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जींद जेल बनी पहली कैशलेश जेल

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04:13 PM Nov 09, 2017 IST | Desk Team

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जींद: मोदी की कैशलैस प्रणाली का एक बंदी ऐसा आधार बना, जिसकी बदौलत जींद की जेल भारत की पहली कैशलैस जेल बन गई। इस जेल में बंद कैदियों व हवालातियों के लिए अब कैंटीन खर्च जमा करवाने के लिए परिजनों को भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। परिजन घर बैठे ही संबंधित कैदी, हवालाती के खाते में पैसा जमा करवा सकते है। ऐसे में जींद की जिला जेल भारत की ऐसी पहली जेल बन गई है जिसमें कैशलैश सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। जेल प्रशासन ने अपने इंटरनल फि निक्स सॉ टवेयर को एचडीएफसी बैंक के खाते के साथ कनेक्ट कर दिया है। पहली दिसंबर तक प्रदेश की सभी जेलों में यह सुविधा शुरू करने का टारगेट है। जेल अधीक्षक हरेंद्र सिंह श्योराण ने बुधवार को पत्रकारों से मुखातिब हो रहे थे।

इस मौके पर उप-अधीक्षक जेल राकेश लोहचब, संजीव कुमार, सहायक अधीक्षक जेल शिवकुमार मौजूद रहे। जेल अधीक्षक हरेंद्र सिंह श्योराण ने बताया कि वह पीछले कई माह से इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे थे कि जींद जेल को किस प्रकार आधुनिक बनाया जाए। जीन्द जेल से पहले वह गुरूग्राम की भौंडसी जेल में अपनी सेवाएं दे रहे थे। इस दौरान जेल में अत्याधुनिक सुविधाओं से कैसे जोड़ा जाए, इस पर दिन-रात काम किया। उनकी इस सोच को उड़ान जब मिली जब गुरूग्राम जेल में एक अपराधिक मामले में उत्तर प्रदेश निवासी सॉफ्टवेयर इन्जीनियर अमित मिश्रा बन्दी के रूप में पहुंचे। अमित मिश्रा के सहयोग से उन्होंने गुरुग्राम की जेल को देश की पहली ऐसी जेल बनाया था, जहां से ई-कस्टडी की सुविधा शुरू की थी।

गुरूग्राम के बाद अब जींद जेल हरियाणा की दूसरी ऐसी जेल बन गई है जिसमें ई-कस्टडी की सुविधा शुरू की गई हैं। इस सुविधा के बाद दोनों जेलों से ई-कस्टडी सीधे एडवोकेट जनरल कार्यालय में भेजी जा रही है और ए.जी. कार्यालय से इसे हाईकोर्ट में जमा करवाया जाता है। इस सुविधा के बाद दोनों जेलों को काफी राहत की सांस मिली है। इससे पहले कस्टडी के दस्तावेजों को स्पेशल कर्मचारी द्वारा सम्बन्धित जेल से माननीय उच्च न्यायालय, चण्डीगढ़ में सम्बन्धित विभाग को भेजा जाता था। अब दोनों जेलों में आधुनिक सुविधा का प्रयोग किया जा रहा है जिसके चलते कस्टडी के दस्तावेजों को फि निक्स सॉफ्टवेयर के माध्यम से चन्द मिन्टों में भेजा जा रहा है। जिससे जेल विभाग की आर्थिक व समय की बचत हो रही हैं। उन्होने बताया कि डिजिटेल सुविधा में एक और कदम बढ़ाते हुऐ जीन्द जेल को कैसलैश बनाया गया है।

जेल से रिहा होने के बाद बंदी अमित मिश्रा अपनी खुद की आईटी कंपनी चला रहे हैं। मिश्रा की मदद से जींद जेल व राज्य के जेल प्रशासन को मुफ्त सोफ्टवेयर मुहैया करवाया है। इस सॉ टवेयर के माध्यम से जीन्द जेल को कैशलैश बनाया गया है। इस सोफ्टवेयर में कैदियों व बंदियों की पूरी हिस्ट्री भी दर्ज है। सोफ्टवेयर के शुरू होने के बाद राज्य की जेलों की कैंटीन में नकद खरीद का कोई प्रावधान नहीं है। कैदियों व बंदियों के अंगूठों के निशान कंप्यूटर में दर्ज हैं और इसी के जरिये वे कैंटीन से खरीद कर सकते हैं। अंगूठा लगाते ही संबंधित कैदी का कैंटीन से जुड़ा पूरा रिकार्ड स्क्रीन पर उसके सामने होगा। मसलन, उसके खाते में कितने पैसे जमा थे और उसने कितने रुपए की खरीददारी की है। बकाया की रसीद भी वह हासिल कर सकता है।

(संजय शर्मा)

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