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J&K : घायल घुसपैठिए ने LoC से 2 बार घुसपैठ की कोशिश की

जम्मू कश्मीर में राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर से रविवार को नियंत्रण रेखा पर घायल हुए एक घुसपैठिए को एक बार स्वदेश भेज दिया गया लेकिन फिर भी उसने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के जरिये घुसपैठ की दो कोशिशें भी कीं।

01:45 AM Aug 22, 2022 IST | Shera Rajput

जम्मू कश्मीर में राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर से रविवार को नियंत्रण रेखा पर घायल हुए एक घुसपैठिए को एक बार स्वदेश भेज दिया गया लेकिन फिर भी उसने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के जरिये घुसपैठ की दो कोशिशें भी कीं।

जम्मू कश्मीर में राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर से रविवार को नियंत्रण रेखा पर घायल हुए एक घुसपैठिए को एक बार स्वदेश भेज दिया गया लेकिन फिर भी उसने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के जरिये घुसपैठ की दो कोशिशें भी कीं।
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रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि घुसपैठिए की पहचान तबारक हुसैन के रूप में हुई है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कोटली जिला के सब्जकोट का निवासी है। वह जब घायल पड़ हुआ था, चिल्ला रहा था,‘‘मैं मारने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया। भाईजान मुझे यहां से निकलो।’’ 
सूत्रों ने कहा, ‘‘वह लोगों को उसे बचाने के लिए बुला रहा था। उसका शरीर साफ मुंडा हुआ था, जो अक्सर आतंकवादियों द्वारा आत्मघाती हमले पर किया जाता है जैसा कि अतीत में देखा गया है।’’ 
सूत्रों ने बताया कि 25 अप्रैल 2016 को नौशेरा सेक्टर में झांगर बटालियन ने पाक घुसपैठियों को पकड़ा था। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेना के जवानों ने तीन संदिग्धों को एलओसी में घुसपैठ करने की कोशिश करते देखा लेकिन एक घायल घुसपैठिए और 15 साल के हारून अली सहित केवल दो संदिग्धों को ही पकड़ा जा सका।’’ सूत्रों ने कहा, ‘‘तबारक हुसैन को पाक सेना (संभावित आईएसआई) द्वारा तैयार किया गया था और उन्होंने लगभग दो वर्षों तक इंटेलिजेंस यूनिट के लिए काम किया था। इस अवधि के दौरान, उन्हें दुश्मन की जानकारी हासिल करने और व्यक्ति के कभी भी पकड़ा जाने की स्थिति में कवर स्टोरी स्थापित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। उन्होंने लश्कर के प्रशिक्षण शिविर में एक गाइड के रूप में छह सप्ताह का प्रशिक्षण भी लिया और 25 अप्रैल को तबारक हुसैन और हारून अली को कलडियो, सब्त्रकोट से तीन आतंकवादियों के एक समूह के साथ लॉन्च किया गया।’’ 
सूत्रों ने कहा, ‘‘मोहम्मद काफिल, मोहम्मद अली और यासीन नाम के आतंकवादी डब्ल्यूएलएस ले जा रहे थे और भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अग्रिम चौकियों के पास ऑपरेशनल ट्रैक पर आईईडी लगाने की योजना बना रहे थे।’’ उन्होंने कहा कि तबारक और हारून अली दोनों को 26 महीने की जेल की सजा हुई और उसके बाद अटारी-वाघा सीमा, अमृतसर के माध्यम से वापस भेज दिया गया।
तबारक के छोटे भाई मोहम्मद सईद को भारतीय सेना ने 16 दिसंबर, 2019 को उसी इलाके में पकड़ा लिया जहां आज सुबह भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें गोली मार दी थी।
सूत्रों ने कहा, ‘‘घुसपैठिए को ड्रग्स के भारी प्रभाव में पाया गया था और उसके भाइयों के प्रत्यावर्तन की भी पुष्टि की गई थी, जबकि उसके वर्तमान ठिकाने का पता लगाया जा रहा है।’’ 
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