मिल गया डायनासोर! जैसलमेर की धरती में दबा था 20 करोड़ साल पुराना Phytosaur Fossil,
Jaisalmer Phytosaur Fossil: हमने बचपन में विज्ञान की किताबों में पढ़ा है कि धरती पर मानव के अस्तित्व से पहले डायनासौर नाम की प्रजाति रहती थी। क्या आपने कभी सोचा है कि डायनासौर कैसे दिखते थे। आने वाले समय में हम जान पाएंगे कि असल में डायनासौर कैसे दिखते थे। दरअसल राजस्थान के जैसलमेर में एक ऐसा जीवाश्म मिला है जो 201.4 मिलियन वर्ष पुराना फाइटोसॉर का हो सकता है।
Jaisalmer Phytosaur Fossil: भारत में हुई जुरासिक युग की खोज
विशेषज्ञों ने इस खोज को भारत के भूवैज्ञानिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण जीवाश्म खोजों में से एक बताया है। बता दें फाइटोसॉर का मतलब है- एक मगरमच्छ जैसी रेंगने वाली प्रजाति जो डायनासोर के साथ सह-अस्तित्व में थी।) इस खोज को एक बड़ी जीवाश्म विज्ञान संबंधी सफलता बताते हुए, जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संकाय के डीन, वीएस परिहार ने सोमवार को कहा कि इंग्लैंड के बाद, भारत जुरासिक युग की खोज करने वाला एकमात्र देश है।
Phytosaur Fossil: मगरमच्छ जैसी है आकृति
उन्होंने कहा, "यह एक मगरमच्छ है जो डायनासोर के साथ रहता था और यह ज़्यादातर नदी या समुद्र तट के पास के जंगलों में रहता था... इंग्लैंड के बाद, केवल भारत में ही जुरासिक युग की ऐसी खोज हुई है... अगर यह वही जीव है, तो हम इसकी सही उम्र बता सकते हैं, जो 201.4 मिलियन वर्ष है।" वरिष्ठ जलविज्ञानी नारायण दास इनाखिया ने गुरुवार को कहा कि ये अवशेष, जो संभवतः जुरासिक काल से संबंधित हैं, में रीढ़ की हड्डी की संरचनाएं, पंखों की हड्डियां और पैरों के निशान शामिल हैं। ट्राइऐसिक काल के अंत से लेकर जुरासिक काल के प्रारंभ तक फली-फूली, फाइटोसॉर प्रजाति अपने लंबे जबड़ों और अर्ध-जलीय जीवन शैली के लिए जानी जाती है।
Jaisalmer News: थार में था पानी
जैसलमेर ज़िले के मेघा गांव से कशेरुकी जीवों के जीवाश्म मिलने के बाद गुरुवार को यह जीवाश्म खोजा गया। हालांकि, जीवाश्म की सही उम्र की पुष्टि नहीं हो पाई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसलमेर का यह जीवाश्म भारत का पहला पुष्ट और संरक्षित फाइटोसौर जीवाश्म है। इससे पता चलता है कि लाखों साल पहले थार रेगिस्तान का यह इलाका जलीय जीवन से भरपूर रहा होगा।
Phytosaur Fossil: भारत के लिए गौरव का क्षण
नारायण दास ने इस खोज के महत्व पर ज़ोर देते हुए इसे न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा, "अवलोकन के बाद, यह पाया गया कि यह जुरासिक काल का एक जीव है, और यह एक जीवाश्म है... ऐसे जीव की खोज न केवल जैसलमेर बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है। ऐसे जीवाश्म मानव विकास के बारे में बहुत सारी जानकारी प्रदान करते हैं।"
उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीणों को इस क्षेत्र में पहले भी कई जीवाश्म मिले हैं, जिनमें डायनासोर के पैरों के निशान और हड्डियां शामिल हैं, जो दर्शाता है कि जैसलमेर जीवाश्म विज्ञानियों और भूवैज्ञानिकों, दोनों के लिए एक अनमोल खजाना है।
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