। तो वो बोला हम डीएवी कालेज जालन्धर में तीन वर्ष इकट्ठे एक ही क्लास में पढ़ा करते थे। मेरा नाम राजेन्द्र सिंह है। मैं तुम्हारे क्रिकेट का बड़ा फैन हूं। नाम तो कुछ-कुछ याद आया, लेकिन शक्ल? तो वो बोला मैं अब अमृतधारी हो गया हूं और मेरी दाढ़ी भी पहले से ज्यादा बढ़ गई है और खुली रहती है।
मैंने रा​जेन्द्र सिंह से पूछा तुम यहां क्या करते हो तो वो बोला मैं खालिस्तान बनाने के लिए आतंकवादियों के ग्रुप में शामिल हो गया हूं। मैं ताज्जुब में पड़ गया, अरे भाई यह खालिस्तन क्या है? राजेन्द्र सिंह बोला आओ मैं तुम्हें दिखाता हूं। वह मुझे और मेरे फोटोग्राफर को श्री गुरु रामदास सराय के अन्दर ले गया और ज्यों ही उसने एक कमरा खोला तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। पूरा कमरा असाल्ट राइफलों, हैंड ग्रेनेडों, स्टेनगनों और बमों से भरा पड़ा था अर्थात सजाया गया था। दीवारों पर बड़े-बड़े पोस्टर थे ‘खालिस्तान जिन्दाबाद’ और ‘बनके रहेगा खालिस्तान’। मैंने राजेन्द्र सिंह से पूछा कि क्या हम इस कमरे की फोटो ले लें तो उसने कहा हां जितनी मर्जी ले लो।
मैंने अपने फोटोग्राफर कपूर को इशारा किया तो उसने फटाफट से 10 फोटो सभी ओर कमरे के ले डाले। फिर मैंने राजेन्द्र से पूछा कि तुम्हारे बाकी साथी कहां हैं और कितने हैं। राजेन्द्र सिंह बोला अभी तो थोड़े हैं पर हर रोज भर्ती चल रही है और हमारी खालिस्तान आर्मी की संख्या बढ़ती चली जा रही है। मैंने पूछा तुम्हारी इस आर्मी का कमांडर कौन है? राजेन्द्र सिंह बोला अभी कमांडर तो नहीं लेकिन खालिस्तान के सैक्रेटरी जनरल संधू साहिब हैं। मैंने संधू से मिलने को कहा तो राजेन्द्र मुझे गुरु रामदास सराय के एक अन्य कमरे में ले गया वहां एक मध्य आयु के सरदारजी से परिचय करवाया कि ये हमारे सर्वेसर्वा और सैक्रेटरी जनरल साहिब हैं और ‘खालिस्तान कमांडो फोर्स’ में जवानों की भर्ती और खालिस्तान मूवमैंट के कर्ताधर्ता भी यही हैं।
मैंने खालिस्तान के कथित सैक्रेटरी जनरल संधू साहिब का इंटरव्यू लिया और पूछा कि आखिर ये खालिस्तान क्या है। उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान और भारत में 1947 में बंटवारा हुआ था तो सिखों को भी अलग सिखिस्तान देने का वचन दिया था लेकिन आज तक सिखों को भारत सरकार ने धोखे में रखा। सिखों को उनका हक नहीं दिया लेकिन अब देश के सिखों ने यह फैसला कर लिया है कि वे सिखों के लिए एक अलग स्थान या देश बनाकर ही रहेंगे और उसका नाम खालिस्तान रखा जायेगा। अगर आराम से या शांति से नहीं तो हम खालिस्तान कमांडो फोर्स का गठन कर भारत सरकार से युद्ध करके इसे हासिल करेंगे।
मैंने पूछा कि आखिर भारत के सिख नागरिकों काे भारत से अलग खालिस्तान बनाने की जरूरत क्यों है? उन्हें देश के अन्य नागरिकों के बराबर के हक मिले हैं। हर सरकारी बड़े पद पर सिख अफसर बैठे हैं। भारत की आर्मी, नेवी और एयरफोर्स चीफ भी सिख रहे हैं। अपने सिख धर्म की पालना का सम्पूर्ण अधिकार है,  फिर यह खालिस्तान क्यों? संधू जी नहीं माने, बोले आप तो जानते हैं कि भारत में सिखों के साथ किस कदर बेकद्री हो रही है। न तो पंजाब को पानी ​मिलता है और चंडीगढ़ जिसे पंजाब की राजधानी के रूप में निर्मित किया गया था, उस पर भी हरियाणा का हिस्सा जारी है। सिख जब ज्यादा अधिकारों की बात करते हैं तो आपका प्रैस और दिल्ली की सरकार देश विरोधी कहते हैं।
देश में रह रहे सिखों को गलत नजर से देखा जाता है और उन्हें भारत विरोधी समझा जाता है। इसीलिये मजबूरन हमें पाकिस्तान का ​हाथ थामना पड़ रहा है और पाकिस्तान के हुक्मरानों ने हमें खालिस्तान बनाने में मदद का पूरा आश्वासन दिया है। मैं खुद (संधू) लाहौर के पास दो महीने की हथियारों की ट्रेनिंग लेकर आया हूं। इस समय हमारी खालिस्तान कमांडो फोर्स के लगभग 150 जवान वहां पाकिस्तान में हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। मैंने पूछा अगर आपका खालिस्तान मिशन फेल हो गया तो? संधू बोला तो पाकिस्तान सरकार का आश्वासन है कि उनकी फौज भारत पर हमला कर देगी।
मैं समझ गया कि खालिस्तान समर्थक ये बेरोजगार लोग मुश्टंडे पाकिस्तान के हत्थे चढ़ गए हैं और पाकिस्तान इनको समर्थन का आश्वासन देकर भारत के विरुद्ध इस्तेमाल करेगा और इन्हें मरवा देगा। हमने खालिस्तान के कथित सैक्रेटरी जनरल संधू की तस्वीरें खींचीं और बाद में स्वर्ण मंदिर जाकर मत्था टेका। मेरे मन में एक अजीब सा खाैफ उत्पन्न हो गया कि आखिर जो कुछ हमने देखा इसका भविष्य में क्या प्रभाव होने वाला है। इसी सोच में हम अपनी कार में बैठे और भिंडरांवाला से मिलने और उसका इंटरव्यू लेने चौक मेहता की ओर निकल पड़े। चौक मेहता में क्या हुआ? क्या मैं भिंडरांवाला का इंटरव्यू ले पाया? इसका जिक्र मैं कल के लेख में करूंगा।
Advertisement
Author Image

Ashwini Chopra

View all posts

Advertisement
Advertisement
×