Jaishankar visit to Russia: जयशंकर अगले सप्ताह रूस दौरे पर, शीर्ष नेताओं से होगी मुलाकात
Jaishankar visit to Russia: विदेश मंत्री एस. जयशंकर अगले सप्ताह मास्को जाएंगे, जहाँ वे अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ महत्वपूर्ण वार्ता करेंगे। यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब रूस से कच्चे तेल की निरंतर खरीद को लेकर भारत और अमेरिका के बीच हाल में तनाव देखा गया है।
डोभाल की यात्रा के तुरंत बाद
यह यात्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के हालिया रूस दौरे और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित कई शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हो रही है। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान दोनों पक्ष पुतिन की इस वर्ष के अंत में होने वाली भारत यात्रा की तैयारियों को भी अंतिम रूप दे सकते हैं।
द्विपक्षीय एजेंडे पर चर्चा
रूस के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता अलेक्सी फडेयेव ने बताया कि दोनों देशों के विदेश मंत्री द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े सबसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। उपरोक्त सूत्रों ने बताया कि जयशंकर रूस की दो दिवसीय यात्रा पर होंगे, जिसमें पुतिन से मुलाकात के अलावा विदेश मंत्री लावरोव के साथ व्यापक विषयों पर बातचीत भी शामिल है।
व्यापार और सहयोग पर फोकस
विदेश मंत्री भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता भी करेंगे, जिसमें व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक-तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर चर्चा होगी। रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव करेंगे।
ऊर्जा खरीद पर चर्चा की संभावना
मास्को में बैठकों के दौरान रूस से भारत की निरंतर ऊर्जा खरीद पर भी बातचीत होने की संभावना है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है, जिससे कुल आयात शुल्क 50% तक पहुँच गया। अमेरिका का यह कदम भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के जवाब में उठाया गया है।
भारत का रुख
भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा खरीद पूरी तरह राष्ट्रीय हित और बाजार की स्थिति पर आधारित है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले और पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भारत ने रियायती दर पर रूसी तेल खरीदना शुरू किया। 2019-20 में जहाँ रूस की हिस्सेदारी मात्र 1.7% थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 35.1% हो गई है, जिससे रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है।
यूक्रेन संघर्ष पर बातचीत
जयशंकर की यात्रा के दौरान यूक्रेन विवाद पर भी चर्चा होने की संभावना है। भारत लगातार बातचीत और कूटनीति के जरिए रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान का समर्थन करता रहा है। पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से मुलाकात कर कहा था कि युद्ध के मैदान में समाधान संभव नहीं है और बमों व गोलियों के बीच शांति प्रयास सफल नहीं हो सकते।