IndiaWorldDelhi NCRUttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir BiharOther States
Sports | Other GamesCricket
HoroscopeBollywood KesariSocialWorld CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

जम्मू-कश्मीर : अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर बोले गुलाम नबी आज़ाद, कहा- विरोध करने वाले अज्ञानी

11:33 AM Aug 07, 2023 IST
Advertisement
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने रविवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विरोध करने वाले लोग केंद्र शासित प्रदेश के इतिहास और भूगोल से अनभिज्ञ हैं। गुलाम नबी आजाद ने यह टिप्पणी तब की, जब उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 370 के तहत पूर्व राज्य को मिले विशेष दर्जे को छीनने के केंद्र के कदम के पीछे 5 अगस्त, 2019 के कदम के पीछे की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी।
जम्मू-कश्मीर के इतिहास और भूगोल से अनभिज्ञ-आजाद 
इस महीने बहुचर्चित कदम की चौथी वर्षगांठ को चिह्नित करते हुए भाजपा ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से कश्मीर में शांति, विकास और समृद्धि के नए युग की सराहना की। डोडा में गुलाम नबी आजाद ने क्षेत्रीय पार्टियों का नाम लिए बिना उन पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “जो लोग विरोध कर रहे हैं (सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को रद्द करना) वे जमीनी स्थिति के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के इतिहास और भूगोल से अनभिज्ञ हैं। अनुच्छेद 370 किसी विशेष क्षेत्र, प्रांत या धर्म के लिए नहीं था बल्कि सभी के लिए समान रूप से फायदेमंद था। आजाद ने कहा, “मुझे सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। मेरा मानना है कि वह इस (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) कदम के सभी पहलुओं पर गौर करेगा।”
महबूबा  मुफ्ती ने किया था दावा 
इससे पहले भाजपा ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा, “अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर में शांति, विकास और समृद्धि आई है।” वहीं, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की चौथी वर्षगांठ पर 5 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि उन्हें पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ “घर में नजरबंद” कर दिया गया था।
संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा…
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पहले एक सुनवाई के दौरान पूछा, “एक प्रावधान (अनुच्छेद 370) जिसे विशेष रूप से संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में उल्लेख किया गया था, स्थायी कैसे हो सकता है?” 1957 में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद?”पीठ ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सुविधा के लिए संसद खुद को जम्मू-कश्मीर की विधायिका घोषित नहीं कर सकती थी, क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 354 शक्ति के ऐसे प्रयोग को अधिकृत नहीं करता है।
Advertisement
Next Article