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किरण बेदी ने किया ट्वीट, लिखा- कठिन समय चला जाएगा, कठोर कार्यवाही याद रहेगी

तीस हजारी अदालत में पुलिस और वकीलों की झड़प पर मंगलवार को पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस को सलाह दी कि पुलिस अपने रुख पर दृढ़ता से कायम रहे चाहे नतीजा कुछ भी हो।

08:33 AM Nov 06, 2019 IST | Desk Team

तीस हजारी अदालत में पुलिस और वकीलों की झड़प पर मंगलवार को पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस को सलाह दी कि पुलिस अपने रुख पर दृढ़ता से कायम रहे चाहे नतीजा कुछ भी हो।

किरण बेदी ने किया ट्वीट  लिखा  कठिन समय चला जाएगा  कठोर कार्यवाही याद रहेगी
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तीस हजारी अदालत में पुलिस और वकीलों की झड़प पर मंगलवार को पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस को सलाह दी कि पुलिस अपने रुख पर दृढ़ता से कायम रहे चाहे नतीजा कुछ भी हो। किरण बेदी ने हजारों पुलिसकर्मियों के 11 घंटे लंबे चले विरोध प्रदर्शन के बाद ट्वीट कर कहा, ‘जब एक पुलिसकर्मी निडर होकर पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी करता है तो उन्‍हें अपने वरिष्‍ठ अधिकारियों के संरक्षण की बहुत जरूरत होती है।’
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उन्होंने  ने लिखा कि मुश्किल वक्त चला जाता है लेकिन सख्त फैसलों की यादें हमेशा कायम रहती हैं। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि अधिकार और उत्तरदायित्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। नागरिकों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए। जो भी हो और हम जहां भी हों। जब हम सभी कानून का पालन करने की अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हैं तो कोई विवाद नहीं होता है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान कल दिल्ली पुलिस ने से हजारों किलोमीटर दूर पुदुचेरी में बैठीं किरण बेदी के पोस्टर पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे कई पुलिसकर्मियों ने थाम रखा था। ये पुलिसकर्मी नारा लगा रहे थे, ‘किरण बेदी शेरनी हमारी’, ‘हमारा पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो। बता दें कि बेदी अभी पुदुचेरी की उपराज्यपाल हैं। आखिर वकीलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मी किरण बेदी को क्यों याद कर रहे थे?
बता दें कि किरण बेदी 1988 में पुलिस उपायुक्‍त थीं उस दौरान वकीलों और पुलिसकर्मियों के संघर्ष की एक घटना हुई थी, जिसकी आंच पूरे देश में पहुंची थी. दरअल, जनवरी, 1988 में पुलिस ने एक वकील को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। तब पुलिस ने वकील को हथकड़ी पहनाई थीं।
तीस हजारी कोर्ट के सभी वकील गिरफ्तारी के बाद तत्‍काल हड़ताल पर चले गए।  उनका कहना था कि ऐसे मामलों में वकील को हथकड़ी नहीं लगाई जानी चाहिए थीं।  इसके बाद ये हड़ताल बहुत तेजी से पूरे देश में फैल गई।  इसके बाद दो हिंसक झड़पें हुईं।

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