जामिया के छात्रों ने आंदोलन फिलहाल वापस लिया
जामिया प्रशासन की ओर से विश्वविद्यालय में शीतकालीन अवकाश घोषित करने के बाद नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने फिलहाल अपना आंदोलन रोक दिया है।
04:34 PM Dec 14, 2019 IST | Shera Rajput
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जामिया प्रशासन की ओर से विश्वविद्यालय में शीतकालीन अवकाश घोषित करने के बाद नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने फिलहाल अपना आंदोलन रोक दिया है।
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ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने अपना आंदोलन वापस लेने की घोषणा की है। इस कमेटी में छात्र और पूर्व छात्र शामिल हैं।
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इससे पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों का शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रहा और स्थिति को तनावपूर्ण देखते हुए सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी गयी हैं एवं 16 दिसंबर शीतकालीन अवकाश भी घोषित कर दिया गया है।
छात्रों ने कल पुलिस की ओर से किये गए लाठीचार्ज के खिलाफ शनिवार को विश्वविद्यालय बंद का आह्वान किया था। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने शनिवार को होने वाली सेमेस्टर की परीक्षाएं स्थगित कर दी। जामिया शिक्षक संघ ने छात्रों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है। इसके साथ ही जामिया के पूर्व छात्रों ने भी प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले केवल आज होने वाली सेमेस्टर परीक्षाएं स्थगित कर दी थीं लेकिन स्थिति को तनावपूर्ण देखते हुए सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी और 16 दिसंबर से अगले वर्ष पांच जनवरी तक शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिया। अब विश्वविद्यालय छह जनवरी को खुलेगा और सभी परीक्षाओं की तारीखें नये सिरे से घोषित की जाएंगी।
जामिया छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष शम्स परवेत्र ने बताया कि सरकार नागरिकता का जो कानून लेकर आई है वह संविधान पर हमला है और देश को तोड़ने वाला है। उन्होंने छात्रों के आंदोलन को अपना समर्थन देते हुए कहा कि जामिया के संस्थापकों और छात्रों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बहादुरी से लड़कर उदाहरण प्रस्तुत किया था और अब जब देश में लोकतंत्र बचाने की लड़ई है तो हम पीछे नहीं हटने वाले हैं। जुल्म के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना जामिया के संस्थापकों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
प्रदर्शन कर रहे छात्र लगातार इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उनका आंदोलन जारी रहेगा। छात्रों का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून लोकतंत्र के खिलाफ है और मुस्लिम समाज को इस कानून से अलग रखा गया है।
कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिए जामिया से एक किलोमीटर दूर बड़ संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है जहां कई जिलों के आला अफसर भी मौजूद हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार को प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुई थी जिसमें कई छात्र और 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। छात्र कल जामिया से संसद की ओर जाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में ही रोकने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस और छात्रों के बीच में कहासुनी हो गई।
उसके बाद पुलिस ने छात्रों के ऊपर आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया। पुलिस का कहना है कि छात्रों ने पथराव शुरू किया जिसके बाद स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और हल्का बल प्रयोग किया।

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