आज है जया एकादशी का व्रत, जानिए पूजा का मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व
5 फरवरी बुधवार यानी आज जया एकादशी व्रत है। हिंदू शास्त्र के मुताबिक, माघ महीने के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है उसे जया एकादशी कहा जाता है। हालांकि अजा एकादशी
06:57 AM Feb 05, 2020 IST | Desk Team
5 फरवरी बुधवार यानी आज जया एकादशी व्रत है। हिंदू शास्त्र के मुताबिक, माघ महीने के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है उसे जया एकादशी कहा जाता है। हालांकि अजा एकादशी के नाम से भी इसे जाना जाता है। पुण्यदायी एकादशी जया एकादशी को माना जाता है। मान्यता है कि व्यक्ति के सारे पाप इस एकादशी के व्रत करने से खत्म हो जाते हैं।
इसके अलावा कहा जाता है कि व्यक्ति भूत-प्रेत, पिशाच से भी मुक्ति यह व्रत करने से मिलती है। जया एकादशी का व्रत जो भी मनुुष्य सच्ची श्रद्धा के साथ रखता है उसे फल की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की पूजा इस दिन की जाती है और सारे दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
ये है जया एकादशी का मुहूर्त
4 फरीवरी 21ः51ः15 बजे से एकादशी तिथि प्रारंभ है। 5 फरवरी 21ः32ः38 बजे तक एकादशी तिथि समाप्त है। 6 फरवरी 07ः06ः41 से 09ः18ः11 बजे तक जया एकादशी पारणा मुहूर्त है। 2 घंटे 11 मिनट तक की अवधि है।
जया एकादशी का व्रत ऐसे करें
भगवान विष्णु के लिए व्रत इस दिन रखते हैं।
आपकी किस्मत ये उपाए इस दिन करने से चमक सकती है।
भाग्य दोष दूर इस दिन किए गए उपायों से होता है।
देवी लक्ष्मी की कृपा भी भगवान विष्णु के साथ व्यक्ति पर होती है।
पीले फूल इस दिन भगवान विष्णु को अर्पित करें।
भगवान विष्णु का दीपक घी में हल्दी मिलाकर करें।
भगवान विष्णु को दूध और केसर से बनी मिठाई पीपल के पत्ते पर रखकर चढ़ाएं।
तुलसी के पौधे के सामने दीपक एकादशी के दिन शाम के समय पर जलाएं।
इस दिन केले भगवान विष्णु को चढ़ाएं और गरीबों को भी बांटें।
इस दिन लक्ष्मी की पूजा भी भगवान विष्णु के साथ करें और पूूजा में गोमती चक्र और पीली कौड़ी रखें।
ये है जया एकादशी व्रत की कथा
पुराणों में जया एकादशी को लेकर एक कथा बताई गई है। इस कथा के अनुसार गंधर्व गती इन्द्र की सभा में गा रहा था। लेकिन अपनी प्रिया को याद करने में उसका मन लगा हुआ था। इसी वजह से गाना गाते दौरान लय उसका बिगड़ गया। इस पर इन्द्र को गुस्सा आ गया और गंधर्व और उसकी पत्नी को पिशाच योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया है।
पति पत्नी पिशाच योनी में जन्म लेने के बाद कष्ट भोग रहे थे। दुखों से व्याकुल होकर संयोगवश इन दोनों ने माघ शुक्ल एकादशी के दिन कुछ भी नहीं खाया और रात के समय ठंड थी जिसकी वजह से सो नहीं सके। इस दौरान अनजाने में ही जया एकादशी का व्रत इन दोनों से हो गया। दोनों श्राप से इस व्रत के प्रभाव से मुक्त हो गए और अपने वास्तविक स्वरूप में वह दोनों पुनः लौटकर स्वर्ग पहुंच गए। जया एकादशी के व्रत के बारे में गन्धर्व और उनकी पत्नी ने बताया कि अनजाने में यह व्रत हो गया जिसके स्वरूप उन्हें फल में पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की पूजा इस व्रत के दिन पवित्र मन से की तो द्वेष, छल-कपट, काम और वासना की भावनाएं मन में बिल्कुल भी नहीं लानी चाहिए। इस दिन नारायण स्तोत्र एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। भगवान विष्णु की कृपा इस तरह से जया एकादशी के व्रत पर मिलती है। अगर आपने इस दिन व्रत नहीं रखा है तो विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ इस कर लें और जरूरतमंद लोगों की सहायता इस दिन करें ऐसा करने से पुण्य मिलता है।
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