J&K : सरकार ने कश्मीर प्रेस क्लब भवन का किया अधिग्रहण, जानिए क्या है मामला
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार ने श्रीनगर के बीचों-बीच स्थित प्रेस क्लब की भूमि और भवन को अपने कब्जे में लेकर संपदा विभाग को सौंप दिया
05:35 PM Jan 18, 2022 IST | Desk Team
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार ने श्रीनगर के बीचों-बीच स्थित प्रेस क्लब की भूमि और भवन को अपने कब्जे में लेकर संपदा विभाग को सौंप दिया। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही पत्रकारों के एक समूह ने खुद को कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) के ‘अंतरिम प्रबंधन’ के रूप चयनित किया था। कश्मीर में नौ पत्रकार निकायों और देश के शीर्ष पत्रकार संघों ने सलीम पंडित के नेतृत्व में पत्रकारों के एक समूह द्वारा 2018 में स्थापित केपीसी के अधिग्रहण को असंवैधानिक करार दिया है। केपीसी एक बड़ी संस्था है और इसके कम से कम 300 सदस्य हैं। सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार उन अप्रिय घटनाओं के कारण उपजे हालात को लेकर चिंतित है, जिनमें वे दो विरोधी समूह भी शामिल हैं जो कश्मीर प्रेस क्लब के बैनर का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकारी बयान में कहा गया, तथ्यात्मक स्थिति यह है कि पंजीकृत संस्था के रूप में केपीसी का अब वजूद नहीं रहा और इसके प्रबंधकीय निकाय का भी कानूनी रूप से 14 जनवरी, 2021 को अंत हो चुका है। यह वही तारीख है जिस दिन इसका कार्यकाल समाप्त हुआ।
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संस्था केंद्रीय पंजीकरण करने में विफल रही : सरकार
इस मामले में सरकार की ओर से कहा गया है कि, यह संस्था केंद्रीय पंजीकरण सोसायटी अधिनियम के तहत खुद का पंजीकरण कराने में विफल रही। इसके बाद यह नए प्रबंध निकाय का गठन करने के लिए चुनाव कराने में विफल रही। सरकार के अनुसार पूर्ववर्ती क्लब के कुछ लोग कई तरह के अवैध काम कर रहे हैं, जिनमें यह झूठा चित्रण करना शामिल है कि वह एक निकाय के मालिक-प्रबंधक हैं, जिसका कि वैधानिक वजूद ही नहीं है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, कुछ अन्य सदस्यों ने अंतरिम निकाय का गठन करने के बाद उसी तरह के बैनर का इस्तेमाल करते हुए ‘अधिग्रहण’ का सुझाव दिया। लेकिन सरकार ने कहा कि मूल केपीसी का पंजीकृत निकाय के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया है, इसलिए किसी भी अंतरिम निकाय के गठन का सवाल निरर्थक है। इन परिस्थितियों में तत्कालीन कश्मीर प्रेस क्लब के अधिकार का उपयोग करके किसी भी समूह द्वारा नोटिस जारी करना या संपर्क करना अवैध है। सरकारी बयान में कहा गया, ‘विवाद और सोशल मीडिया रिपोर्टों के मद्देनजर कानून-व्यवस्था की स्थिति की ओर संकेत करने वाले अन्य ह्मोतों के आधार पर हस्तक्षेप करना जरूरी हो गया। इसमें वास्तविक पत्रकारों की सुरक्षा का खतरा और शांति भंग होने का मुद्दा शमिल है।’
पंजीकृत वास्तविक सोसायटी का जल्द किया जाएगा गठन
सरकार ने कहा कि वह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस के लिए प्रतिबद्ध है और मानती है कि पत्रकार पेशेवर, शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोरंजक और कल्याणकारी गतिविधियों के लिए जरूरी जगह हासिल करने समेत सभी तरह की सुविधाओं के हकदार हैं। सरकार ने उम्मीद जताई कि सभी पत्रकारों के लिए एक पंजीकृत वास्तविक सोसायटी का जल्द गठन किया जाएगा जो परिसर के पुन:आवंटन के लिए सरकार से संपर्क करने में सक्षम होगी। सरकारी बयान में कहा गया, पत्रकारों के विभिन्न समूहों के बीच अप्रिय घटनाओं और मतभेदों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है कि अब अपंजीकृत कश्मीर प्रेस क्लब के पोलो व्यू में परिसर का आवंटन रद्द कर दिया जाए और पोलो व्यू श्रीनगर में स्थित भूमि और भवनों का नियंत्रण किया जाए। जो संपदा विभाग से संबंधित है, उसे उक्त विभाग को वापस किया जाए।
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