Oath Ceremony: उमर अब्दुल्ला आज लेंगे CM पद की शपथ, जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद आएगी चुनी हुई सरकार
Oath Ceremony: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला 16 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करेंगे।उपराज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दिया है। शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा। जिसमें उमर अब्दुल्ला सीएम पद की शपथ लेंगे। इस कार्यक्रम में कई बड़े नेता शिरकत करेंगे। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए 16 अक्टूबर की सुबह 11: 30 बजे का समय निर्धारित किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस को कांग्रेस, 'आप' और निर्दलीय विधायकों की तरफ से सरकार बनाने के लिए समर्थन मिला है।
Highlights
- 16 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला लेंगे CM की शपथ
- शेर-ए-कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में होगा शपथ ग्रहण समारोह
- शपथ समारोह में कई बड़े नेता होंगे शामिल
बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने जीत हासिल की है। विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटों पर जीत मिली, जबकि कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद सीएम फेस के लिए उमर अब्दुल्ला के नाम पर मुहर लगाई गई है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव को लेकर लोग काफी उत्साहित थे। रविवार को जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटाया गया है। इसके बाद घाटी में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हुआ है।
शपथ ग्रहण समारोह में इन नेताओं को निमंत्रण
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए 50 से ज्यादा वीआईपी को निमंत्रण भेजा है। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, सांसद राहुल, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, सपा मुखिया अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेताओं को निमंत्रण भेजा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक नेता ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह में एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, लालू प्रसाद यादव, और डी राजा को भी निमंत्रण भेजा गया है। उमर की कैबिनेट में 9 मंत्री होंगे। इनकी संख्या बढ़ाने की गुंजाइश तभी संभव है जब जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिले।
अनुच्छेद 370 का मु्द्दा
वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला पहले ही साफ कर चुके हैं कि हम चुनाव जीत गए हैं, तो इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं हो जाता है कि अब हम अनुच्छेद 370 के मुद्दे को नहीं उठाएंगे। मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यह मुद्दा हमारे लिए कल भी जिंदा था और आज भी जिंदा है। लेकिन, हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि हम उन लोगों से इसे वापस पाने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं, जिन्होंने इसे हमसे छीना है, लेकिन यह लोकतंत्र है। एक दिन जब इस देश में नई सरकार बनेगी, तो हम इस मुद्दे पर उनसे जरूर वार्ता करेंगे।
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