Jammu: 'आप शंभू मंदिर' में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचे हजारों श्रद्धालु, पुजारी ने बताया इतिहास
महाशिवरात्रि पर ‘आप शंभू मंदिर’ में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
जम्मू-कश्मीर में महाशिवरात्रि का त्योहार बड़े उत्साह और आनंद के साथ मनाया जा रहा है। जम्मू में सदियों से स्थापित ऐतिहासिक और प्रसिद्ध ‘आप शंभू मंदिर’ में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हैं। मंदिर में अब तक 20,000 से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए आ चुके हैं। आईएएनएस से बात करते हुए श्रद्धालुओं ने अपनी खुशी जाहिर की। मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे विक्रम ने कहा कि यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि देश में सुख शांति और सद्भाव बना रहा।
सुशील कुमार ने कहा कि हमें भोले शंकर की सेवा करते हुए 15 साल हो गए। यहां हम भंडारा लगाते हैं। महाशिवरात्रि को हम बड़े धूमधाम से मनाते हैं। वहीं, मंदिर के पुजारी ने भी इस प्राचीन ‘आप शंभू मंदिर’ के इतिहास को साझा किया और इसकी सदियों पुरानी महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे मंदिर में दर्शन के लिए आते समय शांति, सौहार्द और भाईचारे को बनाए रखें।
मंदिर के पुजारी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या शाम तक लाखों में पहुंच जाएगी। जो भी भक्त भगवान के दर्शन और जलाभिषेक के लिए आ रहे हैं, उनसे मेरी प्रार्थना है कि वे आराम से आएं, धक्का-मुक्की न करें और अपनी जेब का ध्यान रखें। बहनों से निवेदन है कि वे अपनी ज्वेलरी का ध्यान रखें। कुछ शरारती तत्व मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कि कहा आराम से आओ, जलाभिषेक करो, भगवान के दर्शन करो, भंडारे और मेले का आनंद लो। यह पर्व साल में एक बार आता है। अपने बच्चों को भी साथ लाओ। सभी लोग भगवान के दर्शन के लिए आएं और आशीर्वाद लें।
पुजारी ने मंदिर के इतिहास के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि ये बियाबान जंगल था, तब महाराणा प्रताप यहां आते थे। नीचे गांव में गुर्जर लोग रहते थे। वो अपनी गाय और भैंस को चरने के लिए जंगलों में छोड़ देते थे। उनमें से भूरे रंग भैंस यहां आकर खड़ी हो जाती थी और उसका दूध निकलना शुरू हो जाता था। भैंस घर में दूध नहीं देती थी। तब भैंस के मालिक को लगा कि कोई भैंस का दूध निकाल लेता है। इसके बाद उसने उसका पीछा करना शुरू किया। भैंस वहां पहुंची और खड़ी हो गई, तभी उसका दूध निकलना शुरू हो गया। उसने पास जाकर देखा, तो एक पत्थर पर दूध गिर रहा था और वहीं खत्म हो रहा था। उसे लगा कि ये भूत हो सकता है क्योंकि दूध पत्थर पर गिरने के बाद साइड में चला जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था। इसके बाद उसने भैंस को पीछा किया और उस पत्थर को एक पत्थर से तोड़ने लगा। जब कोई असर नहीं हुआ तो उसने कुल्हाड़ी से पत्थर पर प्रहार किया। इसके बाद उसमें से खून निकलना शुरू हो गया। उसने घर पहुंचकर बताया कि इस तरह की घटना घटी है।
उन्होंने कहा कि जब यह बात महाराणा प्रताप सिंह तक पहुंची कि कोई असाधारण घटना घटी है और भगवान प्रकट हुए हैं, तो उन्होंने खुद उस स्थान पर जाकर देखने का फैसला किया। मौके पर पहुंचकर उन्होंने देखा और कहा कि यह तो भगवान शंकर का रूप है। उस समय यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ था। उन्हें लगा कि जंगल में भगवान की पूजा कौन करने आएगा। इसलिए इस शिवलिंग उन्होंने दूसरी जगह स्थानांतरित करने की कोशिश की। इसके लिए खुदाई कराई गई, लेकिन शिवलिंग का न तो आधार मिला और न ही अंत। इसे एक चमत्कार माना गया। इसके बाद उन्होंने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया।