जयशंकर ने इज़राइली राजनयिकों से द्विपक्षीय संबंधों को आगे तथा ऊंचाई वाले पथ पर ले जाने को कहा
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को इज़राइल के राजनयिकों से कहा कि वह इस बात को समझें कि भारत में कोविड-19 के बाद बड़े बदलाव हो रहे हैं और द्विपक्षीय रिश्तों को आगे तथा ऊंचाई वाले पथ पर ले जाने के लिए उस मूलभूत और गहरी सहजता का इस्तेमाल करना चाहिए जो दोनों पक्षों को मिली हुई है।
09:41 PM Mar 02, 2021 IST | Desk Team
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को इज़राइल के राजनयिकों से कहा कि वह इस बात को समझें कि भारत में कोविड-19 के बाद बड़े बदलाव हो रहे हैं और द्विपक्षीय रिश्तों को आगे तथा ऊंचाई वाले पथ पर ले जाने के लिए उस मूलभूत और गहरी सहजता का इस्तेमाल करना चाहिए जो दोनों पक्षों को मिली हुई है।
Advertisement
जयशंकर को उनके समकक्ष जाबी आशकनाज़ी ने विशेष अतिथि के तौर पर एशिया प्रशांत क्षेत्र में इज़राइल के मिशनों के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करने और विश्व को आकार देने वाले घटनाक्रम, समकालीन वैश्विक स्थिति, भारत की विदेश नीति के दृष्टिकोण, भारत-प्रशांत और भारत-इजराइल सहयोग के बारे में अपना नजरिया साझा करने के लिए आमांत्रित किया था। मंत्री ने वीडियो लिंक के जरिए किए गए संबोधन में कहा, भारत में फिलहाल बड़े बदलाव हो रहे हैं।उन्होंने कृषि, श्रमिक, विनिर्माण और शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख बदलावों को रेखांकित किया, जो भारत की इस इच्छा को दिखाता है कि वह 2020 की चुनौतियों से रक्षात्मक तौर पर शुरू करने के बजाय सकारात्मक सोच के साथ निकलना चाहता है।
उन्होंने इज़राइली राजयनिकों से कहा कि वह द्विपक्षीय रिश्तों को आगे तथा ऊंचाई वाले पथ पर ले जाने के लिए उस मूलभूत और गहरी सहजता का इस्तेमाल करें जो दोनों पक्षों को मिली हुई है। जयशंकर ने उन दिनों को याद किया जब 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने से पहले भारत और इज़राइल के अधिकारी विदेशों में मिला करते थे। उन्होंने कहा कि आखिरकार रिश्तों को वह ऊंचाई और स्पष्टता मिल गई है जिसके दोनों देश हकदार हैं जो गहरे सामाजिक संपर्कों पर आधारित है। रक्षा में सहयोग के अलावा, जयशंकर ने दोनों देशों के बीच कृषि, जल, और स्टार्ट-अप और नवाचार क्षेत्र में सहयोग पर प्रकाश डाला। भारत के नजरिये के संबंध में उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत विश्व को संकेंद्रित वृत्त के तौर पर देखता है और उसका दृष्टिकोण पड़ोसी प्रथम है।
हाल के कई काम इसी को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। जयशंकर ने कहा, भारत के आर्थिक उदय का सभी पड़ोसियों पर प्रभाव है। हम पूरे क्षेत्र को प्रगति करते हुए देखना चाहते हैं।जयशंकर ने भारत के लिए खाड़ी, अफ्रीका और दुनिया के अन्य हिस्सों के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत यथार्थवाद की नीति का अनुसरण कर रहा है, जो सकारात्मक है। इज़राइल को भारत के विस्तारित पड़ोस का हिस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि नई दिल्ली क्षेत्र के घटनाक्रम पर करीब सेनिगाह रख रही है, क्योंकि इससे हम भी प्रभावित होते हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत उन शुरुआती देशों में रहा जिसने अब्राहम समझौते का समर्थन किया। यह अमेरिकाकी मध्यस्थता में की गई संधि है, जिसका मकसद अरब देशों के साथ इज़राइल के रिश्तों को सामान्य करना है।
जयशंकर ने अपने संबोधन के बाद ट्वीट किया, इज़राइल के एशिया-प्रशांत राजदूत सम्मेलन को संबोधित करने सेप्रसन्नता हुई। समकालीन वैश्विक स्थिति, भारत की विदेश नीति के दृष्टिकोण, भारत-प्रशांत और भारत-इज़राइल के सहयोग के बारे में बात की। विदेश मंत्री जाबी आशकनाज़ी का आभार। इससे पहले जय़शंकर का परिचय देते हुए आशकनाज़ी ने कहा कि उन्हें मुश्किल से ही जयशंकर जितना अनुभवी कोई अन्य विदेश मंत्री मिल पाता और उनके विचार सुनना दिलचस्प होगा। उन्होंने कहा, भारत एक क्षेत्रीय शक्ति और इजराइल के लिए एक रणनीतिक साझेदार है। अगले साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 30 साल पूरे हो जाएंगे।
Advertisement