जांटी कलां शाखा ने कर दिया कमाल...
कहते हैं कि गांवों में भारत की आत्मा बसती है। वाक्य में मुझे देखने को मिला जब…
कहते हैं कि गांवों में भारत की आत्मा बसती है। वाक्य में मुझे देखने को मिला जब मैं जांटी कलां के वार्षिक उत्सव में गई। जांटी कलां गांव की शाखा एक साल पहले खुली जिसे कमलेश जी चला रही हैं। कमलेश जी एक आयरन लेडी हैं, जो अकेले ही सब कुछ देख रही हैं, मेहनत कर रही हैं, सदस्यों की संख्या भी बहुत है। बड़ी हैरानगी की बात है कि महिला शक्ति भी इसी गांव में दिख रही हैं, क्योंकि यह पहली शाखा है जिसे एक महिला चला रही हैं। महिलाओं के साथ मिलकर गांव के पुरुष प्रोग्राम देखते तो हैं परन्तु हिस्सा नहीं लेते।
गांव की महिलाओं का टैलेंट देखने वाला है। शहर में हवा मिलावटी, खाने-पीने की वस्तुएं मिलावटी परन्तु गांव में सब असली, महिलाओं का जोश देखने वाला है। 60 से लेकर 90 साल तक की महिलाओं ने हिस्सा लिया। एक महिला ने जो 80 साल की है, उन्होंने सिर पर घड़ा रखकर डांस किया और सबको हैरान कर दिया। सबसे बड़ी बात कि महिलाओं ने हरियाणा की पारम्परिक ड्रेस यानि हरियाणा का घाघरा-चोली पहनकर डांस किया और वो ऐसे डांस कर रही थीं जैसे जवान लड़कियां करती हैं। सच में दिल कर रहा था कि एक-एक घूंघट उठाकर देखूं कि सचमुच यह सीनियर सीटिजन हैं और मैं रह न सकी। बहाने से देख भी लिया। कोई 66 साल की, कोई 68 साल की। सभी इसी तरह थीं, न उनमें कोई थकावट नजर आ रही थी। सबसे दिलचस्प बात थी कि पुरुषों का रोल भी स्त्रियां निभा रही थीं और जो पुरुष बनी थीं वो बिल्कुल पुरुष लग रही थीं। एक महिला बिमलेश ने तो कमाल कर दिया।
उसने कई रोल निभाए। फटे-पुराने कपड़े पहनकर गाने के साथ एक्टिंग की, ‘गरीबों की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा…Ó और सभी बैठे अतिथिगणों ने उसे अपनी श्रद्धानुसार रुपए देने शुरू कर दिए और कुछ रुपए इक_े हो गए तो ब्रांच हैड ने उसी समय घोषणा की कि यह रुपए वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब को जाएंगे। वाह! कमलेश जी आपका क्या कहना। वहां आसपास की बहुत-सी महिला संगठन की महिलाएं भी आई हुई थीं। उनका भी उन्होंने स्वागत किया। ब्रह्मïाकुमारी बहनें भी आई हुई थीं। सबसे बड़ी बात इस ब्रांच को खुलवाने वाले रूपचंद दहिया जी जो बहुत ही जानेमाने व्यक्ति हैं, वो नरेला शाखा के हैंड हैं। जब उन्होंने शाखा शुरू की थी वो 75 साल के थे। अब 95 साल के हैं।
परन्तु उनका जोश अभी भी युवाओं जैसा है। उनसे ठीक से चला नहीं जा रहा था परन्तु वो स्टेज पर भी चढ़े और जांटी कलां के सदस्यों का उत्साह बढ़ाने के लिए आए भी।जो मंच संचालन कर रहे थे कमाल कर रहे थे। उनके पिता जी सामने बैठे थे और बहुत ही गर्व महसूस कर रहे थे। मांगे राम जी ने हमेशा की तरह बहुत ही अच्छा गीत गाया और साथ में बधाई भी गाई। बहुत ही अच्छा माहौल था, बहुत ही आदर और सम्मान मिला।